डॉक्टर का आरोप- फ़र्ज़ी एनकाउंटर की पोस्टमार्टम रिपोर्ट को लेकर दबाव बनाती है यूपी पुलिस

यूपी के शामली के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के मुख्य चिकित्सा अधीक्षक ने पुलिस पर फ़र्ज़ी मुठभेड़ों को लेकर डॉक्टरों पर पोस्टमार्टम रिपोर्ट में हेराफेरी करने का दबाव डालने का आरोप लगाया है. 2017 से अब तक प्रदेश में 15,726 एनकाउंटर दर्ज हुए हैं, जिनमें 256 लोग मारे गए और 10,324 घायल हुए हैं. मेरठ ज़ोन, जिसमें शामली भी शामिल है, इसमें सबसे ऊपर है.

नई दिल्ली: उत्तर प्रदेश के शामली के एक सरकारी डॉक्टर ने पुलिस पर फर्जी मुठभेड़ों को लेकर चिकित्सकों पर पोस्टमार्टम रिपोर्ट में हेराफेरी करने का दबाव बनाने का आरोप लगाया है.

टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, शामली सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (सीएचसी) के मुख्य चिकित्सा अधीक्षक डॉक्टर दीपक चौधरी ने चोरी के एक मामले में कथित ‘पुलिस निष्क्रियता’ पर सवाल उठाते हुए कहा, ‘पुलिस 20 गोलियों के घावों से छलनी शव लाती है और हमें पोस्टमार्टम रिपोर्ट में केवल एक चोट दर्ज करने के लिए मजबूर करती है.’

उन्होंने कहा कि ऐसे मुठभेड़ मामलों में मारे गए शवों पर अक्सर गोली के घावों के आसपास कालापन दिखाई देता है. एक फॉरेंसिक विशेषज्ञ ने नाम न छापने की शर्त पर अखबार को बताया, ‘गोली के घाव के आसपास कालापन साफ ​​तौर पर दर्शाता है कि गोलियां बिल्कुल नजदीक से चलाई गई थीं.’

मालूम हो कि यह पुलिस के उन बयानों के उलट है जिनमें आमतौर पर कहा जाता है कि ‘अपराधियों ने पुलिस पर गोलियां चलाईं और जवाबी कार्रवाई में अपराधी घायल हो गए और बाद में अस्पताल में गोली लगने से उनकी मौत हो गई.’

पुलिस का आरोपों से इनकार

इस संबंध में शामली के एसपी एनपी सिंह ने डॉक्टर चौधरी के आरोपों को ‘निराधार’ बताते हुए खारिज कर दिया.

उन्होंने कहा, ‘सभी मुठभेड़ मामलों को सुप्रीम कोर्ट के दिशानिर्देशों के अनुसार सख्ती से निपटाया जाता है. पोस्टमार्टम अनिवार्य वीडियोग्राफी के साथ डॉक्टरों के एक पैनल द्वारा किया जाता है.’

उन्होंने आगे कहा कि रिकॉर्ड के अनुसार, चौधरी को जिला अस्पताल के पोस्टमॉर्टम पैनल में कभी नियुक्त ही नहीं किया गया, क्योंकि वह सीएचसी में तैनात हैं.

बताया जा रहा है कि चौधरी ने बुधवार को कोतवाली थाने के बाहर स्वास्थ्यकर्मियों के एक विरोध प्रदर्शन के दौरान ये आरोप लगाए.

प्रदर्शनकारी स्वास्थ्य कर्मियों का आरोप है कि डॉक्टर चौधरी के सरकारी आवास से 21 अक्टूबर को हुई 5 लाख रुपये की चोरी के मामले में पुलिस द्वारा कोई कार्रवाई नहीं की गई.

डॉक्टर चौधरी के बताया कि वह त्योहार मनाने घर गए थे और लौटने पर उन्हें चोरी का पता चला. चोरों ने कथित तौर पर खिड़की की ग्रिल हटाकर घर में सेंध लगाई और कैश व सरकारी दस्तावेज चुरा लिए.

चौधरी का कहना है कि उनका लीवर की बीमारी का इलाज चल रहा है और उन्हें ट्रांसप्लांट की ज़रूरत पड़ सकती है, इसलिए उन्होंने यह कैश मेडिकल इमरजेंसी के लिए रखा था.

उन्होंने कहा, ‘मामले की जांच करने के बजाय अधिकारी मुझसे पैसों के स्रोत के बारे में पूछताछ कर रहे हैं, जिससे अपराधियों की बजाय मुझ पर ही ध्यान केंद्रित हो रहा है.’

इस मामले में सर्कल ऑफिसर (सीओ) (सिटी) अमरदीप मौर्य द्वारा यह आश्वासन दिए जाने के बाद कि समर्पित टीमें गठित कर दी गई हैं और एक हफ्ते के भीतर मामले का खुलासा कर दिया जाएगा, चिकित्साकर्मियों का धरना समाप्त हुआ.

पुलिस की मानें, तो इस संबंध में बीएनएस की धारा 305ए (चोरी) और 331(3) (घर में जबरन घुसना) के तहत पहले ही एक एफआईआर दर्ज कर ली गई थी.
एसपी एनपी सिंह ने कहा, ‘आरोपी की पहचान कर उसे पहले ही हिरासत में ले लिया गया था, लेकिन मंगलवार को बीमारी के कारण उसे अस्थायी रूप से रिहा कर दिया गया. उसके ठीक होने पर हम उससे फिर पूछताछ करेंगे. जांच प्रक्रिया के अनुसार आगे बढ़ रही है.’

गौरतलब है कि शामली में अक्टूबर में दो पुलिस मुठभेड़ हुईं, जिनमें दो वांछित अपराधी मारे गए.

वहींं, 2017 से अब तक उत्तर प्रदेश में 15,726 मुठभेड़ें दर्ज की गई हैं, जिनमें 256 लोग मारे गए और 10,324 घायल हुए हैं.

मेरठ ज़ोन, जिसमें शामली भी शामिल है, 4,453 मुठभेड़ों, 85 लोगों की मौत और 3,131 लोगों के घायल होने के साथ सूची में सबसे ऊपर है.