मध्य प्रदेश और राजस्थान में ख़राब कफ सिरप पीने के बाद आठ बच्चों की मौत हो गई है. छिंदवाड़ा में छह बच्चों की मौत हुई है. राजस्थान के सीकर और भरतपुर में दो बच्चों की मौत हुई है. इन मौतों के बाद सिरप की बिक्री और इस्तेमाल पर रोक लगाई गई है, सैंपल जांच के लिए भेजे गए हैं.

नई दिल्ली: मध्य प्रदेश और राजस्थान में खराब कफ सिरप पीने से आठ बच्चों की मौत हो गई है. इसके बाद नेशनल सेंटर फॉर डिज़ीज़ कंट्रोल (एनसीडीसी) की एक केंद्रीय टीम ने जांच के लिए मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा जिले से सैंपल लिए हैं. मृत बच्चों की उम्र एक से सात साल के बीच थी.
मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा जिले में छह बच्चों की मौत कफ सिरप पीने के बाद हुई. शुरू में इन बच्चों को सर्दी और हल्का बुखार था, लेकिन बाद में ज्यादातर की मौत किडनी से जुड़ी समस्याओं के कारण हो गई. जांच में पता चला कि सभी छह मामलों में दो विशेष कफ सिरप आम थे. इनके बिक्री और इस्तेमाल पर रोक लगा दी गई है और इनके सैंपल जांच के लिए भेज दिए गए हैं.
छिंदवाड़ा के ज़िला कलेक्टर शीलेंद्र सिंह ने द न्यू इंडियन एक्सप्रेस को बताया, ‘जब तक सिरप के सैंपल की जांच रिपोर्ट नहीं आ जाती, तब तक इनके इस्तेमाल और बिक्री पर रोक लगाने के लिए परामर्श जारी किया गया है. ज़िले के डॉक्टरों को भी सख़्त निर्देश दिए गए हैं कि वे केवल लक्षण-विशेष की दवाइयां ही लिखें, जैसे बुखार में सिर्फ पैरासिटामोल देना, न कि खांसी-जुकाम सहित कई तरह की दवाएं एक साथ लिखना.’
राजस्थान में सीकर ज़िले में एक पांच साल के बच्चे और भरतपुर में दो साल के बच्चे की मौत सरकारी स्वास्थ्य केंद्रों से मिली एक जेनेरिक कफ सिरप पीने के बाद हो गई. राज्य सरकार ने इस सिरप की 22 खेपों पर रोक लगा दी है और कंपनी केसन फार्मा से आपूर्ति बंद कर दी है. जुलाई से अब तक इस सिरप की 1.33 लाख से अधिक बोतलें बांटी गई थीं, जिनमें से लगभग 8,200 बोतलें अभी भी जयपुर के सवाई मानसिंह अस्पताल में स्टॉक में पड़ी हैं.
टाइम्स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट के अनुसार, राजस्थान में बयाना सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के एक वरिष्ठ डॉक्टर ने चिंतित अभिभावकों को आश्वस्त करने के लिए खुद कफ सिरप पिया, लेकिन बाद में वे अपनी कार में बेहोश पाए गए.
दवा नियंत्रक अजय फाटक ने द हिंदू को बताया है, ‘हमारे ड्रग इंस्पेक्टर ने सीकर, झुंझुनूं और भरतपुर से सिरप के नमूने एकत्र किए हैं और तीन दिनों के भीतर उनकी जांच रिपोर्ट आने की उम्मीद है. यह सिरप पांच साल से कम उम्र के बच्चों को बिल्कुल नहीं दिया जाना चाहिए.’
भारत में बने जहरीले कफ सिरप पहले भी मौतों का कारण बन चुके हैं. अक्टूबर 2022 में विश्व स्वास्थ्य संगठन ने हरियाणा स्थित मेडन फ़ार्मास्यूटिकल्स द्वारा बनाए गए चार कफ सिरप पर वैश्विक अलर्ट जारी किया था, जिन्हें गाम्बिया में हुई 66 बच्चों की मौत से जोड़ा गया था. इन मौतों का प्रमुख कारण किडनी फेल होना बताया गया.
इसके बाद दिसंबर 2022 में उज्बेकिस्तान में नोएडा स्थित मेरियन बायोटेक की बनी खांसी की दवा पीने से 18 बच्चों की मौत हुई. अगस्त 2023 में डब्ल्यूएचओ ने फिर अलर्ट जारी किया, जब इराक में भारत निर्मित सर्दी-जुकाम की दवा के एक बैच में डायएथिलीन ग्लाइकॉल और एथिलीन ग्लाइकॉल जैसे जहरीले रसायन पाए गए.
अक्सर कफ सिरप में ज़हरीले तत्व पाए जाने की वजह फार्मास्यूटिकल ग्रेड ग्लिसरीन या प्रोपाइलीन ग्लाइकॉल की जगह सस्ते इंडस्ट्रियल ग्रेड वर्ज़न का इस्तेमाल बताया जाता है. ये सस्ते तो होते हैं, लेकिन इनमें मौजूद जहरीले रसायन गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं पैदा कर सकते हैं.