‘मुस्लिम लड़कियां लाओ, नौकरी पाओ’ वाले भाजपा नेता के बयान पर मायावती की सख़्त कार्रवाई की मांग

पूर्व भाजपा विधायक राघवेंद्र प्रताप सिंह के ‘मुस्लिम लड़कियां लाओ, नौकरी पाओ’ वाले बयान को बसपा प्रमुख मायावती ने घृणित और नफ़रत फैलाने वाला बताया है. उन्होंने कहा कि ऐसे आपराधिक और असामाजिक तत्व क़ानून को अपने हाथ में लेकर समाज में ज़हर घोल रहे हैं, जिन पर सरकार को सख़्त कार्रवाई करनी चाहिए.

नई दिल्ली: बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की प्रमुख और उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने मंगलवार (28 अक्टूबर) को भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के पूर्व विधायक राघवेंद्र प्रताप सिंह के उस बयान की कड़ी आलोचना की, जिसमें उन्होंने कहा था, ’10 मुस्लिम लड़कियां लाओ और नौकरी पाओ.’

मायावती ने इसे ‘घृणा फैलाने वाला बयान’ बताते हुए कहा कि यह उत्तर प्रदेश समेत अन्य राज्यों में सांप्रदायिक और जातीय नफरत भड़काने की कोशिश है.

मायावती ने कुछ ‘शरारती तत्वों’ द्वारा खेले जा रहे ‘ज़हरीले और हिंसक खेल’ का ज़िक्र करते हुए आरोप लगाया कि कुछ ‘अपराधिक और असामाजिक तत्व’ धर्म परिवर्तन और तथाकथित ‘लव जिहाद’ का विरोध करने के नाम पर कानून को अपने हाथ में ले रहे हैं.

उन्होंने एक्स पर पोस्ट कर कहा, ‘मुस्लिम लड़की लाओ, नौकरी पाओ, के ताज़ा संकीर्ण व घृणित बयान के साथ-साथ यूपी व उत्तराखण्ड सहित अन्य और राज्यों में भी धर्म परिवर्तन, लव जिहाद और ना जाने क्या-क्या नफरती नाम देकर तथा उसके विरुद्ध क़ानून को अपने हाथ में लेकर सांप्रदायिक व जातिवादी द्वेष, वैमनस्य, अशान्ति, अराजकता एवं लोगों के जान-माल व मज़हब पर ख़तरा बन जाने का शरारती तत्वों का यह विषैला हिंसात्मक खेल अति-निन्दनीय.

बसपा प्रमुख मायावती ने पूर्व भाजपा विधायक पर अपना हमला तेज करते हुए कहा कि ऐसे ‘असामाजिक तत्व’ एक सभ्य और संवैधानिक सरकार के लिए गंभीर खतरा हैं. उन्होंने मांग की कि ऐसे लोगों को संरक्षण देने के बजाय उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जानी चाहिए.

मायावती ने कहा, ‘ऐसे आपराधिक, अराजक व असामाजिक तत्व सभ्य व संवैधानिक सरकार के लिये खुली चुनौती और ख़तरा हैं. इन्हें शह व संरक्षण देने के बजाय सरकारें राज्य की करोड़ों जनता के हित व कल्याण को ध्यान में रखते हुये कानून का राज स्थापित करना सुनिश्चित करने के लिये ऐसे लोगों के खिलाफ सख़्त कानूनी कार्रवाई करें, यही व्यापक जन व देशहित में.’

उनका यह बयान उस समय आया जब भाजपा के पूर्व विधायक राघवेंद्र प्रताप सिंह ने उत्तर प्रदेश के सिद्धार्थनगर में एक जनसभा के दौरान कथित रूप से कहा था, ‘अगर दो लड़की गई हैं तो कम से कम 10 मुस्लिम लड़कियां लाओ, उसको हिंदू बनाओ.’

इसके बाद सिंह ने सभा में मौजूद युवाओं से पूछा, ‘कितने नौजवान तैयार हैं, हाथ उठाओ.’ नौजवानों ने हाथ उठाकर सहमति दी.

‘दो पर दस से कम मंजूर नहीं है. शादी हम कराएंगे. और ये घोषित करते हैं कि जो लेकर आएगा उसको खाने-पीने भर का नौकरी भी दिलाएंगे.’ पूर्व भाजपा विधायक के इस विवादित बयान पर जनसभा में तालियां गूंज रही थीं.

लव जिहाद का हव्वा

उल्लेखनीय है कि तथाकथित ‘लव जिहाद’ शब्द हिंदुत्ववादी समूहों द्वारा इजाद किया गया है, जिनका मकसद उनके अनुसार, हिंदू लड़कियों का मुस्लिम समाज में शादी होने से रोकना है. ऐसा करने के पीछे वे दलील देते हैं कि मुस्लिम युवक साजिश के तहत हिंदू लड़कियों से शादी कर उनका धर्म परिवर्तन करा रहे हैं और इसके लिए विदेशी फंडिंग भी होती है.

उनका दावा यह भी रहता है कि इस तरह के धर्म परिवर्तन कराकर मुस्लिम, हिंदुओं को इस देश में अल्पसंख्यक बनाना चाह रहे हैं.

‘लव जिहाद’ शब्द का इस्तेमाल सबसे पहले साल 2009 में सनातन प्रभात और हिंदू जनजागृति समिति द्वारा एक कॉन्सपिरेसी थ्योरी के तौर पर किया गया था, जिसे बाद में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) और विश्व हिंदू परिषद ने भी अपना लिया. 2014 के बाद यह विभिन्न राज्यों में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सरकारों का केंद्रीय एजेंडा बन गया. अब तक गुजरात, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और हरियाणा ऐसे प्रमुख राज्यों में शामिल हैं जहां इसे लेकर कानून बनाया गया है.

हालांकि कभी-कभार मीडिया में ऐसे विवाहोंऔर उनसे जुड़े विवादों की खबरें आती रहती हैं, लेकिन ऐसे मामलों की संख्या का कोई सटीक आंकड़ा उपलब्ध नहीं है. हालांकि दक्षिणपंथी समूह यह सुनिश्चित करते रहे हैं कि ‘लव जिहाद’ के झूठे हौवे पर गिरफ्तारियां भी होती रहें.

गौरतलब है कि साल 2020 में तत्कालीन केंद्रीय गृह राज्यमंत्री जी. किशन रेड्डी ने कहा था कि ‘लव जिहाद’ शब्द को मौजूदा कानूनों के तहत परिभाषित नहीं किया गया है और तब तक ‘लव जिहाद’ का कोई मामला केंद्रीय एजेंसियों द्वारा नहीं बताया गया था.