बिहार में कथित तौर पर ज़हरीली शराब पीने से सीवान में 28 और सारण में सात लोगों की मौत हुई है. विपक्षी नेताओं ने ऐसी मौतों के बढ़ते मामलों को लेकर राज्य सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि शराबबंदी नीतीश कुमार के संस्थागत भ्रष्टाचार का एक छोटा-सा नमूना है.
नई दिल्ली: बिहार के सीवान और सारण जिलों में कथित तौर पर अवैध शराब पीने से 10 और लोगों की मौत हो गई, जिससे जहरीली शराब पीने से मरने वालों की संख्या 35 हो गई.
समाचार एजेंसी पीटीआई की रिपोर्ट के मुताबिक, सारण रेंज के डीआईजी नीलेश कुमार ने शुक्रवार को बताया कि सीवान में 28 लोगों की मौत हुई है, जबकि सारण में सात लोगों की मौत की खबर है.
उन्होंने कहा, ‘सीवान जिले के मगहर और औरिया पंचायतों में संदिग्ध अवैध शराब पीने से अब तक 28 लोगों की मौत हो चुकी है. सारण जिले के मशरख थाना क्षेत्र के इब्राहिमपुर इलाके में भी संदिग्ध जहरीली शराब पीने से सात लोगों की मौत हो गई.’
स्थानीय पुलिस अधिकारियों ने नाम न बताने की शर्त पर दावा किया कि दोनों जिलों के 25 से अधिक लोग अभी भी सीवान, सारण और पटना जिलों के विभिन्न अस्पतालों में अपनी जिंदगी के लिए संघर्ष कर रहे हैं.
हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, प्रारंभिक जांच में पता चला है कि शराब में औद्योगिक स्प्रिट में मिथाइल एल्कोहल मिलाया गया था.
इस बीच, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने डीजीपी आलोक राज और आबकारी एवं निषेध विभाग के अधिकारियों के साथ उच्च स्तरीय समीक्षा बैठक की है और सभी शीर्ष अधिकारियों को व्यक्तिगत रूप से घटनास्थल का दौरा करने और स्थिति का आकलन करने को कहा. उन्होंने डीजीपी को अपराधियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने का भी निर्देश दिया.
डीजीपी ने कहा, ‘घटना के बाद दो विशेष जांच दल भी गठित किए गए हैं. स्थानीय स्तर पर गठित दल ताजा प्रकरण में शामिल अपराधियों की जांच करेगा. पटना में मद्य निषेध विभाग द्वारा एक और एसआईटी गठित की गई है, जो हाल के दिनों में हुई ऐसी सभी घटनाओं का व्यापक अध्ययन करेगी, जिसके आधार पर कार्रवाई की योजना बनाई जाएगी.’
पीटीआई के अनुसार, दोनों जिलों में हुई घटनाओं के सिलसिले में पुलिस ने अब तक करीब 15 लोगों को गिरफ्तार किया है. घटना के बाद दोनों जिलों के प्रशासन ने मगहर, औरिया और इब्राहिमपुर इलाकों के तीन चौकीदारों को निलंबित कर दिया है.
एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने बताया कि कम से कम पांच पुलिसकर्मियों को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है.
विपक्षी नेताओं ने नीतीश कुमार की सरकार पर निशाना साधा
बिहार में विपक्षी नेताओं ने शराब से होने वाली मौतों के बढ़ते मामलों और बिहार में शराबबंदी के असर को लेकर नीतीश कुमार और राज्य की भाजपा गठबंधन सरकार पर हमला बोला.
राजद नेता तेजस्वी यादव ने शुक्रवार को एक्स पर एक पोस्ट में कहा कि बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को राज्य में हुई ताजा मौतों के लिए दोषी ठहराया जाना चाहिए. यह एक सामूहिक हत्या है.
उन्होंने लिखा, ‘शराबबंदी नीतीश कुमार के संस्थागत भ्रष्टाचार का एक छोटा सा नमूना है. अगर शराबबंदी हुई है तो इसे पूर्ण रूप से लागू करना सरकार का दायित्व है लेकिन मुख्यमंत्री की वैचारिक व नीतिगत अस्पष्टता, कमजोर इच्छाशक्ति तथा जनप्रतिनिधियों की बजाय चुनिंदा अधिकारियों पर निर्भरता के कारण आज बिहार में शराबबंदी सुपरफ्लॉप है. सत्ताधारी नेताओं-पुलिस और शराब माफिया के नापाक गठजोड़ के कारण बिहार में 𝟑𝟎 हज़ार करोड़ से अधिक अवैध शराब का काला बाजार फला-फूला है.’
उन्होंने सवाल किया, ‘राज्य सरकार के रिकॉर्ड के अनुसार, नकली शराब पीने से मरने वालों की संख्या 300 से अधिक है. उनका हत्यारा कौन है?’
कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी वाड्रा ने भी मौतों को लेकर एनडीए सरकार पर निशाना साधा और कहा कि राज्य में शराबबंदी लागू है, लेकिन नकली शराब का अवैध कारोबार धड़ल्ले से चल रहा है.
कांग्रेस विधायक अजीत शर्मा ने कहा, ‘राज्य में एक गठजोड़ चल रहा है और माफियाओं ने अवैध शराब की तस्करी और कारोबार के ज़रिए समानांतर अर्थव्यवस्था विकसित कर ली है. सरकार माफियाओं पर लगाम लगाने में विफल रही है. वह इस बात से खुश है कि बिहार कागजों पर शराबबंदी वाला राज्य है और उसे इस बात की कोई परवाह नहीं है कि यह प्रभावी है या नहीं.’
गौरतलब है कि बिहार विधानसभा चुनाव से पहले मुख्यमंत्री नीतीश कुमार द्वारा प्रदेश की महिलाओं से किए गए वादे के अनुसार अप्रैल 2016 में जदयू नीत सरकार ने राज्य में शराब की बिक्री और खपत पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगा दिया था. हालांकि, मिलावटी या जहरीली शराब से लोगों के बीमार पड़ने या मौत की घटनाएं लगातार सामने आती रही हैं.
पिछले साल नवंबर में सीतामढ़ी जिले के तीन पड़ोसी गांवों में हुई संदिग्ध जहरीली शराब त्रासदी में कम से कम पांच लोगों की मौत हो गई थी. इससे पहले सितंबर महीने में बिहार के मुजफ्फरपुर जिले में जहरीली शराब की घटना में दो लोगों की मौत हो गई थी और दो अन्य की आंखों की रोशनी चली गई थी.
इस साल अप्रैल महीने में मोतीहारी जिले में जहरीली शराब पीने से 26 लोगों की मौत हुई थी. इससे पहले जनवरी महीने में सीवान जिले में जहरीली शराब पीने से चार लोगों की मौत हो गई थी.
इस तरह की मौतों का सिलसिला उससे पहले भी देखा गया था. दिसंबर 2022 में जहरीली शराब पीने से दो जिलों में आठ लोगों की मौत का मामला सामने आया था. इनमें से सिवान जिले में छह लोगों की मौत हो गई थी, जबकि बेगूसराय में दो अन्य लोगों की जान गई थी.
दिसंबर 2022 में ही छपरा (सारण) जिले में जहरीली शराब पीने से कथित तौर पर करीब 50 लोगों की जान चली गई थी. इस घटना के बाद बिहार विधानसभा में सत्ता पक्ष और विपक्ष में आरोप-प्रत्यारोप लगाए गए थे.