समय पर चावल नहीं दिया तो लगेगा जुर्माना

धान की मिलिंग के लिए सरकार ने तय की गाइड लाइन.

प्रदेश में खरीफ विपणन मौसम 2024-25 के लिए धान की खरीदी 2 दिसंबर से शुरू हो गई है। धान कॉमन का न्यूनतम समर्थन मूल्य 2300 और धान ग्रेड-ए का 2320 रुपए प्रति क्विंटल है। किसानों की एफएक्यू गुणवत्ता की उपज इन्हीं दरों पर उपार्जित की जा रही। वहीं सरकार ने धान की मिलिंग के लिए गाइड लाइन भी तय कर दी है। इस बार मिलिंग 30 जून तक होगी यानी इस अवधि में मिलर्स को चावल निकालकर देना होगा। जब मिलर उपार्जन केंद्र या गोदाम से धान उठाएगा, तबसे उसे 20 दिन के भीतर मिलिंग करके चावल जमा करना होगा। ऐसा नहीं करने पर दो रुपये प्रतिदिन प्रति क्विंटल के हिसाब से जुर्माना लगाया जाएगा। यह प्रविधान देश को मिलिंग नीति में पहली बार किया गया है। इसकी वजह समय से मिलिंग करने के साथ भारतीय खाद्य निगम को चावल देकर राशि प्राप्त करना है कि सरकार पर ब्याज का भार न बढ़े। इस बार केंद्र सरकार द्वारा निर्धारित मात्रा के अनुसार प्रदेश में समर्थन मूल्य पर धान की खरीदी 45 लाख मीट्रिक टन की जाएगी। गोदाम स्तर पर खाद्यान्न की गुणवत्ता का परीक्षण उपार्जन एजेंसी के गुणवत्ता सर्वेयर द्वारा स्टेक लगाने के पहले किया जाएगा। परिवहनकर्ता द्वारा उपार्जित खाद्यान्न का परिवहन समय-सीमा में नहीं करने पर पेनाल्टी की व्यवस्था साप्ताहिक रूप से की जाएगी। समर्थन मूल्य पर धान की खरीदी के बाद भुगतान, कृषक पंजीयन के दौरान आधार नम्बर से लिंक बैंक खाते में किया जाएगा। धान उपार्जन अवधि के दौरान पड़ोसी राज्यों से उपार्जन केन्द्र पर लायी जाने वाली उपज की अवैध बिक्री को रोकने के लिए समुचित कार्रवाई के निर्देश कलेक्टर्स को दिए गए हैं।
ऑनलाइन निगरानी की व्यवस्था बनाई गई
खाद्य नागरिक आपूर्ति विभाग के अधिकारियों ने बताया कि सामान्य किस्म की धान 2,300 और ग्रेड ए धान का समर्थन मूल्य 2,320 रुपये प्रति क्विंटल पर खरीदी जाएगी। गुणवत्तायुक्त उपज का ही उपार्जन हो, इसके लिए ऑनलाइन निगरानी की व्यवस्था बनाई गई है। राज्य और जिला स्तर पर उपार्जन पोर्टल पर दर्ज होने वाली उपज संबंधी जानकारी के आधार पर आकलन किया जाएगा। यदि उपज में कचरा, टूटन या नमी अधिक होती है तो उसे लौटा दिया जाएगा।
जब किसान उपज ठीक कराकर निर्धारित मापदंड के अनुसार लाएगा, तब ही उसे स्वीकार किया जाएगा। दरअसल, धान किसान से लेने के बाद उसे चावल बनाने के लिए मिलर्स को दी जाती है। उस समय कई बार नमी, कचरा और टूटन अधिक होने की शिकायत सामने आती है। ऐसी उपज मिलर्स नहीं लेते हैं क्योंकि प्रति क्विंटल धान से 67 किलोग्राम चावल लिया जाता है। जब यह मात्रा नहीं मिलती है तो मिलर्स को नुकसान होता है। यही कारण है कि इस बार गुणवत्तायुक्त उपज की खरीदी पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। सभी उपार्जन केंद्रों पर नमी की जांच करने के लिए नमी मापक यंत्र (मायश्चर मीटर) रखे जाएंगे। उपार्जन के दौरन या उसके बाद होने उपार्जन में होने वाली गड़बडिय़ों को रोकने के लिए खाद्य नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता संरक्षण मंत्री गोविंद सिंह राजपूत, प्रमुख सचिव रश्मि अरुण शमी और आयुक्त सिबि चक्रवर्ती औचक निरीक्षण करेंगे। किसी भी स्तर पर लापरवाही या अनियमितता पाए जाने पर दोषियों के विरुद्ध कड़ी कार्रवाई की जाएगी। उडऩदस्ते भी जिला स्तर पर गठित होंगे, जो उपार्जन केंद्रों का निरीक्षण करेंगे।
उपार्जन केंद्र से मिलर्स को दिया जाएगा धान
नमी जांचने के बाद धान लेकर सीधे उपार्जन केंद्र से ही मिलिंग के लिए मिर्लस को दी जाएगी। इससे परिवहन और भंडारण व्यय में कमी आने के साथ मिलिंग भी समय पर होगी। भारतीय खाद्य निगम ने मिलिंग के लिए अंतिम सीमा जून रखी है। प्रदेश में लगभग 900 मिलर है। कोई भी मिलर मिलिंग करने से सरकार को इन्कार नहीं कर सकता है। यदि वह ऐसा करता है तो उसका पंजीयन और शासन की भूमि पर यूनिट लगी है तो लीज निरस्त की जा सकती है। मिलर को एक क्विंटल धान के बदले में 67 किलोग्राम चावल निकालकर देना होगा। इसके अलावा जो टूटन या कनकी बचेगी, वह मिलर की होगी। इसके अतिरिक्त प्रति क्विंटल 10 रुपये मिलिंग चार्ज केंद्र सरकार द्वारा दिया जाएगा। प्रदेश सरकार 50 रुपये प्रति क्विंटल अलग से प्रोत्साहन राशि देगी।
30 जून तक करनी होगी मिलिंग
उपार्जन के लिए 14 लाख 12 हजार 857 लाख हेक्टेयर धान का क्षेत्र (रकबा) पंजीकृत हुआ है। प्रदेश को प्रतिवर्ष सार्वजनिक वितरण प्रणाली में वितरण के लिए लगभग 15 लाख टन चावल लगता है। इसे बचाने के बाद लगभग 13 लाख टन चावाल होगा, जो सेंट्रल मूल में भारतीय खाद्य निगम को दिया जाएगा। मिलिंग के लिए केंद्र सरकार ने अवधि 30 जून निर्धारित की है। यह अभी तक सितंबर-अक्टूबर रहती थी। अवधि कम होने का मतलब यह हुआ कि कम समय में मिलिंग पूरी कराना होगी। इसके लिए मिलिंग नीति 2024-25 में कई प्रविधान किए गए हैं। मिलर को धान लेने के बाद निर्धारित अवधि में चावल निकालकर देना होगा। यदि नियत अवधि, जो 20 दिन होगा, में आपूर्ति नहीं की जाती है तो फिर जुर्माना लगेगा। यह प्रतिदिन प्रति क्विंटल दो रुपये रहेगा। इतना ही नहीं, एक माह में चावल जमा न कराने पर मिलर की 2,300 रुपये प्रति क्विंटल की दर से लगने वाली प्रतिभूति राशि जब्त कर ली जाएगी। भारतीय खाद्य निगम को दिए जाने वाले चावल की मात्रा 60 प्रतिशत से कम रहती है तो प्रोत्साहन राशि भी नहीं दी जाएगी। विभाग के अधिकारियों का कहना है कि यह प्रविधान इसलिए किए गए हैं ताकि समयसीमा में मिलिंग पूरी हो जाए। उपार्जन केंद्र से सीधे मिलर को धान दी जाएगी। इससे परिवहन और भंडारण का व्यय तो बचेगा ही साथ ही सूखत की समस्या भी नहीं होगी। यह व्यवस्था अन्य राज्यों में भी लागू है।