आरटीआई कानून का मखौल बना रही मप्र सरकार: दिग्विजय
मध्यप्रदेश में सूचना के अधिकार का उपयोग कर शासकीय विभागों से जानकारी प्राप्त करने की जद्दोजहद करने वाले भटक रहे है, क्योंकि राज्य सरकार सूचना आयुक्तों के रिक्त सभी पदों को भरने में रूचि नहीं दिखा रही है। उक्त आरोप लगाते हुये मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने मुख्यमंत्री से मांग की है कि शीघ्र बैठक कर सूचना आयुक्त के सभी रिक्त 6 पद भरे जाये। उन्होंने जारी विज्ञप्ति में आरोप लगाया कि पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह के कार्यकाल में 2005 में सूचना का अधिकार अधिनियम पूरे देश में लागू कर शासन-प्रशासन में पारदर्शिता लाने का ऐतिहासिक कदम उठाया गया था। इस कानून के पालन में राज्य सरकारों को अपने- अपने राज्यों में मुख्य सूचना आयुक्त एवं सूचना आयुक्तों की नियुक्ति की जानी थी। लेकिन मप्र में कभी स्वीकृत पूरे पद भरे ही नहीं गए हैं।
सीएम का सपना देखने वाले कमल पटेल बने सांसद प्रतिनिधि
5 बार के हरदा से विधायक रहे और दो बार मंत्री बनने के साथ ही मुख्यमंत्री बनने की चाहत रखने वाले पूर्व मंत्री कमल पटेल सांसद प्रतिनिधि बना दिए गए हैं और वह सहर्ष इस जिम्मेदारी को निभाने तैयार भी हो गए, जबकि इस पद को पार्षद से भी कम आंका जाता है। कमल पटेल को सांसद प्रतिनिधि बनाने का काम केंद्रीय राज्य मंत्री दुर्गादास उइके ने किया है। पटेल के सांसद प्रतिनिधि बनते ही राजनीतिक गलियारों में चर्चा का बाजार गर्म है। कांग्रेस ने कहा कि उनका राजनीतिक जीवन का अंत हो चुका है। वे किसी भी माध्यम से सत्ता में बने रहना चाहते हैं। पूर्व मंत्री एवं सांसद प्रतिनिधि कमल पटेल ने इस मामले में कहा- मुझे जिम्मेदारी मिली तो कांग्रेस के पेट में दर्द क्यों हो रहा है।
भाजपा विधायक जैन के साथ 15 लाख की धोखाधड़ी
भाजपा विधायक देवेंद्र जैन की तेन्दूपत्ता फर्म के साथ धोखाधड़ी का मामला सामने आया है। पश्चिम बंगाल और उत्तर प्रदेश की तेन्दूपत्ता खरीदने वाली दो फर्मों ने विधायक की फर्म से 15 लाख 45 हजार रुपए की धोखाधड़ी की है। विधायक के मुनीम की शिकायत पर कोतवाली पुलिस ने पांच लोगों के खिलाफ धोखाधड़ी की धाराओं में मामला दर्ज किया है। विधायक देवेंद्र जैन के मुनीम कैदार शर्मा के मुताबिक, पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद में रहने वाले सुकीर्ती और शानू कपाडिया ने 12 लाख 83 हजार 250 रूपए के 350 तेन्दूपत्ता बैग खरीदे थे। इसके अतिरिक्त 2 लाख 50 हजार रुपए नगद उधार लिए थे। बाद में दोनों ने फर्म को 7 लाख 16 हजार 745 रुपए वापस कर दिए थे। लेकिन बाकी 8 लाख 16 हजार 765 रूपए फर्म को वापस नहीं लौटाए।
शिवराज के गृह जिले की 19 करोड़ की सिंचाई परियोजना निरस्त
शिवराज सिंह चौहान ने मुख्यमंत्री कार्यकाल के दौरान अपने गृह जिले सीहोर में जिस सिंचाई परियोजना को मंजूरी दी थी, उसे मोहन यादव सरकार ने निरस्त कर दिया है। केंद्रीय मंत्री शिवराज के गृह जिले में 19 करोड़ से अधिक लागत की कंपनियां नहर रहित लघु सिंचाई परियोजना मंजूर की थी, जिसे निरस्त कर दिया है। इसके साथ ही सीएम मोहन यादव के गृह जिले उज्जैन और इंदौर में 11 परियोजनाओं को मंजूरी दी गई हैं। जल संसाधन विभाग ने परियोजना को निरस्त कर आदेश में कहा है कि मुख्य अभियंता से प्राप्त प्रस्ताव अनुसार इस परियोजना का कमांड नर्मदा घाटी विकास प्राधिकरण के अंर्तगत आईएसपी पार्वती लिंक परियोजना से ओव्हरलेप होने के कारण स्थायी वित्त समिति द्वारा 29 अगस्त 2024 को इस परियोजना की प्रशासकीय स्वीकृति निरस्त करने की मंजूरी दी है।