कश्मीर, उत्तर प्रदेश और हरियाणा में हिरासत व कई गिरफ़्तारियों, और दिल्ली में हुए विस्फोट के तार आपस में जुड़े हैं या नहीं फिलहाल यह स्पष्ट नहीं है, लेकिन अज्ञात अधिकारियों के हवाले से मीडिया में आई ख़बरों में इन दोनों को जोड़ा जा रहा है.

श्रीनगर: कश्मीर, उत्तर प्रदेश और हरियाणा में हिरासत और गिरफ्तारियों के तार दिल्ली में हुए विस्फोट से जुड़े हैं या नहीं, यह स्पष्ट नहीं है, लेकिन अज्ञात अधिकारियों के हवाले से मीडिया रिपोर्ट्स में इन दोनों को जोड़ा जा रहा है.
उल्लेखनीय है कि इस सप्ताह की शुरुआत में जम्मू-कश्मीर पुलिस ने कहा था कि उसने जैश-ए-मोहम्मद द्वारा कथित तौर पर जारी किए गए अस्पष्ट पोस्टरों की जांच के दौरान आतंकी मॉड्यूल का भंडाफोड़ किया, जो 19 अक्टूबर को ग्रीष्मकालीन राजधानी श्रीनगर के नौगाम इलाके के कुछ हिस्सों में चिपके हुए पाए गए थे.
इन पोस्टरों के जरिए ‘पुलिस और सुरक्षा बलों को धमकाया और डराया’ गया, जिसके बाद नौगाम थाने में एफआईआर संख्या 162/2025 (गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम की धारा 13, 16, 17, 18, 18-बी, 19, 20, 23, 39 और 40 और भारतीय न्याय संहिता, 2023 की धारा 61 (2), 147, 148, 152, 351 (2), विस्फोटक पदार्थ अधिनियम की धारा 4/5 और शस्त्र अधिनियम की धारा 7, 25 और 27 के तहत) के तहत मामला दर्ज किया गया.
इसी तरह पिछले तीन हफ्तों में पुलिस द्वारा आतंकवादियों के ‘ओवरग्राउंड वर्कर और हमदर्द’ बताए गए 1,200 से अधिक लोगों से कश्मीर के कुछ हिस्सों में पूछताछ की गई और उनमें से कुछ को इस मामले के सिलसिले में हिरासत में लिया गया.
‘डॉक्टर’
पुलिस के अनुसार, इस मामले में उन्हें पहली सफलता तब मिली जब जांचकर्ताओं ने अनंतनाग ज़िले के सरकारी मेडिकल कॉलेज (जीएमसी) में डॉ. अदील अहमद राठेर के आधिकारिक लॉकर से एक एके-47 राइफल बरामद की.
कुलगाम ज़िले के निवासी राठेर पिछले साल अक्टूबर में नौकरी छोड़ने से पहले जीएमसी अनंतनाग में वरिष्ठ रेजिडेंट डॉक्टर के रूप में कार्यरत थे. हालांकि, पुलिस ने अभी तक यह स्पष्ट नहीं किया है कि एक व्यस्त अस्पताल में, जहां दर्जनों डॉक्टर रोज़ाना हज़ारों मरीज़ों का इलाज करते हैं, उनका लॉकर महीनों तक क्यों नहीं खोला गया.
डॉक्टर राठेर को बीते 6 नवंबर को उत्तर प्रदेश के सहारनपुर स्थित एक अस्पताल से गिरफ्तार किया गया था, जहां उन्होंने हाल ही में नौकरी शुरू की थी.
इसी सिलसिले में सोमवार को फरीदाबाद के पुलिस आयुक्त सतेंद्र कुमार गुप्ता ने बताया कि इस मॉड्यूल में कथित रूप से शामिल दूसरे डॉक्टर डॉ. मुज़म्मिल अहमद गनई, जो फरीदाबाद के एक विश्वविद्यालय में कार्यरत थे, को जम्मू-कश्मीर पुलिस के साथ एक संयुक्त अभियान में गिरफ्तार किया गया है.
पुलिस ने अभी तक ‘आतंकी मॉड्यूल’ में इन डॉक्टरों की भूमिका के बारे में विस्तृत जानकारी नहीं दी है. वहीं, अब तक उपलब्ध जानकारी की मानें, तो दोनों डॉक्टरों का कोई पूर्व आपराधिक रिकॉर्ड नहीं है.
‘सफेदपोश’
जम्मू-कश्मीर पुलिस ने एक बयान में कहा कि यह मॉड्यूल प्रतिबंधित जैश-ए-मोहम्मद और अंसार ग़ज़वत-उल-हिंद आतंकवादी संगठनों से जुड़ा था.
पुलिस के बयान में कहा गया है, ‘इसके अलावा, कुछ और लोगों की भूमिका सामने आई है, जिनकी तलाश की जाएगी और उन्हें गिरफ्तार किया जाएगा.’
इसके साथ ही पुलिस ने बताया कि दो एके-47 राइफलें, दो पिस्तौल, गोला-बारूद और 2900 किलोग्राम ‘आईईडी बनाने की सामग्री’ के साथ-साथ ‘अपराधी दस्तावेज़ और इलेक्ट्रॉनिक उपकरण’ बरामद किए गए हैं.
इसे ‘सफेदपोश आतंकवादी तंत्र’ करार देते हुए, जम्मू-कश्मीर पुलिस ने कहा कि मॉड्यूल के सदस्य ‘प्रशिक्षण, समन्वय, धन की आवाजाही और रसद’ सहायता के लिए एन्क्रिप्टेड चैनलों पर निर्भर थे, हालांकि उन्होंने ज़्यादा जानकारी नहीं दी.
पुलिस के बयान में कहा गया है, ‘सामाजिक/धर्मार्थ कार्यों की आड़ में पेशेवर और शैक्षणिक नेटवर्क के ज़रिए धन जुटाया गया. आरोपी लोगों की पहचान करने, उन्हें कट्टरपंथी बनाने, उन्हें आतंकवादी संगठनों में भर्ती करने, धन जुटाने, रसद की व्यवस्था करने, हथियार/गोला-बारूद और आईईडी तैयार करने की सामग्री जुटाने में शामिल पाए गए.’
हालांकि, बयान में उन ‘शैक्षणिक नेटवर्क’ का विवरण नहीं दिया गया जो कथित आतंकवादी गतिविधियों में शामिल थे.
दिल्ली विस्फोट
इस बीच मीडिया रिपोर्ट्स में अनाम दिल्ली पुलिस अधिकारियों के हवाले से मंगलवार (11 नवंबर) को दावा किया है कि दक्षिण कश्मीर के पुलवामा जिले के निवासी डॉ. उमर-उन-नबी उस हुंडई आई-20 कार को चला रहे थे, जिसमें विस्फोट हुआ था.
एक अन्य रिपोर्ट में उनकी पहचान डॉ. उमर मोहम्मद के रूप में हुई है, जो फरीदाबाद के एक विश्वविद्यालय में कार्यरत थे.
इस घटना को लेकर दिल्ली पुलिस ने विस्फोट के संबंध में यूएपीए, विस्फोटक अधिनियम और भारतीय न्याय संहिता की विभिन्न धाराओं के तहत मामला दर्ज किया है.
इस संबंध में सोमवार शाम लाल किला इलाके में एक सीसीटीवी कैमरे में कार की तस्वीर कैद हुई है, जिसमें विस्फोट होने से पहले कार को केवल एक ही पुरुष ही चलाते हुए दिखाई दे रहे हैं.
मालूम हो कि विस्फोट की आवाज़ दो किलोमीटर से भी ज़्यादा दूर तक सुनी गई.
माना जा रहा है कि हरियाणा में पंजीकृत इस कार के कई मालिक बदल चुके थे, इससे पहले कि इसे डॉ. नबी ने खरीदा, जिनके बारे में दिल्ली पुलिस ने कहा कि वह आतंकी मॉड्यूल से जुड़े थे.
कार के मालिकाना हक की जांच के सिलसिले में मंगलवार को दक्षिण कश्मीर के संबूरा में दो भाइयों समेत तीन लोगों को हिरासत में लिया गया है.
इस आतंकी मॉड्यूल मामले में गिरफ्तार किए गए अन्य आरोपियों में श्रीनगर के नौगाम निवासी आरिफ निसार डार, यासिर-उल-अशरफ और मकसूद अहमद डार, शोपियां निवासी इरफान अहमद, जिन्होंने एक स्थानीय मस्जिद में नमाज़ पढ़ाई और गंदेरबल निवासी ज़मीर अहमद अहंगर शामिल हैं.