अपनों के सवालों ने भी बढ़ा दीं मुश्किलें.
मंगल भारत। मनीष द्विवेदी। केंद्रीय मंत्री और मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की छवि एक ऐसे नेता की रही है, जो किसानों के मुद्दों पर सक्रिय रहे हैं और वे खुद को किसान पुत्र बताने में पीछे नहीं रहते हैं। लेकिन, अब जब किसान आंदोलन और उनके अधिकारों के सवाल उठ रहे हैं, तो केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान को अपनों और विपक्ष दोनों से आलोचना का सामना करना पड़ रहा है। उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने मुंबई में एक कार्यक्रम के दौरान किसानों के मुद्दे पर सवाल उठाए और कृषि मंत्री से इस बारे में जवाब मांगा। उन्होंने कहा कि किसानों को उनके उत्पादों का उचित मूल्य क्यों नहीं मिल रहा है? यह गंभीर मुद्दा है, जिसे हल्के में नहीं लिया जा सकता। केंद्रीय मंत्री और मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की छवि एक ऐसे नेता की रही है, जो किसानों के मुद्दों पर सक्रिय रहे हैं। लेकिन, अब जब किसान आंदोलन और उनके अधिकारों के सवाल उठ रहे हैं, तो केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान को अपनों और विपक्ष दोनों से आलोचना का सामना करना पड़ रहा है। उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने मुंबई में एक कार्यक्रम के दौरान किसानों के मुद्दे पर सवाल उठाए और कृषि मंत्री से इस बारे में जवाब मांगा। उन्होंने कहा कि किसानों को उनके उत्पादों का उचित मूल्य क्यों नहीं मिल रहा है? यह गंभीर मुद्दा है, जिसे हल्के में नहीं लिया जा सकता।
किसान आंदोलन से उठ रहे सवाल
हाल ही में झारखंड विधानसभा चुनाव में भाजपा की हार और शिवराज सिंह चौहान द्वारा बुधनी सीट पर पार्टी के संघर्ष ने उनकी राजनीतिक छवि को चुनौती दी है। जानकारों का कहना है कि झारखंड में चुनाव में हार के फैक्टर अलग थे। वहीं, बुधनी की जनता शिवराज को चाहती है और शिवराज के बराबर वोट भाजपा के किसी भी उम्मीदवार को नहीं मिले थे। हालांकि, उन्होंने लाड़ली बहना योजना जैसी पहल के जरिए 2023 के मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव में भाजपा को बड़ी जीत दिलाई, लेकिन अब किसान मुद्दे पर उनके खिलाफ सवाल खड़े हो रहे हैं। ऐसे में शिवराज सिंह चौहान के लिए यह महत्वपूर्ण होगा कि वे किसानों की समस्याओं का समाधान जल्द से जल्द करें, ताकि विपक्ष को जवाब दिया जा सके।
शिवराज से समस्या हल करने की उम्मीद
उपराष्ट्रपति जगदीप कृषि पृष्ठभूमि से आते हैं। उनकी किसान संगठनों के प्रतिनिधियों से मुलाकात होती रहती है, जिसका उल्लेख उन्होंने किया है। उसी दिन किसान दिल्ली आ रहे थे। यही वजह है कि उन्होंने पिछली सरकार के किसानों से किए वादों को लेकर सवाल किया हालांकि, तब शिवराज सिंह केंद्रीय कृषि मंत्री नहीं थे। शिवराज सिंह चौहान किसान परिवार से आते हैं और अच्छी बात है कि देश को ऐसा कृषि मंत्री मिला है। कृषि मंत्री किसानों की आय बढ़ाने को लेकर काम करने का भी दावा करते हैं। उन्होंने हर मंगलवार को किसानों से मिलने का दिन तय किया है। वे किसान पंचायत भी लगा रहे हैं। इन सब प्रयासों से किसानों को साधने का प्रयास कर रहे हैं। इसके बाद भी किसानों की समस्याएं जस की तस बनी हुई हैं।
कांग्रेस ने शिवराज सिंह पर हमला तीखा बोला
उपराष्ट्रपति के बयान के बाद कांग्रेस ने भी शिवराज सिंह चौहान को घेरना शुरू कर दिया है। मध्य प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी ने कहा कि शिवराज सिंह चौहान झूठ बोलने वाले सबसे बड़े नेताओं में से एक हैं। वे किसानों से किए गए वादों को निभाने में नाकाम रहे हैं। पटवारी ने यह भी आरोप लगाया कि चौहान ने संसद में बयान दिया था कि प्रधानमंत्री मोदी की सरकार किसानों को लागत से डबल समर्थन मूल्य देती है, जबकि उनका दावा उपराष्ट्रपति के बयान से उलट है। पटवारी ने कहा कि अब या तो उपराष्ट्रपति की भावना ठीक नहीं थी या केंद्रीय मंत्री ने शिवराज सिंह चौहान ने संसद में झूठ बोला। माननीय उपराष्ट्रपति ने सार्वजनिक मंच से किसानों की असल स्थिति को आईने की तरह साफ कर दिया है! बड़े -बड़े दावे करने वाली मोदी सरकार और कृषि मंत्री के कागजी वादों का कच्चा चि_ा माननीय उप राष्ट्रपति जी ने खोल कर रख दिया!