हरियाणा: यौन उत्पीड़न मामले में ज़मानत पर बाहर भाजपा सांसद का बेटा क़ानून अधिकारी नियुक्त

हरियाणा सरकार ने भाजपा के राज्यसभा सांसद सुभाष बराला के बेटे विकास बराला को राज्य का सहायक महाधिवक्ता (एएजी) नियुक्त किया है. विकास साल 2017 के एक मामले में यौन उत्पीड़न के गंभीर आरोपों का सामना कर रहे हैं. इस मामले की सुनवाई चंडीगढ़ की एक अदालत में चल रही है और वे फिलहाल ज़मानत पर हैं.

नई दिल्ली: हरियाणा सरकार ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के राज्यसभा सांसद सुभाष बराला के बेटे विकास बराला को राज्य का सहायक महाधिवक्ता (एएजी) नियुक्त किया है.

हालांकि, एक महत्वपूर्ण पहलू यह है कि विकास साल 2017 के एक मामले में यौन उत्पीड़न के गंभीर आरोपों का सामना कर रहे हैं. उन पर 8 साल पहले एक आईएएस अधिकारी की बेटी का कथित तौर पर पीछा करने और अपहरण का प्रयास करने का आरोप है.

इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, राज्य सरकार द्वारा जारी 18 जुलाई की एक अधिसूचना में विकास का नाम सहायक महाधिवक्ता, उप महाधिवक्ता, वरिष्ठ उप महाधिवक्ता और अतिरिक्त महाधिवक्ता के पदों पर सूचीबद्ध 97 नई नियुक्तियों में शामिल है.

विकास के खिलाफ यौन उत्पीड़न मामले की सुनवाई अभी भी चंडीगढ़ की एक अदालत में चल रही है और वे फिलहाल जमानत पर हैं.

उल्लेखनीय है कि 5 अगस्त 2017 को भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धाराओं के तहत विकास और उनके एक दोस्त आशीष कुमार के खिलाफ मामला दर्ज हुआ था. उन पर धारा 354डी (पीछा करना), धारा 341 (गलत तरीके से रोकना), धारा 365 (अपहरण का प्रयास) और धारा 511 के अलावा नशे में गाड़ी चलाने के आरोप लगे.

इस मामले में महिला की शिकायत के आधार पर सेक्टर 26 पुलिस स्टेशन में एफआईआर दर्ज की गई थी और विकास और आशीष को 9 अगस्त, 2017 को हंगामे के बाद गिरफ्तार कर लिया गया था. उसी वर्ष अक्टूबर में आरोपियों के खिलाफ आरोप तय किए गए थे.

इस बीच विकास को जनवरी 2018 में पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय द्वारा ज़मानत मिलने तक चंडीगढ़ की बुड़ैल स्थित मॉडल जेल में रखा गया. मुकदमे की अगली सुनवाई 2 अगस्त, 2025 को बचाव पक्ष के साक्ष्य दर्ज करने के लिए निर्धारित की गई है.

ज्ञात हो कि हरियाणा कैडर के एक आईएएस अधिकारी की बेटी ने इन दोनों के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई थी. सुभाष बराला उस समय हरियाणा भाजपा के अध्यक्ष थे और राज्य में उनकी पार्टी का शासन था.

घटना के समय विकास लॉ की पढ़ाई कर रहे थे. दिसंबर 2017 में उन्हें उच्च न्यायालय ने कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय से डिग्री परीक्षा देने की अनुमति दी थी.

गौरतलब है कि सुभाष बराला दिसंबर 2014 से जुलाई 2020 तक हरियाणा भाजपा अध्यक्ष रहे. वे अक्टूबर 2019 में फतेहाबाद जिले के टोहाना से विधानसभा चुनाव हार गए और उन्हें हरियाणा लोक उद्यम ब्यूरो का अध्यक्ष नियुक्त किया गया.

इसके बाद फरवरी 2024 में वे हरियाणा से राज्यसभा के लिए निर्विरोध चुने गए.

‘न्याय मिलने में देरी दुर्भाग्यपूर्ण है’

ताज़ा घटनाक्रम पर अखबार द्वारा संपर्क किए जाने पर पीड़ित महिला के पिता ने कहा कि यह ऐसा मामला नहीं है, जिस पर उन्हें या उनकी बेटी को कोई टिप्पणी करने की ज़रूरत है. यह सरकार को देखना है कि वे किस तरह के लोगों को नियुक्त कर रहे हैं. मामला अभी भी चल रहा है, जो दुर्भाग्यपूर्ण है.

उन्होंने आगे कहा, ‘हमने न्यायपालिका पर बहुत विश्वास के साथ मामले की शुरुआत की थी, लेकिन दुर्भाग्य से सात साल बीत चुके हैं और बचाव पक्ष की गवाही अभी तक शुरू नहीं हुई है.’

बता दें कि पीड़िता के पिता पुलिस सेवा से दिसंबर 2022 में सेवानिवृत्त हो चुके हैं और मौजूदा समय में राज्य के राजस्व आयोग के अध्यक्ष के पद पर नियुक्त हैं.

हरियाणा के महाधिवक्ता परविंद्र सिंह चौहान ने विकास की नियुक्ति पर टिप्पणी के लिए अखबार के अनुरोधों का कोई जवाब नहीं दिया.
सुभाष बराला के कार्यालय से संपर्क करने पर कहा गया कि वे इस मामले पर अपनी बात रखेंगे, लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया. विकास बराला टिप्पणी के लिए उपलब्ध नहीं थे.

विकास की नियुक्ति को लेकर कांग्रेस नेता और हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने सरकार के इस फैसले पर सवाल उठाया. उन्होंने कहा कि महाधिवक्ता कार्यालय में केवल योग्य लोगों की ही नियुक्ति होनी चाहिए.