दिल्ली का नाम इंद्रप्रस्थ होगा: भाजपा सांसद ने विहिप के मंच से किया ऐलान

विश्व हिंदू परिषद के एक कार्यक्रम में भाजपा सांसद प्रवीण खंडेलवाल ने दिल्ली का नाम बदलकर ‘इंद्रप्रस्थ’ करने का संकल्प लिया. उन्होंने पुरानी दिल्ली रेलवे स्टेशन और इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे का नाम भी बदलने की घोषणा की, इसे सांस्कृतिक स्वाभिमान की पुनर्स्थापना बताया.

नई दिल्ली: दिल्ली के कॉन्स्टीट्यूशन क्लब में शनिवार (18 अक्टूबर) को विश्व हिंदू परिषद (विहिप) के एक कार्यक्रम में चांदनी चौक के भाजपा सांसद प्रवीण खंडेलवाल ने दिल्ली का नाम बदलकर इंद्रप्रस्थ करने का संकल्प लिया.

मध्यकालीन राजा हेमचंद्र विक्रमादित्य ‘हेमू’ की स्मृति में आयोजित इस कार्यक्रम में सांसद ने ख़ुद को आरएसएस का कर्मठ स्वयंसेवक बताते हुए न केवल विहिप की मांगों का समर्थन किया, बल्कि इसे लेकर ठोस कार्य योजना की भी घोषणा की.

सांसद ने हेमू को ‘महान हिंदू सम्राट’ और अपना आदर्श बताया. साथ ही दिल्ली को पांडवों की धरती बताते हुए कहा, ‘पांडवों की चर्चा के बिना इंद्रप्रस्थ की चर्चा नहीं हो सकती.’

मुख्य वक्ता विहिप के राष्ट्रीय सह संगठन महामंत्री विनायक राव ने दिल्ली की कथित ऐतिहासिक पहचान को लेकर विस्तृत चर्चा की. 1974 से संघ के प्रचारक और 1989 से विहिप में पद संभाल रहे राव ने आरोप लगाया कि आज़ादी के बाद देश में मुस्लिम शिक्षामंत्री बने और अकादमिक क्षेत्र में ‘वामपंथियों का कब्ज़ा’ रहा इसलिए ‘महान हिंदू राजाओं’ को इतिहास की किताबों में शामिल नहीं किया गया.

कार्यक्रम में भाजपा की पश्चिम बंगाल राज्य महासचिव और 2019 से 2024 तक हुगली से सांसद रहीं सांसद लॉकेट चटर्जी भी मौजूद रहीं. दिल्ली विहिप के शीर्ष नेता ने बताया कि कार्यक्रम स्थल की बुकिंग चटर्जी के नाम पर ही हुई थी.
विश्व हिंदू परिषद (विहिप) ने इस कार्यक्रम को ‘इंद्रप्रस्थ योग क्षेम सेवा न्यास’ के बैनर तले आयोजित किया था. कार्यक्रम में 100 से 150 के बीच लोग शामिल हुए, जिसमें अधिकतर आरएसएस, विहिप और बजरंग दल से जुड़े लोग थे. बजरंग दल के राष्ट्रीय संयोजक नीरज कनोरिया खुद शामिल हुए थे. दुर्गावाहिनी की तरफ से कुछ महिलाएं भी शामिल हुई थीं.

हुमायूं के मकबरों में हिंदू राजाओं का स्मारक बनाने की मांग

विश्व हिंदू परिषद के दिल्ली प्रांत मंत्री सुरेंद्र गुप्ता ने दिल्ली के इतिहास को लेकर गहरी चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि लोगों को दिल्ली के वास्तविक इतिहास की जानकारी या तो नहीं है या फिर वह अधूरी और भ्रांतिपूर्ण है. उन्होंने कहा कि जब हम दिल्ली कहते हैं तो हमारी दृष्टि अधिकतम दो हजार साल पूर्व तक ही जाती है, लेकिन जब हम इंद्रप्रस्थ कहते हैं तो हमारी दृष्टि पांच हजार साल पूर्व महाभारत काल तक पहुंच जाती है.

दिल्ली को पांडवों का इंद्रप्रस्थ बताते हुए सुरेंद्र गुप्ता ने कहा:

यह भूमि महाभारत कालीन युग से ही हमारी सभ्यता, संस्कृति और वीरता की साक्षी रही है. जब हम इंद्रप्रस्थ कहते हैं तो स्मरण होता है धर्मराज युधिष्ठिर की राजधानी का, अर्जुन के पराक्रम का, श्री कृष्ण की नीति का और उस सभ्यता का जिसने संपूर्ण भारत को एक सूत्र में बांधा था. इसी ऐतिहासिक और सांस्कृतिक स्मृति के पुनर्जागरण हेतु इंद्रप्रस्थ योग क्षेम सेवा न्यास ने यह संकल्प लिया कि दिल्ली को उसके मूल गौरवपूर्ण नाम इंद्रप्रस्थ से पुनः प्रतिष्ठित किया जाए. यह केवल नाम परिवर्तन नहीं है बल्कि भारतीय अस्मिता और सांस्कृतिक स्वाभिमान की पुनर्स्थापना है.

सुरेंद्र गुप्ता ने इंद्रप्रस्थ योग क्षेम सेवा न्यास की ओर से कई महत्वपूर्ण मांगें रखीं, जिनमें पुरानी दिल्ली रेलवे स्टेशन का नाम बदलकर इंद्रप्रस्थ रेलवे स्टेशन करना, इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे का नाम बदलकर इंद्रप्रस्थ अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा करना और शाहजहानाबाद डेवलपमेंट बोर्ड का नाम बदलकर इंद्रप्रस्थ डेवलपमेंट बोर्ड करना शामिल है.

हुमायूं के मकबरे का उदाहरण देते हुए सुरेंद्र गुप्ता ने कहा कि यह मकबरा लगभग 70 एकड़ भूमि पर फैला हुआ है, जहां 150 से अधिक कब्रें हैं जो हुमायूं के खानसामों और नाइयों की हैं. उन्होंने सवाल उठाया कि क्या इस प्रांगण में हिंदू राजाओं के स्मारक नहीं बन सकते. उन्होंने मांग की कि दिल्ली की हेरिटेज वॉक में हिंदू राजाओं के स्मारकों को भी शामिल किया जाना चाहिए.

भाजपा सांसद ने दिल्ली को इंद्रप्रस्थ बनाने का लिया संकल्प

चांदनी चौक के भाजपा सांसद प्रवीण खंडेलवाल ने इन मांगों को पूरा करने की दिशा में ठोस कदम उठाने का भी वादा किया. खंडेलवाल ने कहा कि यह विषय उनके दिल से जुड़ा हुआ है क्योंकि वे इंद्रप्रस्थ की गलियों में ही पले-बढ़े हैं. उन्होंने बताया कि जब वे संसद में अन्य सांसदों से मिलते हैं और अपना परिचय देते हैं तो वे खुद को इंद्रप्रस्थ का सांसद बताते हैं.

पांडवों की चर्चा किए बिना इंद्रप्रस्थ की चर्चा नहीं हो सकती, यह कहते हुए सांसद खंडेलवाल ने घोषणा की कि वे अपने चांदनी चौक क्षेत्र में पांचों पांडवों की मूर्तियां स्थापित करेंगे. उन्होंने बताया कि मूर्तियों का डिजाइन तैयार हो चुका है और अब वे नगर निगम से जगह की मांग कर रहे हैं. सांसद ने कहा:

आज दिल्ली में एक भी युधिष्ठिर चौक नहीं है, अर्जुन के नाम पर कुछ नहीं है, महाबली भीम के नाम पर कुछ नहीं है. ऐसे में नकुल और सहदेव के नाम पर तो कुछ होने का तो प्रश्न ही पैदा नहीं होता. उन्होंने कहा कि जब तक पांडवों को स्थापित नहीं करेंगे, तब तक इंद्रप्रस्थ की चर्चा प्रारंभ नहीं होगी. …यदि इंद्रप्रस्थ की बात करनी है तो हमें पांडवों के साथ न्याय करना पड़ेगा.
शाहजहानाबाद रीडेवलपमेंट अथॉरिटी के नाम को लेकर सांसद खंडेलवाल ने स्पष्ट किया कि यह मांग उनके चुनाव के समय से ही उनके एजेंडे में शामिल थी. उन्होंने दृढ़ता से कहा कि यह नाम बदलवाकर रहेंगे और ‘अगर हनुमान जी की कृपा रही तो 2025 के अंदर ही इस बोर्ड का नाम इंद्रप्रस्थ डेवलपमेंट बोर्ड हो जाएगा.’

पुरानी दिल्ली स्टेशन के नाम को लेकर सांसद ने कहा कि इंद्रप्रस्थ रेलवे स्टेशन से बेहतर कोई नाम नहीं हो सकता. उन्होंने बताया कि अगले सप्ताह वे रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव से मिलने जा रहे हैं.

इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे का नाम बदलने की मांग पर सांसद ने कहा, ‘बहुत हो गया गांधी-वांधी’ और वे अगले सप्ताह नागर विमानन मंत्री राममोहन नायडू को आधिकारिक तौर पर इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे का नाम बदल इंद्रप्रस्थ अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे करने का प्रस्ताव देंगे.

प्रवीण खंडेलवाल ने कहा कि वे संसद के अगले सत्र में एक प्रस्ताव रखने जा रहे हैं कि दिल्ली का नाम बदलकर इंद्रप्रस्थ कर दिया जाए.
हेरिटेज वॉक और पर्यटन को लेकर सांसद ने कहा कि दिल्ली में आज जो आधिकारिक टूर है, उसमें 90 प्रतिशत वही स्थान दिखाए जाते हैं जो मुगलों ने बनाए. महाराज हेमचंद्र विक्रमादित्य के स्मारक को लेकर सांसद ने गंभीर चिंता जताते हुए कहा कि पानीपत की दूसरी लड़ाई में हेमू जी की मृत्यु के बाद उनके सिर को काटकर काबुल ले जाया गया और उनके धड़ को पुरानी दिल्ली में लटकाया गया, लेकिन दुर्भाग्य यह है कि जहां उनके धड़ को लटकाया गया वहां कोई स्मारक तक नहीं है. उन्होंने मांग की कि पुरानी दिल्ली में और पानीपत में हेमचंद्र विक्रमादित्य के स्मारक बनाए जाएं.

शालीमार बाग में हाल ही में हुए जीर्णोद्धार का जिक्र करते हुए सांसद ने बताया कि वहां शीश महल बाग से लेकर लाल किले तक एक सुरंग है ‘जो इतिहासकारों के अनुसार पांडव कालीन है.’ उन्होंने कहा कि उन्होंने एएसआई के अधिकारियों से उस सुरंग को साफ करने का आग्रह किया है ताकि यह साबित हो सके कि दिल्ली की एक्सटेंशन वाले क्षेत्रों में भी पांडवकालीन सभ्यता के अवशेष हैं.

सांसद ने आगे कहा कि चूंकि दिल्ली की मुख्यमंत्री उनके संसदीय क्षेत्र की विधायक हैं, इसलिए वे दिल्ली सरकार की ओर से भी विश्वास दिलाते हैं कि इस एजेंडे पर मिलकर काम करेंगे.