किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल बीते दस दिनों से खनौरी बॉर्डर पर किसानों की मांगों को लेकर आमरण अनशन पर हैं. अब किसान संगठनों ने उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ को लिखे पत्र में कहा है कि वे एमएसपी की गारंटी समेत उनकी अन्य मांगे पूरी करने के लिए केंद्र सरकार को दिशानिर्देश दें.
नई दिल्ली: दिल्ली की सीमाओं पर न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की गारंटी और स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों को लागू करवाने के लिए प्रदर्शन कर रहे किसानों ने एक बार फिर देश की राजधानी दिल्ली की ओर कूच करने का फैसला किया है.
किसान संगठन, संयुक्त किसान मोर्चा (गैर-राजनीतिक) और किसान मजदूर मोर्चा के अनुसार, किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल बीते दस दिनों से खनौरी बॉर्डर पर किसानों की मांगों को लेकर आमरण अनशन पर बैठे हुए हैं. उनका कहना है कि अगर केंद्र सरकार उनकी मांगों को पूरा नहीं करती, तो वे खनौरी बॉर्डर पर ही अपने प्राण त्याग देंगे.
इस बीच किसान संगठनों ने दिल्ली कूच से पहले खनौरी बॉर्डर से उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ को एक पत्र लिखा है, जिसमें किसान नेताओं ने उपराष्ट्रपति का किसानों के मुद्दों पर बयान देने के लिए शुक्रिया अदा करते हुए आने वाले समय में उनसे इन मुद्दों को लेकर केंद्र सरकार को जरूरी दिशानिर्देश देने की बात कही है.
मालूम हो कि उपराष्ट्रपति धनखड़ ने एक कार्यक्रम के दौरान कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान को लेकर तीखी टिप्पणी की थी. उन्होंने कहा था कि वे किसानों से संवाद नहीं कर रहे. किसानों से किए वादों को पूरा नहीं करने पर धनखड़ ने सवाल उठाते हुए इसके लिए सरकार की ओर से कोई ठोस कदम नहीं उठाए जाने को लेकर भी दुख व्यक्त किया था.
हालांकि, इसके कुछ दिन बाद ही उपराष्ट्रपति ने शिवराज सिंह की तारीफ करते हुए उन्हें किसानों का लाडला बता दिया.
इस पत्र में किसानों ने स्पष्ट किया है कि एमएसपी की गारंटी और स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों के साथ ही अन्य मांगे, जिसे लेकर वे प्रदर्शन कर रहे हैं, ये सिर्फ उनकी मांगें नहीं बल्कि अलग-अलग समय पर किसानों से किए सरकार के वायदे हैं, जिसे पूरा नहीं किया जा रहा है. इस पत्र में किसानों ने कई तथ्यों को भी संलग्न किया है, जो उनकी मांगों का आधार है.
स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशें न यूपीए और न ही मोदी सरकार ने लागू कीं
किसानों का कहना है कि 2011 में जब नरेंद्र मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री पद पर रहते हुए उपभोक्ता मामलों की कमेटी के चेयरमैन थे, तो उन्होंने तत्कालीन प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह को रिपोर्ट भेजकर कहा था कि किसी भी व्यापारी द्वारा किसी भी किसान की फसल सरकार द्वारा निर्धारित एमएसपी से नीचे नहीं खरीदी जानी चाहिए. किसानों की आत्महत्या रोकने के लिए बनाए गए स्वामीनाथन आयोग ने 2006 में अपनी रिपोर्ट दी, 2014 तक यूपीए की सरकार सत्ता में रही, लेकिन उन्होंने रिपोर्ट लागू नहीं की.
2014 के लोकसभा चुनाव प्रचार के दौरान नरेंद्र मोदी ने वायदा किया था कि वे प्रधानमंत्री बने तो स्वामीनाथन आयोग के C2+50% फॉर्मूले के अनुसार फसलों का एमएसपी तय करेंगे. 2014 में सत्ता में आने के बाद 2015 में सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार ने हलफनामा देकर कहा कि वे स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट लागू नहीं कर सकते हैं.
केंद्र ने कई बार किसानों से वादाखिलाफी की
2018 में पंजाब की चीमा मंडी में 35 दिन धरना देने के बाद में अन्ना हजारे और जगजीत सिंह डल्लेवाल ने दिल्ली के रामलीला मैदान में आमरण अनशन किया था, उस समय तत्कालीन कृषि मंत्री राधा मोहन सिंह और महाराष्ट्र के तत्कालीन मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने प्रधानमंत्री कार्यालय की तरफ से डॉ. जितेंद्र सिंह की साइन की हुई चिट्ठी आंदोलनकारी नेताओं को सौंपी थी, जिसमें साफ तौर पर लिखा था कि केंद्र सरकार 3 महीने में स्वामीनाथन आयोग के C2+50% फॉर्मूले को लागू करेगी, लेकिन 6 साल बीत जाने के बावजूद आज तक उसे लागू नहीं किया गया.
पत्र में 2011 के आंदोलन का जिक्र करते हुए कहा गया है कि 2020-2021 में 378 दिनों तक चले आंदोलन को स्थगित करते समय 9 दिसंबर 2021 को एक चिट्ठी कृषि मंत्रालय की ओर से हमें सौंपी गई थी, जिसमें एमएसपी को प्रभावी बनाने, खेती कार्यों को प्रदूषण कानून से बाहर निकालने, लखीमपुर खीरी के घायलों को उचित मुआवजा देने, बिजली बिल को संसद में पेश करने से पहले किसानों से चर्चा करने और आंदोलनकारी किसानों पर आंदोलन से जुड़े मुकदमे वापस लेने समेत कई लिखित वादे किए गए थे, जो आज तक अधूरे हैं.
इस पत्र में किसानों ने उपराष्ट्रपति से मुलाकात कर उनके सामने भी तथ्य रखने की इच्छा जताई है. किसान नेताओं ने उपराष्ट्रपति से कहा, ‘तमाम सरकारों ने हम से वादाखिलाफ़ी की है. इसलिए अब सरकारों के वादों पर विश्वास नहीं होता और वे सड़कों पर बैठकर आंदोलन करने को मजबूर हैं.’
इन नेताओं ने जगदीप धनखड़ से निवेदन किया कि वे भारत के दूसरे सर्वोच्च पद पर कार्यरत होने के नाते केंद्र सरकार को आदेश दें कि वह किसानों से किए गए वायदे पूरे करे.
9 दिसंबर को मोर्चे के 300 दिन पूरे, किसान सांसदों के घर के सामने करेंगे अनशन
किसान नेताओं का ये भी कहना है कि आगामी 9 दिसंबर को मोर्चे के 300 दिन पूरे होने पर पंजाब को छोड़कर अन्य राज्यों में बड़ी संख्या में किसान जगजीत सिंह डल्लेवाल के अनशन के समर्थन में अपने क्षेत्र के सांसदों के घर के सामने सुबह 8 बजे से शाम 8 बजे तक भूख हड़ताल करेंगे.
किसान नेताओं ने कहा कि पंजाब के किसानों की ड्यूटी खनौरी और शम्भू मोर्चों को निरंतर मजबूत करने के लिए लगाई है.
गौरतलब है कि किसान संगठनों के दिल्ली कूच को लेकर ऐलान के बाद पुलिस अलर्ट है. वहीं, अलग-अलग जगहों से किसानों के जत्थे भी दिल्ली से सटे अलग-अलग बॉर्डर के मोर्चे पर पहुंच रहे है. रविवार (8 दिसंबर) को किसान दिल्ली की ओर बढ़ेंगे. दातासिंहवाला बॉर्डर और अंबाला में बीएनएस की धारा 163 लागू कर दी गई है. वहीं नरवाना, उझाना में थ्रीलेयर बैरिकेडिंग भी कर दी गई है.
मालूम हो कि पंजाब-हरियाणा सीमा पर पुलिस के साथ झड़प में कुछ किसानों के घायल होने के बाद किसानों ने शुक्रवार (6 दिसंबर) को दिल्ली तक अपना पैदल मार्च शनिवार (7 दिसंबर) के लिए स्थगित कर दिया था. इस दौरान प्रदर्शनकारी किसानों को रोकने के लिए पुलिस की ओर से आंसू गैस के गोले छोड़े गए थे. किसान नेताओं ने सरकार को बातचीत के लिए लिए 24 घंटे का समय भी दिया है, जिसके बाद शनिवार को किसानों और सरकार के बीच बातचीत संभव हो सकती है.