मालेगांव फैसले से एक दिन पहले अमित शाह ने कहा- कोई भी हिंदू कभी आतंकवादी नहीं हो सकता

मालेगांव विस्फोट मामले में कोर्ट का फैसला आने के कुछ घंटे पहले केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने राज्यसभा में कांग्रेस पर ‘भगवा आतंकवाद’ का सिद्धांत गढ़ने का आरोप लगाते हुए कहा कि कोई भी हिंदू कभी आतंकवादी नहीं हो सकता.

नई दिल्ली: मालेगांव विस्फोट मामले में गुरुवार को आए फैसले, जिसमें उग्रवादी हिंदुत्व संगठन अभिनव भारत के सदस्यों को सभी आरोपों से बरी कर दिया गया है, से एक दिन पहले केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने राज्यसभा में कांग्रेस पर ‘भगवा आतंकवाद’ का सिद्धांत गढ़ने का आरोप लगाया और कहा, ‘मुझे यह कहते हुए गर्व हो रहा है कि कोई भी हिंदू कभी आतंकवादी नहीं हो सकता.’

शाह ने आरोप लगाया कि कांग्रेस ने अपनी ‘तुष्टिकरण की राजनीति’ के तहत ‘भगवा आतंकवाद’ की अवधारणा को बढ़ावा दिया है.

शाह ने गुरुवार को मालेगांव विस्फोटों पर आने वाले फैसले से ठीक पहले कहा, ‘उन्होंने वोटों की खातिर आतंकवाद को धार्मिक रंग देने की कोशिश की – लेकिन भारत के लोगों ने इस झूठ को नकार दिया.’

अमित शाह की यह टिप्पणी मालेगांव मामले में एनआईए अदालत के महत्वपूर्ण फैसले से कुछ घंटे पहले आई, जिसमें न्यायाधीश एके लाहोटी ने कहा था, ‘आतंकवाद का कोई धर्म नहीं होता, क्योंकि कोई भी धर्म हिंसा की वकालत नहीं कर सकता.’

गौरतलब है कि इस मामले की विशेष अभियोजक रोहिणी सालियान ने 2015 में आरोप लगाया था कि एनआईए के एक उच्च-स्तरीय पुलिस अधिकारी सुहास वारके ने 2014 में नरेंद्र मोदी के सत्ता में आने के बाद उनसे आरोपियों के प्रति ‘नरम रुख’ अपनाने को कहा था. इस मामले के कुछ हाई-प्रोफाइल आरोपी और अब बरी हो चुके, लोगों में पूर्व भाजपा सांसद प्रज्ञा सिंह ठाकुर और लेफ्टिनेंट कर्नल प्रसाद पुरोहित समेत कई सेवानिवृत्त सैन्य अधिकारी शामिल हैं.

सालियान ने कहा था कि जब उन्होंने ऐसा करने से इनकार कर दिया, तो उन्हें बिना कोई स्पष्टीकरण दिए मामले से हटा दिया गया. उनके इस खुलासे के बाद वारके को एनआईए से हटा दिया गया, लेकिन उन्हें आतंकवाद निरोधी दस्ते (एटीएस) में फिर से शामिल कर लिया गया और वे एटीएस की ओर से मामले की देखरेख करते रहे.

इससे पहले हिंदुत्व संगठनों से संबंधित उन्हीं आरोपियों को अप्रैल, 2018 में एनआईए अदालत द्वारा 2007 के मक्का मस्जिद विस्फोट मामले में बरी कर दिया गया था.

29 जुलाई को शाह ने कहा कि ‘भगवा आतंकवाद’ की थ्योरी को दिग्विजय सिंह जैसे कांग्रेसी नेताओं ने हवा दी, जिन्होंने कथित तौर पर 26/11 के मुंबई आतंकी हमलों का दोष भी हिंदुत्ववादी संगठनों पर मढ़ने की कोशिश की थी. शाह ने कहा, ‘यह सब राजनीतिक फायदे के लिए किया गया. निर्दोष लोगों को जेल में डाला गया, प्रताड़ित किया गया और बदनाम किया गया – न्याय पाने के लिए नहीं, बल्कि चुनावी फायदे के लिए एक कहानी गढ़ने के लिए.’

शाह ने कहा, ‘इस देश में आतंकवाद फैलने का एकमात्र कारण आपकी (कांग्रेस की) वोट बैंक की गणना थी.’ उन्होंने कांग्रेस पर दशकों से चली आ रही ‘तुष्टिकरण की राजनीति’ के ज़रिए आतंकवाद को बढ़ावा देने और राष्ट्रीय सुरक्षा को कमज़ोर करने का आरोप लगाया.

उन्होंने कहा कि अफ़ज़ल गुरु की मौत की सज़ा में भी देरी इसलिए हुई क्योंकि उस समय पी. चिदंबरम गृह मंत्री थे. शाह ने आगे कहा कि इसके विपरीत भाजपा शासन ने आतंकवाद के प्रसार को नियंत्रित किया है और इस्लामी संगठनों द्वारा युवाओं की भर्ती पूरी तरह से बंद हो गई है.

ऑपरेशन सिंदूर के बारे में बोलते हुए शाह ने कहा, ‘जब तक आतंकवाद खत्म नहीं होगा, तब तक कोई बातचीत नहीं होगी. हमने बातचीत तभी रोकी जब उन्होंने (पाकिस्तान ने) घुटनों के बल बैठकर युद्धविराम की गुहार लगाई.’

मंगलवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी लोकसभा में ऑपरेशन सिंदूर पर बोलते हुए कांग्रेस पर ‘हिंदू आतंकवाद’ की अवधारणा को हवा देने का आरोप लगाया था, जबकि ‘लश्कर-ए-तैयबा जैसे पाकिस्तान स्थित आतंकवादी संगठन भारत के विभिन्न हिस्सों में बम हमले कर रहे हैं.’