अब नक्सलियों ने एक और टाइगर रिजर्व पर किया कब्जा

कान्हा के बाद संजय टाइगर रिजर्व में भी बड़ी हलचल

भोपाल। मंगल भारत। प्रदेश के कान्हा टाइगर रिजर्व के बाद अब नक्सलियों ने अपना नया ठिकाना संजय टाइगर रिजर्व को बनाना शुरु कर दिया है। यह हम नहीं बल्कि वहां आसपास रहने वाले लोग कह रहे हैं। उनका कहना है कि बीते कुछ समय से माड़ा के जंगल के आसपास कुछ नए चेहरे दिख रहे हैं। यह लोग कौन हैं और कहां से आए हैं कोई नहीं जानता है। दरअसल इन दिनों छत्तीसगढ़ और महाराष्ट्र में सुरक्षाबलों ने भारी दबाब बना रखा है, जिसकी वजह से नक्सलियों को सुरक्षित जगह की तलाश बनी हुई है। इसी वजह से वे अपना ठिकाना मप्र में बना रहे हैं। यही वजह है कि प्रदेश में नक्सलियों द्वारा दो चार पुरानी वारदातों को छोड़ दिया जाए तो लंबे समय से कोई बड़ी वारदात नहीं की गई है। बारिश और अन्य मौकों बे मौकों परर नक्सली मप्र आते हैं और यहां पर अपना ठिकाना बनाकर रहने लगते हैं। पुलिस व सरकार भी ऐसे मामलों में लगातार नजर बनाए रखती है, जिसकी वजह से कई बड़े नक्सली मारे गए और पकड़े भी जा चुके हैं। दरअसल 4 अक्टूबर को छत्तीसगढ़ के नारायणपुर-दंतेवाड़ा में सुरक्षाबलों और नक्सलियों के बीच हुई मुठभेड़ में 31 नक्सली मारे गए थे। इसके बाद छत्तीसगढ़ से सटे मध्यप्रदेश और महाराष्ट्र में हाई अलर्ट जारी किया गया। दरअसल, जब भी नक्सलियों के साथ सुरक्षाबलों की मुठभेड़ होती है वे अपने लिए सुरक्षित ठिकाने की तलाश करते हैं। नक्सल ऑपरेशन से जुड़े अधिकारियों के मुताबिक मप्र के बालाघाट, मंडला और डिंडौरी जिलों को नक्सली अपने सुरक्षित ठिकाने के तौर पर इस्तेमाल करते हैं। दरअसल, नक्सलियों ने साल 2015-16 में महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ (एमएमसी) क्षेत्र बनाया था। ये क्षेत्र छत्तीसगढ़ के राजनांदगांव, खैरागढ़, कवर्धा से लेकर मनेंद्रगढ़ और कोरिया जिले तक फैला है। महाराष्ट्र का गोंदिया, छत्तीसगढ़ का राजनांदगांव और मप्र का बालाघाट (जीआरबी) नक्सलियों के एमसीसी क्षेत्र का एक हिस्सा है। इससे पहले वे कान्हा के रास्ते बालाघाट, मंडला और डिंडौरी में आते रहे हैं। नक्सलियों ने मंडला के कान्हा टाइगर रिजर्व और छत्तीसगढ़ के भोरमदेव अभयारण्य जिसे केबी कहा जाता है, को अपने लिए विकसित किया है। महाराष्ट्र और छत्तीसगढ़ इंटेलिजेंस से जुड़े दो बड़े अधिकारियों के मुताबिक 20 से 25 नक्सलियों का मूवमेंट सीधी-सिंगरौली से लगे माड़ा जंगल और मंडला के कान्हा नेशनल पार्क के कोर एरिया में देखा जा रहा है। इंटेलिजेंस ब्यूरो (आईबी) के एक अधिकारी ने खुद इन क्षेत्रों का भ्रमण कर इसकी पुष्टि की है।
खुफिया रिपोर्ट में भी हुआ खुलासा
आईबी ने केंद्र सरकार को जो रिपोर्ट दी है उसके मुताबिक कान्हा के जंगल के आसपास नए लोगों को देखे जाने की पुष्टि स्थानीय गांव वालों ने की है। ये पहले से सक्रिय नक्सलियों से अलग लोग हैं। इससे साफ है कि बस्तर में बढ़ते दबाव के बाद नक्सली इस क्षेत्र में शरण लेने आ रहे हैं। छत्तीसगढ़ में नक्सलियों के खिलाफ चलाए जा रहे ऑपरेशन के बाद माओवादियों को बड़ा नुकसान हुआ है। कई नक्सलियों के मारे जाने के बाद अब बड़ी संख्या में वे मध्य प्रदेश को अपने लिए सुरक्षित ठिकाना बना रहे हैं। रिपोर्ट के मुताबिक बालाघाट, मंडला और डिंडौरी में नक्सलियों के नए कैडर तैयार हो रहे हैं। नक्सली दलम-2 के नाम से इसे विस्तार दे रहे हैं। यही वजह है कि बीते दिनों सीएम मोहन यादव ने केंद्र से 2 बटालियन सीआरपीएफ (केंद्रीय रिजर्व बल) की मांग की हैं। दोनों बटालियन बालाघाट, मंडला और डिंडौरी के घोर नक्सल एरिया में तैनात होंगी। पूर्व में छत्तीसगढ़ तक फैला माड़ा का जंगल नक्सलियों का ठिकाना हुआ करता था। इस क्षेत्र में नक्सलियों को विस्तार दलम का नाम भी दिया जा रहा था। बाद में हुई पड़ताल के बाद नक्सलियों के मूवमेंट पर तो मुहर लगी, लेकिन विस्तार दलम की बात सामने नहीं आई। इसके बाद सीधी, सिंगरौली से हॉक फोर्स के जवानों को ट्रांसफर कर बालाघाट भेज दिया गया था। इसी तरह मंडला, डिंडौरी में भी नक्सलियों का मूवमेंट वर्तमान में सीमित हो चुका है। कभी कभार मंडला के कान्हा नेशनल पार्क और डिंडौरी से अमरकंटक में नक्सलियों के होने की पुष्टि होती रही है।