गुजरात के वडोदरा में महीसागर नदी पर बना गंभीरा पुल बुधवार सुबह अचानक टूट गया जिसके चलते कई गाड़ियां नदी में गिर गईं और नौ लोगों की जान चली गई. वहीं स्थानीय लोगों ने हादसे के लिए प्रशासन की लापरवाही को ज़िम्मेदार ठहराया है.

नई दिल्ली: गुजरात के वडोदरा में महीसागर नदी पर बने गंभीरा पुल के टूट जाने से 9 लोगों की मौत हो गई. यह हादसा बुधवार की सुबह घटित हुआ. मृतकों में एक बच्चा भी शामिल है.
दैनिक भास्कर की रिपोर्ट के मुताबिक 8 लोगों को स्थानीय निवासियों द्वारा बचा लिया गया है. हादसे के समय पुल से गाड़ियां गुजर रही थी. रिपोर्ट्स के अनुसार यह पुल 40 साल पुराना था और यह मध्य गुजरात को सौराष्ट्र से जोड़ता था.
यह घटना सुबह 7:30 के लगभग घटित हुई. इस दौरान पांच गाड़ियां नदी में गिर गई.
अख़बार के अनुसार इस घटना के लिए स्थानीय लोगों ने प्रशासन को जिम्मेदार ठहराया है.
स्थानीय लोगों ने अख़बार से कहा कि ‘45 साल पुराने इस पुल की मरम्मत के लिए प्रशासन को कई बार सूचित किया जा चुका था, लेकिन प्रशासन की तरफ से कोई कार्रवाई न किए जाने के कारण आज यह हादसा हुआ है.’
हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, वडोदरा के कलेक्टर अनिल धमेलिया ने बताया कि बचाव कार्य सुबह से ही शुरू कर दिया गया था. स्थानीय गोताखोर, नावें और नगर निगम की टीम तुरंत मौके पर पहुंच गई थी. उन्होंने बताया कि वडोदरा नगर निगम, इमरजेंसी रिस्पॉन्स सेंटर, राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल, प्रशासन और पुलिस की टीमें मौके पर मौजूद हैं.
उन्होंने कहा, ‘ बचाव अभियान जारी है, अब तक 9 शव बरामद किए जा चुके हैं. 6 लोग घायल हैं, जिन्हें इलाज मुहैया कराया जा रहा है.’
प्रधानमंत्री ने जताया शोक
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को गुजरात के वडोदरा में पुल ढहने की घटना पर शोक व्यक्त किया है. उन्होंने हादसे में जान गंवाने वाले प्रत्येक व्यक्ति के परिजनों को प्रधानमंत्री राष्ट्रीय राहत कोष से 2 लाख रुपये की अनुग्रह राशि देने और घायलों को 50,000 रुपये की सहायता प्रदान करने की घोषणा की है.
प्रधानमंत्री कार्यालय द्वारा जारी एक बयान में कहा गया है, ‘गुजरात के वडोदरा जिले में पुल गिरने से हुई जनहानि अत्यंत दुखद है. जिन परिवारों ने अपने प्रियजनों को खोया है, उनके प्रति संवेदनाएं. घायल जल्द स्वस्थ हों, यही कामना है.
गौरतलब है कि यह हादसा राज्य में हुई कोई पहली पुल दुर्घटना नहीं है. मोरबी में माच्छू नदी पर बना ब्रिटिश काल का केबल पुल 30 अक्टूबर 2022 को ढह गया था, जिसमें 47 बच्चों सहित 135 लोग मारे गए थे और 56 लोग घायल हो गए थे. एक निजी कंपनी द्वारा मरम्मत किए जाने के बाद पुल को 26 अक्टूबर 2022 को लोगों के लिए फिर से खोला गया था, लेकिन इसे नगर पालिका का ‘फिटनेस प्रमाण-पत्र’ नहीं मिला था.
पुल के रखरखाव, रेनोवेशन व संचालन का ठेका ओरेवा समूह की अजंता मैन्युफैक्चरिंग के पास था. बाद में घटना की जांच कर रहे विशेष जांच दल ने हाईकोर्ट में पेश रिपोर्ट में कहा था कि हादसा गंभीर तकनीकी ख़ामियों, ओरेवा कंपनी की चूक के कारण हुआ था. ओरेवा कंपनी ने एक ‘अक्षम एजेंसी’ को काम सौंपा और बिना तकनीकी विशेषज्ञों के परामर्श के काम किया गया.