गांव की शिक्षा, अब गाँव के गुरू के हाथ” — राम अवतार पनिका की बेबाक बातचीत | मंगल भारत न्यूज़ विशेष

गांव की शिक्षा, अब गाँव के गुरू के हाथ” — राम अवतार पनिका की बेबाक बातचीत | मंगल भारत न्यूज़ विशेष

खड्डी खुर्द (सीधी)।
शिक्षा सिर्फ डिग्रियों का प्रमाणपत्र नहीं, बल्कि एक सोच है, एक संस्कार है, और इसी सोच के साथ शासकीय पूर्व माध्यमिक विद्यालय खड्डी खुर्द के प्रभारी प्रधानाध्यापक राम अवतार पनिका लगातार शिक्षा को गांव-गांव तक पहुंचाने में लगे हैं।

“मंगल भारत न्यूज़” ने जब उनसे बात की, तो वे न सिर्फ शिक्षाविद के रूप में सामने आए, बल्कि एक ज़मीन से जुड़े इंसान भी दिखाई दिए, जो सीमित संसाधनों में भी बड़े सपने बुन रहे हैं।

खास बातचीत से कुछ मुख्य अंश. आप वीडियो में भी इसे देख सकते हैं जिसका लिंक नीचे मौजूद है उसे पर क्लिक कीजिए और हमारे चैनल मंगल भारत न्यूज़ को सब्सक्राइब करना ना भूले

गांव की शिक्षा, अब गाँव के गुरू के हाथ” — राम अवतार पनिका की बेबाक बातचीत | मंगल भारत न्यूज़ विशेष

आप इस स्कूल के प्रभारी हैं, आपकी सबसे पहली प्राथमिकता क्या रही है?
राम अवतार पनिका:
मेरी पहली प्राथमिकता रही है — विद्यालय में अनुशासन, नियमित उपस्थिति और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा सुनिश्चित करना। बच्चों को आत्मनिर्भर बनाना ही असली शिक्षा है।

गांव के बच्चों में शिक्षा को लेकर उत्साह कैसा है?
राम अवतार पनिका:
पहले कुछ झिझक थी, लेकिन अब बच्चे ही नहीं, माता-पिता भी जागरूक हो रहे हैं। हमारा प्रयास है कि हर बच्चा स्कूल आए, चाहे वो लड़का हो या लड़की।

आपने शिक्षकों की टीम के साथ मिलकर कौन से नवाचार किए?
राम अवतार पनिका:
हमने “ज्ञान समूह”, “हफ्ते में एक प्रेरणा दिवस” और “स्टूडेंट टीचिंग” जैसे प्रयोग शुरू किए हैं। इससे बच्चों में नेतृत्व की भावना और आत्मविश्वास आता है।

खड्डी खुर्द जैसे ग्रामीण क्षेत्र में सबसे बड़ी चुनौती क्या रही?
राम अवतार पनिका:
सबसे बड़ी चुनौती है संसाधनों की कमी। लेकिन हमारे पास जो है, उसी में हम बेहतरीन देने की कोशिश करते हैं। “समर्पण हो तो साधन खुद बन जाते हैं।”

गणित शिक्षक नरेश कुमार साकेत से बातचीत
गणित जैसे विषय को आप बच्चों को कैसे रुचिकर बनाते हैं?

नरेश साकेत:
गणित को कहानी, खेल और रोज़मर्रा की चीज़ों से जोड़ देता हूँ। जैसे खेत की मेढ़ गिनवाना, घर का बजट बनवाना — बच्चे खुद बोलते हैं, “सर आज मज़ा आ गया।”


सबसे बड़ी चुनौती क्या लगती है?

साकेत जी:
बच्चों को ये विश्वास दिलाना कि “गणित डरने का नहीं, समझने का विषय है।” धीरे-धीरे डर खत्म हो रहा है और जिज्ञासा बढ़ रही है।


आपने हाल में कौन सी नई विधि अपनाई?

नरेश साकेत:
हमने “मुक्त अभ्यास मंडल” बनाया है — जहाँ बच्चे आपस में ही गणित के सवालों पर चर्चा करते हैं। इससे नेतृत्व और सोचने की क्षमता दोनों बढ़ती है।