प्रदेश में संभाग से लेकर तहसीलों तक का बदल जाएगा नक्शा

लोगों को मिलेगी राहत, समय और पैसों की भी होगी बचत

मंगल भारत। मनीष द्विवेदी। मुख्यमंत्री डां मोहन यादव चाहते हैं कि उनके राज्य में जनता को अधिक से अधिक सुविधाएं मिले और आमजन की समस्याओं का समय पर बगैर परेशान हुए समाधान हो। उनकी इसी सोच की वजह से अब प्रदेश में नया परिसीमन आयोग बनाया गया है, जिसकी वजह से यह तय है कि प्रदेश में संभाग से लेकर तहसीलों तक का नक्शा बदलेगा। इससे प्रदेश में संभाग, जिले और तहसीलों में वृद्धि होना तय है। दरअसल मौजूद समय में कई ऐसे जिले और संभाग है जिनमें विसंगति के चलते लोगों को अपने कामों के लिए सौ -सौ किलोमीटर तक की दूरी तय करनी पड़ती है। इन्हें पास के जिले की जगह लंबी दूरी वाले जिला मुख्यालय में शामिल किया हुआ है। इससे लोगों का समय और पैसा दोनों ही बर्बाद होते हैं। मुख्यमंत्री डां मोहन यादव पहले ही कह चुके हैं कि कई टोले, मजरे और पंचायतों के लोगों को जिला, संभाग, तहसील, विकासखंड जैसे मुख्यालयों तक पहुंचने के लिए 100 से 150 किमी का चक्कर लगाना पड़ रहा है, जबकि ऐसे क्षेत्रों से दूसरे जिले, संभाग, विकासखंड और तहसील मुख्यालय नजदीक हैं। कई संभाग बड़े-छोटे हो गए हैं। ऐसी विसंगतियां दूर करने के लिए नया परिसीमन आयोग बनाया गया है। इसके माध्यम से नजदीकी जिला मुख्यालय से जोडक़र जनता की बेहतरी के लिए जो अच्छा हो सकता है, वह करना है। नए परिसीमन आयोग की रिपोर्ट आने पर माना जा रहा है कि प्रदेश में कम से कम एक संभागीय मुख्यालय और तीन नए जिले बनना तय है। इसी तरह से करीब एक दर्जन से अधिक नई तहसीलों का भी गठन होगा। इसके अलावा राजस्व स्तर पर भी बड़ा बदलाव किया जाएगा। दरअसल, प्रदेश के संभाग, जिले और तहसीलों के नए सिरे से सीमांकन के लिए इसी साल सितंबर में सरकार ने प्रशासनिक इकाई पुनर्गठन आयोग बनाया है। रिटायर्ड आईएएस मनोज श्रीवास्तव और मुकेश कुमार शुक्ला इसके सदस्य बनाए जा चुके हैं। पुर्नगठन आयोग भोपाल, सागर और ग्वालियर संभाग के जिलों के कलेक्टर्स के साथ बैठक कर चुका है। इसी महीने बाकी संभागों की भी बैठकें होंगी। इसके बाद जिला स्तर पर प्रक्रिया पूरी कर आयोग सरकार को अपनी रिपोर्ट देगा। आयोग बनने से उन जगहों के लोगों को जरुर नई संभावनाएं नजर आने लगी हैं, जो जिला से लेकर तहसील तक के गठन की मांग लंबे समय से करते आ रहे हैं। इसमें सिरोज, बीना, पिपरिया के लोग शामिल हैं। यह वे शहरी इलाके हैं जहां के लोगों को अभी अपने कामों के लिए 70 से लेकर सौ किलोमीटर तक की दूरी तय कर जिला मुख्यालय पहुंचना होता है। लगभग यही हाल कई गांवों के भी हैं।
अगर सिंरोज की बात की जाए तो सिरोंज तहसील विदिशा जिला मुख्यालय से 85 किलोमीटर दूर है। स्थानीय लोगों को प्रशासनिक कार्यों के लिए विदिशा आने में समय और पैसों बरबादी होती है। सिरोंज को नया जिला बनाने की मांग लंबे समय से की जा रही है। नए जिले को अस्तित्व में आने पर लटेरी तहसील और सबसे बड़ी ग्राम पंचायत आनंदपुर को इसमें शामिल किया जा सकता है। इसी तरह से पिपरिया नर्मदापुरम जिले में आता है। जिला मुख्यालय से पिपरिया की दूरी करीब 70 किमी है। पिपरिया से नर्मदापुरम तक आने जाने में एक तरफ से दो से लेकर ढाई घंटे तक का समय लगता है। पिपरिया को भी जिला बनाने की मांग कई साल से की जा रही है। पिछले साल विधानसभा चुनाव के दौरान पिपरिया को जिला बनाने की मांग को लेकर धरना, प्रदर्शन और हड़ताल तक हो चुकी है। इसी तरह से विश्व प्रसिद्ध पर्यटन स्थल सांची भी विदिशा में शामिल किया जा सकता है। अभी वह रायसेन जिले के तहत आता है। सांची की रायसेन की दूरी करीब 23 किमी है, जबकि विदिशा की दूरी महज 10 किमी है। उधर, बीन को जिला बनाने की मांग भी लंबे समय से की जा रही है। सरकार भी तैयार है, लेकिन राजनैतिक कारणों की वजह से इसकी घोषणा अटकी हुई है। अब आयोग इसके लिए अनुशंसा कर सकता है। कांग्रेस विधायक निर्मला सप्रे ने बीना को जिला बनाने की मांग को लेकर ही भाजपा में शामिल हुई थीं। दरअसल, बीना की जिला मुख्यालय सागर से दूरी 75 किमी है। बीना नया जिला बनता है तो खुरई, बीना, मालथौन, बांदरी, कुरवाई, पठारी और प्रस्तावित खिमलासा तहसील को इसमें शामिल किया जा सकता है।
बुधनी से नजदीक नर्मदापुरम
पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से जुड़ी तहसील बुधनी का जिला मुख्यालय सीहोर है। बुधनी-सीहोर की दूरी 106 किलोमीटर है। जाहिर है कि बुधनी के लोगों को जिला मुख्यालय तक आने-जाने में बहुत दिक्कत होती है। बुधनी की दूरी नर्मदापुरम से सिर्फ 8 किलोमीटर है। ऐसे में संभावना है कि बुधनी को नर्मदापुरम में शामिल कर लिया जाए। इसी तरह से अभी धार जिले की कुक्षी तहसील को बड़वानी जिले में शामिल किए जाने का प्रस्ताव है। दरअसल, धार से कुक्षी की दूरी 102 किमी है जबकि बड़वानी से महज 27 किमी। कुक्षी के लोगों को धार जाने के लिए 2 घंटे का सफर तय करना पड़ता है। इसके अलावा बड़वानी जिले से 50 किमी के दायरे में मनावर, डही, गंधवानी, निसरपुर, कड़माल सहित अन्य गांव भी आते हैं। तत्कालीन मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के कार्यकाल में कुक्षी को नए बनने वाले बड़वानी जिले में जोड़ा जा रहा था लेकिन राजनीतिक कारणों के चलते यह नहीं हो सका।
चित्रकूट नई तहसील बनेगी
चित्रकूट सतना जिले में आता है। 24 नवंबर को यह सतना की नौवीं तहसील बनेगा। राजस्व विभाग ने इसके लिए अधिसूचना जारी कर दी है। चित्रकूट तहसील को मझगंवा को तोडक़र बनाया गया है। इसमें 111 गांव होंगे, जो 34 पटवारी हलकों के अंतर्गत आएंगे। इसी तरह से चित्रकूट तहसील की पूर्वी सीमा उप्र और मझगवां से जुड़ेगी, जबकि पश्चिमी सीमा उत्तर प्रदेश और एमपी के पन्ना जिले की अजयगढ़ तहसील से जुड़ेगी। तहसील के दक्षिण में मझगवां तहसील और पन्ना तहसील पड़ेगी। चित्रकूट तहसील की उत्तरी सीमा उत्तर प्रदेश से जुड़ी रहेगी। नर्मदापुरम संभाग में सिर्फ तीन जिले नर्मदापुरम, हरदा और बैतूल हैं। इससे नरसिंहपुर जिले की सीमाएं लगी हुई हैं। फिलहाल, नरसिंहपुर का संभागीय मुख्यालय जबलपुर है। नर्मदापुरम संभाग में नरसिंहपुर जिला शामिल किया जा सकता है। इसी तरह से अभी जबलपुर संभाग में 9- जबलपुर, कटनी, नरसिंहपुर, छिंदवाड़ा, बालाघाट, मंडला, सिवनी, डिंडोरी और पांढुर्णा जिले हैं। इसी तरह शहडोल में तीन जिले- शहडोल, उमरिया और अनूपपुर हैं, डिंडोरी जिला शहडोल से सटा हुआ है। इसे जबलपुर संभाग से अलग कर शहडोल में मिलाया जा सकता है।
निमाड़ बन सकता है प्रदेश का 11वां संभाग
निमाड़ को संभागीय मुख्यालय बनाने की तैयारी है। 12 साल पहले 2012 में निमाड़ को संभाग बनाने की मांग उठी थी। इसके बाद राजस्व विभाग ने खरगोन जिला प्रशासन से प्रस्ताव मांगा था। खरगोन के तत्कालीन कलेक्टर अशोक वर्मा ने सितंबर 2016 में प्रस्ताव बनाकर भेजा था लेकिन कुछ संशोधनों का हवाला देकर इसे लौटा दिया गया। इसके बाद फिर नया प्रस्ताव सरकार को भेजा गया था। अब आयोग इस दिशा में आगे बढ़ सकता है।