आज शाम तक हो जाएंगे आदेश जारी.
भोपाल/मंगल भारत। महिलाओं की जगह पुरुष आरक्षकों की भर्ती करना प्रदेश सरकार के सरकार के साथ आरक्षकों को भारी पड़ गया है। सरकार को जहां इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई का सामना करना पड़ रहा है तो वहीं,परविहन से जैसे विभाग में आरक्षक बन चुके युवकों को नौकरी से हाथ धोना पड़ रहा है। ऐसे में इन आरक्षकों का भविष्य अब अधर में लटक गया है। दरअसल यह कार्रवाई करने का फैसला इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में चल रही सुनवाई की वजह से विभाग ने अननफानन में लिया है। यह सभी आरक्षक 11 साल पहले वर्ष 2013 में नियुक्त किए गए थे। इनमें से 45 परिवहन आरक्षकों को बर्खास्तगी के आदेश आज शाम तक जारी होने की संभावना है। इन आरक्षकों की भर्ती परीक्षा परिवहन विभाग ने व्यापमं से आयोजित कराई थी। इसके महिला आरक्षकों के 100 पदों में से 53 पर पुरुष आरक्षकों को नियुक्ति दे दी गई थी। इस मामले में ग्वालियर निवासी हिमाद्री राजे ने उच्च न्यायालय की शरण ली हुई है। ग्वालियर उच्च न्यायालय ने नियुक्ति निरस्त करने के आदेश दिए थे। इसके खिलाफ परिवहन विभाग सर्वोच्च न्यायालय गया था। वहां पर सरकार की याचिका को यह कहते हुए खारिज कर दिया गया था कि उच्च न्यायालय के आदेश का पालन करें। न्यायालय के आदेश के अनुसार परिवहन विभाग को 45 परिवहन आरक्षकों को बर्खास्त करके आदेश 13 सितंबर को उच्च न्यायालय में पेश करना है। उच्च न्यायालय के आदेश की अवमानना के डर से परिवहन विभाग ने आनन-फानन में आरक्षकों की बर्खास्तगी की फाइल चलाई। जिसे परिवहन मंत्री राव उदय प्रताप सिंह ने भी मंजूरी दे दी है। विभाग द्वारा मुख्यमंत्री से मौखिक चर्चा करने के बाद आदेश जारी कर दिए जाएंगे। यदि परिवहन विभाग बर्खास्त नहीं करता तो फिर विभाग के अधिकारियों को अदालत की अवमानना का सामना करना पड़ता।
यह है मामला …
11 साल पहले हुई 2013 में परिवहन आरक्षकों की भर्ती प्रक्रिया बेहद विवादों में रह चुकी है। कांग्रेस ने भी भर्ती प्रक्रिया को लेकर विधानसभा से लेकर सडक़ तक सरकार के खिलाफ मोर्चा खोला था। यह भर्तियां परिवहन विभाग के तत्कालीन अपर मुख्य सचिव अंटोनी डिसा और तत्कालीन परिवहन मंत्री (वर्तमान में उपमुख्यमंत्री) जगदीश देवड़ा के कार्यकाल में हुई थीं। उस समय महिलाओं द्वारा लिखित एवं शारीरिक परीक्षा पास नहीं कर पाने की वजह से उनके 53 पदों पर पुरुष आरक्षक तैनात कर दिए गए थे। इसके लिए परिवहन विभाग ने सामान्य प्रशासन विभाग की अनुमति ही ली थी। मामले के उच्च न्यायालय में पहुंचने के बाद 8 परिवहन आरक्षक नौकरी छोडक़र चले गए थे। नौकरी छोडऩे वाले वे अभ्यर्थी बताए जा रहे हैं, जो मूलत: दूसरे राज्य के थे। लेकिन मप्र मूल के दस्तावेज बनाकर नौकरी में आए थे। 11 साल बाद न्यायालय ने भर्ती प्र िया को निरस्त कर दिया है। उच्च न्यायालय एवं सर्वोच्च न्यायालय के आदेश के बाद मप्र सरकार के पास महिलाओं की जगह नियुक्त किए गए परिवहन आरक्षकों की बर्खास्तगी रोकने का दूसरा कोई विकल्प नहीं है।
किस वर्ग से कितनी नियुक्तियां हुईं थीं
अजजा वर्ग- रामसजीवन बैगा, सुनील सिंह वास्कले सामान्य वर्ग-अनुराग सिंह भदौरिया, कुलदीप गुप्ता, शशांक द्विवेदी, कमलेश तिवारी, जितेन्द्र सिंह सेंगर, पुष्पेंद सिंह बुंदेला, सुमन सूर्यभान लोधी, विनय सारस्वत, कमल प्रताप सेंगर, नितिन कुमार मिश्रा, शिवकुमार गुप्ता, श्रीनाथ शर्मा, दीपेन्द्र सक्सेना, महेन्द्र कुमार जरिया, रूपेश कटारे, शैलेन्द्र सिंह राजपूत, राकेश तोमर, रोहित दुबे, प्रखर पांडे, राघवेन्द्र तिवारी, नीरज शर्मा, नरेन्द चतुर्वेदी, राहुल सिंह कुशवाह, शुभम शर्मा, शुकदेव शर्मा, मनीक्ष खरे, करमवीर सिंह, मानवेन्द्र सिंह जादौन, भूपेन्द्र सिंह तोमर, सौरभ सिंघल, अजय सिंह भदौरिया, हरिओम सिंह कुशवाह, रावेन्द्र मिश्रा ओबीसी- अरुण कुमार यादव, नितिन चौधरी, विचित्र सिंह किरार, जितेन्द सिंह, प्रेमनारायण कुशवाह, सुनील कुमार साहू, शिशिर रैकवार, अजय सिंह दांगी, राजकुमार सिंह गुर्जर, विकास पटेल