माओवादियों ने एक बयान जारी कर कहा है कि पिछले एक साल में सुरक्षाबलों के ऑपरेशन में कुल 357 लोगों की मौत हुई है, जिनमें ‘34 ग्रामीण’ शामिल हैं. मारे गए अन्य सभी माओवादियों में 136 महिला माओवादी शामिल हैं. साथ ही उन्होंने 28 जुलाई से 3 अगस्त तक अपने वार्षिक कार्यक्रम ‘शहीद स्मृति सप्ताह’ मनाने की घोषणा की है.

नई दिल्ली: भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी) की केंद्रीय समिति ने 28 जुलाई से 3 अगस्त तक अपने वार्षिक कार्यक्रम ‘शहीद स्मृति सप्ताह’ मनाने की घोषणा करते हुए एक विस्तृत बयान जारी किया है. पार्टी ने इस दौरान अपने मारे गए नेताओं और कार्यकर्ताओं को श्रद्धांजलि देने का आह्वान किया है. साथ ही केंद्र और राज्य सरकारों पर ‘ब्राह्मणवादी हिंदुत्व फासीवाद’ को बढ़ावा देने का आरोप लगाया है. साथ ही, ‘कगार’ नामक संयुक्त सैन्य अभियान को ‘क्रांतिकारी आंदोलन के खिलाफ घोषित युद्ध’ बताया है.
बयान जारी कर पार्टी ने आरोप लगाया है कि पिछले एक साल में सुरक्षाबलों के ऑपरेशन में कुल 357 लोगों की मौत हुई है, जिनमें ‘34 ग्रामीण’ शामिल हैं. मारे गए अन्य 323 माओवादीयों में 136 महिला माओवादी शामिल हैं.
माओवादियों के अनुसार, अधिकांश हत्याएं ‘ऑपरेशन कगार’ और घेराबंदी करके की गई सैन्य कार्रवाइयों के दौरान हुईं. पार्टी का दावा है कि कई लोग मुठभेड़ों के दौरान घायल होकर पकड़े गए और फिर उन्हें ‘नृशंस हत्या’ का शिकार बनाया गया.
23 जून को जारी इस 22 पन्नों के बयान में पार्टी ने कहा है, ‘केंद्र और राज्य सरकारें संयुक्त रूप से पिछले डेढ़ वर्षों से कगार नामक युद्ध चला रही हैं. इस युद्ध के चलते हमें भारी क्षति उठानी पड़ी है. फिर भी हम शहीद सप्ताह (28 जुलाई से 3 अगस्त) को प्रेरणा, क्रांतिकारी आदर्श और संघर्ष की भावना के साथ मना रहे हैं.’
पार्टी के अनुसार, इस दौरान संगठन के महासचिव कॉमरेड बसवराजू सहित चार केंद्रीय समिति सदस्य, 15 राज्य समिति सदस्य और कई अन्य कार्यकर्ता मारे गए हैं. बसवराजू को संगठन का वैचारिक, सैन्य और राजनीतिक रणनीतिकार बताया गया है, जिन्होंने पांच दशकों तक विभिन्न भूमिगत आंदोलनों का नेतृत्व किया था.
बयान में कहा गया है, ‘अपने 51 साल के क्रांतिकारी जीवन में कॉमरेड बसवराजू ने ‘भारतीय क्रांति’ के लिए महान योगदान दिया.’
पार्टी ने अन्य देशों में भी कुछ कम्युनिस्ट नेताओं की मृत्यु का जिक्र करते हुए उन्हें श्रद्धांजलि दी है. साथ ही कहा है कि ‘हमें उनकी विचारधारा और बलिदान को अंतरराष्ट्रीय क्रांति के हिस्से के रूप में देखना चाहिए.’
जारी किए गए इस बयान में मारे गए माओवादियों के आंकड़ों के साथ-साथ उनके जीवन का विस्तृत विवरण भी दिया गया है.
पार्टी के अनुसार, मारे गए कई नेता अलग-अलग राज्य कमेटियों के प्रमुख थे, जिनमें आदिवासी और महिला नेता भी शामिल हैं.
बस्तर क्षेत्र से कॉमरेड नीति (पोट्टुम कोपा) का ज़िक्र करते हुए पार्टी ने कहा है कि उन्होंने ‘बस्तर आंदोलन को नया नेतृत्व दिया था और कई गुरिल्ला कार्रवाइयों में नेतृत्वकारी भूमिका निभाई.’ इसी प्रकार, गुम्मडिवल्ली रेनुका को एक प्रतिबद्ध संपादक और वैचारिक मार्गदर्शक के रूप में याद किया गया है, जिन्होंने ‘क्रांति’ पत्रिका का संपादन किया था.
महिला नेता कॉमरेड जया के बारे में कहा गया है कि उनका नाम बिहार-झारखंड विशेष क्षेत्र समिति में था. पार्टी ने आरोप लगाया है कि उन्हें गिरफ्तारी के बाद ‘उपयुक्त चिकित्सा नहीं दी गई और सरकार ने उन्हें जेल में ही मरने दिया.’
संदेश के अंत में केंद्रीय समिति ने पार्टी के सभी सदस्यों, पीएलजीए के लड़ाकों, जनसंगठनों और आम जनता से ‘शहीद स्मृति सप्ताह’ में शामिल होने का आह्वान किया. पार्टी ने लिखा है, ‘हमे एकजुट होकर ऑपरेशन कगार को विफल करना होगा.’
‘माओवाद के खात्मे’ की समयसीमा
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह द्वारा देश से माओवाद को 31 मार्च, 2026 तक समाप्त करने की समयसीमा निर्धारित किए जाने के बाद, सुरक्षा बल बस्तर में लगातार नक्सल विरोधी अभियान चला रहे हैं.
छत्तीसगढ़ के दुर्गम इलाकों में पिछले कुछ महीनों में सुरक्षाबलों ने कुछ महत्वपूर्ण सैन्य कार्रवाई की है. अभियानों में महत्वपूर्ण सफलता के रूप में सीपीआई (माओवादी) के महासचिव नंबाला केशव राव उर्फ बसवराजू की नारायणपुर जिले में 21 मई को मुठभेड़ में मौत शामिल है.
पिछले वर्षों से हटकर इस वर्ष मानसून के दौरान भी सुरक्षाबलों का अभियान जारी है.