दिल्ली हाईकोर्ट अधिवक्ता महमूद प्राचा के एक आवेदन पर सुनवाई कर रहा है जिसमें उन्होंने 2024 के लोकसभा चुनावों के दौरान देशभर के मतदान केंद्रों के अंदर के फुटेज की मांग की थी. इसके जवान में निर्वाचन आयोग ने न्यायालय को बताया है कि राष्ट्रीय राजधानी के सात ज़िला चुनाव अधिकारियों के पास 2024 लोकसभा चुनावों से जुड़े सीसीटीवी फुटेज नहीं हैं, क्योंकि वे नष्ट कर दिए गए हैं.

नई दिल्ली: भारतीय निर्वाचन आयोग ने दिल्ली उच्च न्यायालय को सूचित किया है कि राष्ट्रीय राजधानी के सात जिला चुनाव अधिकारियों (डीईओ) के पास 2024 लोकसभा चुनावों से जुड़े सीसीटीवी फुटेज नहीं हैं, क्योंकि वे नष्ट कर दिए गए हैं.
रिपोर्ट के मुताबिक, इस साल जून में भारत के चुनाव आयोग ने राज्यों के मुख्य निर्वाचन अधिकारियों को निर्देश दिया था कि वे मतदान प्रक्रिया के दौरान रिकॉर्ड किए गए सीसीटीवी, वेबकास्टिंग और अन्य वीडियो फुटेज को 45 दिनों के बाद नष्ट कर दें, यदि इस दौरान चुनाव परिणाम को अदालत में चुनौती नहीं दी जाती है.
आयोग का कहना था कि उसके इलेक्ट्रॉनिक डेटा का ‘दुरुपयोग कर गलत और भ्रामक नैरेटिव’ फैलाए जा रहे हैं, जिसके कारण यह फैसला लिया गया है.
लाइव लॉ की रिपोर्ट के अनुसार, जस्टिस मिनी पुष्करणा ने इस संबंध में चुनाव आयोग का बयान दर्ज किया.
मालूम हो कि अदालत अधिवक्ता महमूद प्राचा द्वारा दायर एक आवेदन पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें 2024 के लोकसभा चुनावों के दौरान देशभर के मतदान केंद्रों के अंदर के फुटेज की मांग की गई थी.
अपनी याचिका में प्राचा ने मांग की थी कि चुनाव आयोग देशभर के जिला चुनाव अधिकारियों को चुनाव प्रक्रिया के सीसीटीवी फुटेज उपलब्ध कराने का निर्देश दे.
उन्होंने यह भी मांग की थी कि जब तक मामला अदालत में लंबित है, तब तक फुटेज को नष्ट न किया जाए.
इस संबंध में अदालत के हवाले से कहा गया, ‘…आज की तारीख तक याचिकाकर्ता द्वारा मांगा गया डेटा, यानी 2024 के लोकसभा चुनाव से संबंधित वीडियो/सीसीटीवी फुटेज, अब दिल्ली के जिला निर्वाचन अधिकारियों के पास नहीं है और पहले ही नष्ट किए जा चुके हैं.’
इस पर अदालत में प्राचा ने कहा कि निर्वाचन आयोग के नए निर्देश केवल उनके द्वारा दायर याचिका को खारिज करने और सबूतों को नष्ट करने के लिए जारी किए गए हैं.
दूसरी ओर, चुनाव आयोग ने कहा कि प्राचा ने नए निर्देशों को चुनौती नहीं दी है.
इस मामले में अदालत द्वारा कहा गया, ‘उपर्युक्त बातों को ध्यान में रखते हुए इस समय इस अदालत द्वारा वर्तमान आवेदन पर कोई आदेश पारित नहीं किया जा सकता. तदनुसार, वर्तमान आवेदन का निपटारा किया जाता है.’
ज्ञात हो कि इससे पहले अगस्त में, मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में सीसीटीवी फुटेज साझा न करने के लिए मतदाता गोपनीयता का हवाला दिया था और पूछा था कि क्या ‘मां, बेटियों, बहुओं’ की सीसीटीवी फुटेज सार्वजनिक की जानी चाहिए. उनके इस कथन की खासी आलोचना भी हुई थी.
गौरतलब है कि दिसंबर 2024 में केंद्र सरकार ने साल 1961 के चुनाव आचरण नियमों के नियम 93(2)(a) में बदलाव किया था. इस बदलाव के बाद अब सभी चुनाव से जुड़े दस्तावेज जनता को देखने के लिए उपलब्ध नहीं होंगे.
फरवरी में इस बदलाव को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई थी. पारदर्शिता कार्यकर्ता अंजलि भारद्वाज ने याचिका दाखिल की, जिसमें कहा गया कि यह बदलाव मतदाताओं के सूचना के अधिकार पर अनुचित रोक लगाता है.
सुप्रीम कोर्ट ने इस याचिका पर केंद्र सरकार और चुनाव आयोग को नोटिस भेजा है. यह मामला फिलहाल सुप्रीम कोर्ट में लंबित है.
उल्लेखनीय है कि जनवरी 2024 में चंडीगढ़ नगर निगम चुनावों के दौरान एक अधिकारी सीसीटीवी कैमरों में मतगणना में गड़बड़ी करते पकड़े गए थे. इसके बाद फरवरी में सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव परिणाम रद्द कर दिए और आम आदमी पार्टी और कांग्रेस के संयुक्त प्रत्याशी कुलदीप कुमार को वैध रूप से निर्वाचित मेयर घोषित किया.