जम्मू में बादल फटने से 10 लोगों की मौत, कश्मीर का एकमात्र बारहमासी हाईवे पांचवें दिन भी बंद

जम्मू-कश्मीर के कई हिस्सों में 30 अगस्त की रात से जारी बारिश के चलते सात लोगों के एक परिवार सहित 10 नागरिकों की जान चली गई, जबकि कम से कम पांच अन्य लापता हैं. श्रीनगर-जम्मू राष्ट्रीय राजमार्ग, जो कश्मीर को देश के बाकी हिस्सों से जोड़ने वाला एकमात्र बारहमासी मार्ग है, शनिवार को लगातार पांचवें दिन भी बंद रहा.

श्रीनगर: जम्मू-कश्मीर के कई हिस्सों में 30 अगस्त की रात से जारी बारिश के चलते सात लोगों के एक परिवार सहित 10 नागरिकों की जान चली गई, जबकि कम से कम पांच अन्य लापता हैं. इस दौरान प्रभावित इलाके में भूस्खलन और बादल फटने की आशंका के चलते अचानक बाढ़ आ गई.

मालूम हो कि इस सप्ताह हुई मूसलाधार बारिश और बादल फटने से केंद्र शासित प्रदेश में व्यापक तबाही देखने को मिली है. इसमें कम से कम 50 नागरिकों की मौत हो गई है, जबकि दर्जनों घर, व्यावसायिक प्रतिष्ठान, सड़कें, धार्मिक स्थल, खेत और बाग क्षतिग्रस्त हो गए हैं.

शनिवार (30 अगस्त) को हुई ताज़ा घटना में जम्मू संभाग के पहाड़ी बद्दर गांव में शनिवार तड़के हुए एक बड़े भूस्खलन में एक रिहायशी मकान के ढह जाने से पांच बच्चों समेत सात लोगों का एक परिवार मलबे में ज़िंदा दब गया.

उल्लेखनीय है कि बीती रात जम्मू-कश्मीर के कुछ हिस्सों में भारी बारिश हुई, जिसके कारण रियासी ज़िले के करारा इलाके में भूस्खलन हुआ, जहां कई घर क्षतिग्रस्त थे. इस भूस्खलन में वहां के सभी सात निवासियों की मौत हो गई.

मृतकों की पहचान 38 वर्षीय नज़ीर अहमद, उनकी पत्नी वज़ीरा बेगम और उनके पांच बच्चों के रूप में हुई है.

जम्मू का माहौर निर्वाचन क्षेत्र, जहां प्रभावित गांव स्थित है, से विधायक खुर्शीद अहमद ने बताया कि जब यह त्रासदी हुई तब परिवार सो रहा था.

उन्होंने कहा, ‘ऊंचे इलाकों में बादल फटने से भूस्खलन हुआ. यह एक गरीब परिवार था. गांव का रास्ता कट गया है और स्थानीय लोगों ने मलबे से शव निकाला. परिवार का कोई भी सदस्य जीवित नहीं बचा है.’

इस संबंध में अधिकारियों ने बताया कि शनिवार को जम्मू के रामबन ज़िले में बादल फटने से आई अचानक बाढ़ में एक रिहायशी इमारत बह जाने से कम से कम तीन लोगों की मौत हो गई, जबकि पांच अन्य लापता हैं.

वहीं, ज़िला प्रशासन के एक अधिकारी ने बताया कि यह घटना रामबन की राजगढ़ तहसील में हुई, जहां शनिवार सुबह बादल फटने से आई अचानक बाढ़ और भूस्खलन में इमारत बह गई.

जम्मू संभाग सबसे ज़्यादा प्रभावित

सोशल मीडिया पर प्रसारित एक वीडियो में जम्मू-कश्मीर पुलिस और राज्य आपदा प्रतिक्रिया बल के जवानों की एक टीम स्थानीय लोगों से उस आवासीय इमारत के डिज़ाइन और स्थान के बारे में जानकारी ले रही है, जो अचानक आई बाढ़ में बह गया प्रतीत होता है.

वीडियो में दिखाई न देने वाले एक स्थानीय व्यक्ति को ज़मीन पर पड़े मलबे की ओर इशारा करते हुए अधिकारियों को यह कहते हुए सुना जा सकता है, ‘हमने यहां से तीन शव बरामद किए हैं.’

वह आगे कहते हैं, ‘एक कमरा नीचे है. आप वहां कुछ कपड़े और गद्दे देख सकते हैं.’

उन्होंने कहा, ‘घटना के बाद पांच और लोग लापता बताए जा रहे हैं, जिनका पता लगाने के लिए गांव में बचाव अभियान जारी है.’

ज्ञात हो कि हाल ही में कई बार बादल फटने के साथ हुई मूसलाधार बारिश के कारण केंद्र शासित प्रदेश के कई हिस्सों में अचानक बाढ़ आ गई है, लेकिन जम्मू संभाग सबसे ज़्यादा प्रभावित हुआ है. यहां इस हफ़्ते की शुरुआत में रियासी ज़िले में वैष्णो देवी मंदिर के पास हुए भूस्खलन में कम से कम 32 लोगों की मौत हो गई थी, जिनमें ज़्यादातर तीर्थयात्री थे.
खराब मौसम के कारण जम्मू-कश्मीर में कई जगहों पर सड़कें और राजमार्ग बह गए हैं. श्रीनगर-जम्मू राष्ट्रीय राजमार्ग, जो कश्मीर को देश के बाकी हिस्सों से जोड़ने वाला एकमात्र बारहमासी मार्ग है, शनिवार को लगातार पांचवें दिन भी बंद रहा.

हालांकि, अधिकारियों ने बताया कि यातायात को मुगल रोड की ओर मोड़ दिया गया है, जो कश्मीर को देश के बाकी हिस्सों से जोड़ने वाला वैकल्पिक लेकिन संकरा सड़क मार्ग है.

श्रीनगर-जम्मू राजमार्ग पर सैकड़ों फलों से लदे ट्रक फंसे

मालूम हो कि बागवानी क्षेत्र में कटाई का मौसम शुरू होने के साथ ही श्रीनगर-जम्मू राजमार्ग पर सैकड़ों फलों से लदे ट्रक फंस गए हैं, जिसके कारण ट्रेड यूनियनों ने सरकार से हस्तक्षेप करने और किसानों को होने वाले नुकसान को रोकने का आग्रह किया है.

कश्मीर घाटी फल उत्पादक सह विक्रेता संघ, जो इस क्षेत्र में फल व्यापारियों और उत्पादकों का सबसे बड़ा समूह है, के अध्यक्ष बशीर अहमद बशीर ने द वायर को बताया, ‘सरकार को हाईवे पर फंसे फलों से लदे ट्रकों को प्राथमिकता के आधार पर उनके गंतव्यों की ओर जाने देना चाहिए ताकि घाटी के जल्दी खराब होने वाले फलों को उनकी मंजिल तक पहुंचाया जा सके.’

ज्ञात हो कि इस सप्ताह की शुरुआत से लगातार और भारी बारिश और बीच-बीच में बादलों के छाए रहने के कारण जम्मू-कश्मीर के कई हिस्सों में नदियां और सहायक नदियां उफान पर हैं. कई आवासीय और व्यावसायिक इलाके जलमग्न हो गए हैं.

इससे पहले मंगलवार को किश्तवाड़ ज़िले के सुदूर वारवान इलाके में बादल फटने से अचानक बाढ़ आ गई थी, जिससे गुमरी और मार्गी गांवों में भारी तबाही मची थी. स्थानीय लोगों का आरोप है कि त्रासदी के चार दिन बाद भी प्रशासन ने लगभग 400 परिवारों वाले इन दोनों गांवों के प्रभावित निवासियों को राहत नहीं पहुचाई है.

मार्गी गांव के एक सरकारी स्कूल में पढ़ाने वाले शब्बीर अहमद ने कहा, ‘लगभग सभी घर जलमग्न हो गए हैं, जिससे हमारे पास खाने-पीने और रहने के लिए जगह नहीं बची है. हम तिरपाल के नीचे सो रहे हैं. यहां केवल स्थानीय अधिकारी ही हैं, लेकिन वे भी असहाय हैं क्योंकि सड़क बंद है.’

उधर, भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) ने शनिवार को अगले 12 घंटों में सबसे ज़्यादा प्रभावित जम्मू संभाग के कई ज़िलों में मध्यम से भारी बारिश और कुछ समय के लिए तेज़ बारिश की चेतावनी दी है.

मौसम विभाग ने कहा है कि जम्मू, कठुआ, राजौरी, रियासी, डोडा, सांबा और उधमपुर ज़िलों में रुक-रुक कर भारी बारिश और तेज़ बौछारें पड़ सकती हैं, जिससे पहाड़ी इलाकों में अचानक बाढ़ और भूस्खलन हो सकता है.

इससे पहले जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने भूस्खलन संभावित और निचले इलाकों में रहने वाले लोगों को सतर्क रहने और खराब मौसम के बीच नदियों, जलधाराओं और बाढ़ के रास्तों के पास जाने से बचने की चेतावनी दी थी.