महंगाई भत्ते में केंद्र से पिछड़ा मप्र

मार्च में बढ़ा था 4 प्रतिशत डीए.

भोपाल/मंगल भारत। केंद्रीय कर्मचारियों का डीए बढऩे से प्रदेश के कर्मचारियों में असंतोष व्याप्त हो गया है। केंद्र सरकार ने कर्मचारियों का डीए (महंगाई भत्ता) 50 प्रतिशत हो गया है, जबकि राज्य के कर्मचारियों को 46 प्रतिशत महंगाई भत्ता मिल रहा है। इससे मप्र के कर्मचारियों को हर माह हजारों रूपए की क्षति पहुंच रही है। चार प्रतिशत के अंतर को पाटने के लिए कर्मचारी संगठन कई बार सरकार से अनुरोध कर चुके हैं लेकिन अभी तक कोई निर्णय नहीं लिया गया है। इससे कर्मचारियों को प्रतिमाह नौ से लेकर लगभग चार हजार रुपये का क्षति हो रही है।
गौरतलब है कि केंद्र सरकार महंगाई भत्ता में वर्ष में दो बार वृद्धि करती है। जनवरी और जुलाई से इसे लागू किया जाता है। अभी जनवरी से महंगाई भत्ता और राहत का भुगतान 50 प्रतिशत की दर से किया जा रहा है। जुलाई में होने वाली वृद्धि की घोषणा सितंबर में संभावित है। यदि फिर चार प्रतिशत की वृद्धि की गई तो राज्य और केंद्र सरकार के कर्मचारियों के बीच महंगाई भत्ते का अंतर आठ प्रतिशत हो जाएगा। विधानसभा चुनाव के पहले सरकार ने कर्मचारी वर्ग को साधने के लिए मार्च 2024 में महंगाई भत्ता 42 से बढ़ाकर 46 प्रतिशत किया था। इसका भुगतान जुलाई 2024 से किया गया। जुलाई 2023 से फरवरी 2024 तक के एरियर का भुगतान तीन किस्तों में करने का निर्णय लिया था। दो किस्तें कर्मचारियों को मिल चुकी हैं और एक अंतिम किस्त का भुगतान सितंबर में किया जाएगा। इससे कर्मचारियों के पुराने बकाया का हिसाब-किताब तो पूरा हो जाएगा पर जनवरी 2024 से चार प्रतिशत महंगाई भत्ते का जो अंतर चल रहा है, उस पर कोई चर्चा नहीं हो रही है।
नौ सौ से लेकर चार हजार तक क्षति
मप्र मंत्रालयीन अधिकारी कर्मचारी संघ के अध्यक्ष सुधीर नायक का कहना है कि अखिल भारतीय सेवा के अधिकारियों को जब जनवरी 2024 से 50 प्रतिशत की दर से महंगाई भत्ता दिया जा रहा है, तो फिर राज्य के कर्मचारियों के साथ भेदभाव नहीं होना चाहिए। प्रतिमाह कर्मचारियों को नौ सौ से लेकर चार हजार रुपये तक क्षति हो रही है। दूसरी ओर भविष्य निधि कटौती भी कम हो रहा है, जिसका नुकसान सेवानिवृत्त होने पर होगा। यही स्थिति प्रदेशभर के पेंशनर्स की भी है।