महिला बाल विकास परियोजना कुसमी बनता जा रहा भ्रष्टाचार का गड़ जिम्मेदार अनजान क्यों.
सीधी, ऐसा पहली बार नही हुआ जब कुसमी महिला बाल विकास परियोजना का भ्रष्टाचार उजागर हुआ हो महिला बाल विकास कार्यालय कुसमी अपने बड़े बड़े काले कारनामो के कारण सुर्खियों में बना रहा हैं। यह वही कार्यालय हैं जहा से लोकायुक्त की बड़ी कार्यवाही प्रकाशन में आई थी।
लोगों की माने तो कुसमी परियोजना में पदस्थ प्रभारी परियोजना अधिकारी लगातार कुसमी परियोजना में पदस्थ हैं। लोकल कुसमी ग्राम भगावर निवासी होने के कारण इस परियोजना के तमाम हितग्राही इनके दवाब के कारण अपनी समस्याओ को व्यक्त नही कर सकते। सूत्रों की माने तो बाल विकास परियोजना कुसमी केवल फर्जी आंकड़ों के आधार पर चल रहा हैं।
जहा एक तरफ मध्य प्रदेश सरकार लगातार महिलाओं एवं बच्चों को सुपोषित एवं जागरूक करने के लिऐ अनेकों अनेक योजना बना रही हैं। और वही उन सभी योजनाओं के क्रियान्वन का जिम्मा बाल विकास परियोजना को देकर अंतिम व्यक्ति तक शासकीय विभागीय योजनाओं के क्रियान्वयन का सपना देख रही है। पर हकीकत यह है की कुसमी परियोजना अधिकारी उन सभी नियमों को दरकिनार कर लोगों में अपनी धौंस वाली झवि को बना रही हैं।
नही पहुंच रहा किसी आगनवाड़ी केंद्रों तक पूरक पोषण आहार।
शासन द्वारा हितग्राहियों को प्रदत्त पूरक पोषण आहार केंद्रों नही पहुंच पता हैं यह एक भ्रष्टाचार का बड़ा उदाहरण हैं वही लोगों की माने तो कुसमी परियोजना अंतर्गत 9 सेक्टर हैं जहां कागजी आंकड़ों पर कुल 233 आगनवाड़ी केंद्र संचालित सभी सेक्टर की कार्यकर्ताओं को प्रभारी परियोजना अधिकारी श्री मती मान कुमारी पनाडिया द्वारा समस्त कार्यकर्ताओं पर दवाब बनाकर अपने स्वयं के व्यय से पूरक पोषण आहार THR का उठाव कराया जाता हैं। देखा यह भी गया है की कुछ कार्यकर्ता अपने जनों को भेज कर साइकल से तो कुछ मोटर साइकिल आटो रिक्शा से पूरक पोषण आहार का उठाव करती हैं। अगर किसी ने इस पर कोई आना कानी की तो उसका वेतन काटने और पद से पृथक करने की कार्यवाही करने की धमकी देती हैं। सूत्रों की माने तो कुसमी परियोजना प्रभारी अधिकारी द्वारा कार्यकर्ताओ को बोल कर फर्जी आंकड़ दर्ज कराया जाता हैं।
नही दिया जाता आंगनवाड़ी केंद्रों के हितग्राही क्यों नाश्ता एवं भोजन।
कुसमी परियोजना के लगभग 70%आंगनवाड़ी केंद्रो ऐसे है जहा नही मिल रहा बच्चों एवं गर्भवती धात्री माताओ को गरम पका भोजन।
सूत्रों की माने तो परियोजना के अधिकतर केंद्रो में जुलाई माह से आज दिनांक तक भोजना नही दिया गया कुछ केंद्रों में सप्ताह के 2- 3दिन नास्ते के नाम पर केवल सूखी लाई बाट कर खाना पूर्ति होने की वात कहीं गई हैं। लेकिन कार्यरत कार्यकर्ताओ विभागीय कार्यवाही की धौस बताकर कर उनके अनावश्यक दबाव डाला कर फर्जी तरीके से पोषण टेकर ऐप में जानकारी दर्ज भी कराई जाती हैं।कुछ ऐसे हितग्राही को भी आगनवाड़ी कार्यकर्ताओ को पोषण टेकर में नाश्ता भोजन परोसा जा रहा है जो कई माह से अपने परिजनों के साथ जिले से बाहर रह रहे है।
क्षेत्र के हितग्राहियों को शासन द्वारा चलाई गई सामुदायिक आधारित महत्वपूर्ण योजना मंगल दिवस की नही है जानकारी।
कुसमी परियोजना अंतर्गत चल रहे व्यापक भ्रष्टचार की पटकथा का यहीं अंत नहीं होता लोगों से जानकारी लेने पर बताया गया कि, विभाग द्वारा तो अनेक हितग्राही मूलक योजनाएं संचालित है । परंतु उन योजनाओं का लाभ केवल परियोजना में पदस्थ परियोजना अधिकारी और उनके करीबी तथाकथिक कर्मचारी ही ले रहे है। लोगों की माने तो यह कुसमी बाल विकास परियोजना पूरी तरह फर्जी आकड़ो पर आधारित परियोजना हैं।यहां आपको खंडहर भावन मिल में संचालित आगनवाड़ी केंद्र तो दिखाई देगे ही साथ ही निरीक्षण में आपको 70 प्रतिशत केंद्रो में ताले लटके ही दिखाई देंगे। लोगों ने बताया की यहां कार्यकर्ताओ के पति मोबाइल लेकर केंद्र तक आते है और फोटो खींच कर चले जाते है। महिला बाल विकास उसी फर्जी आंकड़ों से संतुष्ट है।
आपको बता दें की मेरे संवाददाता द्वारा कुसमी ब्लाक के कई ऐसे आगनवाड़ी केंद्रों का वास्तविक भ्रमण कर हितग्राहियों एवं आगनवाड़ी कार्यकर्ताओ से वात की जिनके द्वारा बताया गया की केंद्र पुताई के लिऐ पैसा आया था परंतु परियोजना अधिकारी द्वारा हम सभी से दवाब बनाकर पुताई का पैसा वापस लेलिया गया है।तब से आज तक ना उनके ठेकेदार का पता चला और ना ही केंद्र की पुताई और मेंटीनेंश हुआ।
*स्वतंत्रता दिवस के दिन से छिन गया गरीब बच्चो के हिस्से का निवाला।*
सूत्रों से प्राप्त जानकारी अनुसार 15 अगस्त से आज दिनांक खबर प्रकाशन तक कुसमी महिला बाल विकास परियोजना के किसी भी केंद्र में नही बटा नाश्ता और गरम पका भोजन। शासन प्रशासन भले ही अनेकों अनेक योजना तैयार कर महिलाओं बच्चों को पौष्टिक पोषण आहार एवं केंद्रो में बच्चो को अलग अलग दिन गुणवक्ता युक्त नाश्ता एवं गरम पका भोजन देने का दावा कर रही हो पर कुसमी परियोजना के हितग्राहियों को नही मिला नाश्ता भोजन थर्ड मील योजना से अनजान हितग्राही।
सूत्रों से प्राप्त जानकारी अनुसार परियोजना अधिकारी कुसमी लोकल होने के साथ साथ अपनी सर्व दलीय पैठ के लिऐ भी जानी जाती हैं। वही चर्चा के दौरान लोगों ने यह भी बताया की यह अधिकारी अपने नौकरी काल के लगभग 70प्रतिशत दिनों को कुसमी परियोजना में ही कार्यरत रही है। परियोजना अधिकारी भले ली विभागीय कार्यों में जिले में सबसे कमजोर तपके की पहली अधिकारियों के रूप में जानी जाती रही हो ।लेकिन अधिकारियों से साठ गांठ कर परियोजना में पदस्थ सीनियर कर्मचारी के वाद भी परियोजना अधिकारी का प्रभार लेकर पुताई एवं मैटीनेंश जैसे अनेक योजना के विभागीय राशि का कुटर्चित दस्ता वेज तैयार कर आहरित की हैं। आपको बताते चले की महिला बाल विकास परियोजना में लम्बे समय से पदस्थ लोकल प्रभारी अधिकारी को परियोजना अधिकारी के प्रभार से हटा कर गहनता से जांच की जाय तो बड़े बड़े भ्रष्टाचार उजागर हो सकते है।