पश्चिम बंगाल में महिलाओं के ख़िलाफ़ अपराध के मामलों में दोषसिद्धि दर बेहद कम है. 2017 से 2023 के बीच औसतन केवल 5% मामलों में सज़ा हुई, जो 2023 में घटकर 3.7% रह गई. यह देश में दूसरा सबसे निचला स्थान है.

नई दिल्ली: महिला सुरक्षा को लेकर लगातार सवालों का सामना कर रही पश्चिम बंगाल की ममता बनर्जी सरकार, महिलाओं के खिलाफ अपराध के मामलों में दोषसिद्धि दर में भी देश के अन्य राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से काफी पीछे है.
द हिंदू द्वारा किए गए एक डेटा विश्लेषण ने पश्चिम बंगाल में महिलाओं के लिए न्याय व्यवस्था की एक कड़वी सच्चाई पेश की है.
इस विश्लेषण से पता चलता है कि महिलाओं के खिलाफ अपराधों में दोषसिद्धि की दर के मामले में राज्य देश में दूसरे सबसे निचले पायदान पर है, जबकि यहां लगातार सबसे ज़्यादा मामले दर्ज किए जाते रहे हैं.
राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के 2017 से 2023 तक के आंकड़ों की जांच से पता चलता है कि महिलाओं के खिलाफ अपराध के पांच में से केवल एक मामले में ही दोषसिद्धि हो पाई.
इस अवधि में राज्य की दोषसिद्धि दर औसतन केवल 5% रही, जो 2023 में घटकर 3.7% रह गई और 36 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में से 35वें स्थान पर आ गई.
दोषसिद्धि की यह कम दर घटनाओं की संख्या के बिल्कुल उलट है.
पश्चिम बंगाल में 2018 से हर साल महिलाओं के खिलाफ अपराध के 30,000 से ज़्यादा मामले दर्ज किए गए हैं, जो इसे लगातार देश के शीर्ष चार राज्यों में शामिल करता है.
दुर्गापुर मामले में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने विवादास्पद टिप्पणी
अखबार द्वारा किया गया यह डेटा विश्लेषण दुर्गापुर में कथित सामूहिक बलात्कार की घटना पर जनता के आक्रोश के तुरंत बाद सामने आया है.
मालूम हो कि दुर्गापुर मामले के बाद मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने विवादास्पद टिप्पणी की थी. उन्होंने मीडिया से कहा था, ‘बंगाल में हम ऐसे अपराधों को बिल्कुल बर्दाश्त नहीं करते हैं.’
साथ ही, उन्होंने युवाओं से ‘रात में बाहर न निकलने’ की अपील करते हुए पीड़िता के रात में बाहर निकलने को लेकर सवाल उठाया था.
हालांकि, चौतरफा आलोचना के बाद उन्होंने कहा कि उनकी टिप्पणियों को ‘जानबूझकर तोड़-मरोड़कर पेश किया गया है.’
इन तमाम आरोप-प्रत्यारोपों के बीच दोषसिद्धि की कम दर, बरी होने वालों की संख्या में नाटकीय वृद्धि से परिलक्षित होती है.
महिलाओं के खिलाफ अपराधों से जुड़े मामलों में बरी होने वालों की संख्या में बढ़ोतरी
राज्य में 2023 में महिलाओं के खिलाफ अपराधों से जुड़े मामलों में बरी होने वालों की संख्या बढ़कर 19,005 हो गई – जो पिछले वर्ष 2022 के 7,996 से एक महत्वपूर्ण उछाल है और भारत में किसी भी राज्य का सबसे अधिक आंकड़ा है.
साथ ही लंबित मामलों की संख्या में भी उल्लेखनीय बढ़ोतरी हुई है. 2023 के अंत तक पश्चिम बंगाल में 3.68 लाख लंबित मामले थे, जो देश में सबसे अधिक लंबित मामलों में से एक है और 2017 में लंबित 2.34 लाख मामलों की तुलना में 56% की वृद्धि है.
2018 और 2023 के बीच विशिष्ट अपराध श्रेणियों का विश्लेषण राज्य की चुनौतियों को और उजागर करता है.
पिछले छह वर्षों में से पांच वर्षों में पश्चिम बंगाल एसिड अटैक और एसिड अटैक के प्रयास के मामलों में देश में पहले स्थान पर रहा.
द हिंदू की रिपोर्ट के अनुसार इस अवधि के दौरान ‘पति या उसके रिश्तेदारों द्वारा क्रूरता’ के तहत दर्ज मामलों की संख्या भी तीसरे स्थान पर रही.