सांसदों-विधायकों में नहीं बन पा रहा समन्वय

भाजपा के जिला स्तर पर संगठनात्मक ढांचा मजबूत करने की


कवायद अधर में अटकी हुई है। प्रदेश के 24 जिलों में अब तक जिला कार्यकारिणी का गठन नहीं हो पाया है। संगठन स्तर पर इस मामले को लेकर असमंजस की स्थिति बनी हुई है। सूत्रों के अनुसार, जिन जिलों में कार्यकारिणी का गठन नहीं हो सका है वहां स्थानीय स्तर पर नामों को लेकर मतभेद बने हुए हैं। संगठनात्मक समीकरण और गुटबाजी भी देरी का बड़ा कारण मानी जा रही है। पार्टी सूत्रों का कहना है कि सांसदों और विधायकों के बीच समन्वय नहीं बन पाने के कारण जिलाध्यक्ष कार्यकारिणी को घोषित नहीं कर पा रहे हैं।
गौरतलब है कि प्रदेश अध्यक्ष हेमंत खंडेलवाल ने तीन महीने पहले जिला कार्यकारिणी घोषित करने की प्रक्रिया शुरू की थी। इन तीन महीनों में 62 में से 38 जिलों की टीम ही बन पाई है। प्रदेश भाजपा की 24 अहम जिला कार्यकारिणी अब भी लंबित हैं। इसकी सबसे बड़ी वजह राजनीतिक दबाव और जमीनी कार्यकर्ताओं का असंतोष बताया जा रहा है। कुछ जिलों की कार्यकारिणी के गठन में कार्यकर्ताओं का विरोध खुलकर सामने आ चुका है। गौरतलब है कि भाजपा ने जिला अध्यक्षों की घोषणा इस साल की शुरुआत में कर दी थी। जिला अध्यक्षों की घोषणा पूर्व प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा के कार्यकाल में हो गई थी। इसके बाद नए अध्यक्ष के इंतजार में जिला कार्यकारिणी अटकी रही। हेमंत खंडेलवाल जब प्रदेश अध्यक्ष बने तो जिला कार्यकारिणी के गठन की प्रक्रिया शुरू हो गई थी।
भोपाल शहर की कार्यकारिणी पर सहमति नहीं बनी
प्रदेश अध्यक्ष हेमंत खंडेलवाल ने इस बार जिला कार्यकारिणी की घोषणा से पहले सभी जिलों में ऑब्जर्वर भेजे थे। इन ऑब्जर्वर ने अपनी रिपोर्ट 15 अगस्त तक प्रदेश भाजपा कार्यालय को सौंप दी थी। इसके बाद जिला अध्यक्ष और क्षेत्र के विधायक सांसदों से चर्चा के बाद जिला कार्यकारिणी के गठन की प्रक्रिया शुरू हुई। इस पूरी प्रक्रिया के बाद भी भाजपा अपनी सभी 62 जिला कार्यकारिणी की घोषणा नहीं कर पाई है। भाजपा की प्रदेश के दस संभागों में 62 जिला कार्यकारिणी हैं। इनमें भोपाल, इंदौर, जबलपुर, ग्वालियर और सागर में दो-दो जिला कार्यकारिणी हैं। भोपाल में भोपाल ग्रामीण की जिला कार्यकारिणी की घोषणा हो चुकी है, लेकिन भोपाल शहर की कार्यकारिणी पर सहमति नहीं बनी। उधर, इंदौर में नगर की जिला कार्यकारिणी घोषित हो गई, पर इंदौर ग्रामीण की कार्यकारिणी घोषित नहीं हो पा रही है। इसी तरह जबलपुर शहर और सागर शहर की कार्यकारिणी भी अटकी हुई है।
जमीनी पकड़ वाले कार्यकर्ताओं को महत्व
पार्टी की रणनीति है कि संगठन के कार्यों को पूर्णकालिक रूप से निभाने वाले ऐसे कार्यकर्ताओं को आगे लाया जाए, जिनकी जमीनी पकड़ मजबूत है और जो संगठनात्मक कामकाज में सक्रिय हैं। इसी के तहत अब नए और कम चर्चित लेकिन प्रभावी चेहरों को प्रदेश टीम में स्थान दिया जा रहा है। नई कार्यकारिणी में युवाओं, महिलाओं और सामाजिक दृष्टि से विविध प्रतिनिधित्व पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। प्रदेश अध्यक्ष सभी जिलों से सक्रिय कार्यकर्ताओं को टीम में शामिल कर रहे हैं। इससे भी जिला कार्यकारिणी घोषित होने के बाद विवाद की स्थिति बन रही है। भाजपा की 38 जिला कार्यकारिणी घोषित हो चुकी हैं। इनमें भी कई जिलों में विवाद की स्थिति बनी है। इसके बाद पदाधिकारियों से इस्तीफे लिए गए। मंडला में पूर्व केंद्रीय मंत्री फग्गन सिंह कुलस्ते की बहन प्रिया धुर्वे और मंत्री संपतिया उइके की बेटी श्रद्धा उइके की नियुक्ति का विरोध हो गया था। इसके बाद उनसे इस्तीफा लिया गया। वहीं मऊगंज में पूर्व विधानसभा अध्यक्ष गिरीश गौतम के बेटे राहुल गौतम पर सवाल उठे। इन विवादों के बाद प्रदेश अध्यक्ष को जिला कार्यकारिणी घोषित करना और ज्यादा मुश्किल हो रहा है। दरअसल कार्यकर्ताओं के भीतर परिवारवाद को लेकर असंतोष गहराता जा रहा है।
संगठन विस्तार के साथ नए-नए प्रयोग
भाजपा प्रदेश अध्यक्ष हेमंत खंडेलवाल संगठन विस्तार के साथ नए-नए प्रयोग कर रहे है। पहली बार भाजपा ने प्रदेश मोर्चा प्रभारी, प्रदेश प्रकोष्ठ प्रभारी और कार्यालय व्यवस्था प्रभारी के पदों पर नियुक्तियां की है। संगठन के वरिष्ठ नेताओं को यह जिम्मेदारी सौंपी है। गौरतलब है कि भाजपा ने जब संभाग संगठन महामंत्री के पद खत्म किए थे, तब संगठन महामंत्रियों को राजनीतिक नियुक्तियां देकर एडजस्ट किया गया था। शिवराज सरकार में आधा दर्जन संगठन महामंत्रियों को निगम मंडलों में अहम जिम्मेदारियां दी गई थी। इसके बाद मोहन सरकार आने के बाद निगम मंडलों की सभी नियुक्तियों को निरस्त कर दिया था। इसके बाद से कई संगठन महामंत्री खाली बैठे हुए है। अब इन नेताओं को संगठन में दूसरे पद देकर एडजस्ट किया जा रहा है। इससे यह तो साफ है कि अब संगठन महामंत्रियों और कई वरिष्ठ नेताओं को राजनीतिक पदों की जिम्मेदारी नहीं दी जाएगी। पूर्व संभागीय संगठन मंत्री और शिवराज सरकार में खादी एवं ग्रामोद्योग बोर्ड के अध्यक्ष रहे जितेंद्र लिटोरिया को अब कार्यालय व्यवस्था प्रभारी बनाया गया है। लिटोरिया को प्रदेश कार्यालय के साथ ही राज्यभर के जिला कार्यालयों के प्रबंधन की जिम्मेदारी दी गई है। वहीं पूर्व संभागीय संगठन महामंत्री आशुतोष तिवारी को प्रदेश प्रकोष्ठ प्रभारी की जिम्मेदारी सौंपी है। इसी तरह भाजपा के वरिष्ठ नेता मनोरंजन मिश्रा को सभी प्रकोष्ठों का प्रभारी नियुक्त किया है। हेमंत खंडेलवाल ने प्रदेश युवा मोर्चा और महिला मोर्चा के नए अध्यक्षों की घोषणा कर संगठन में दो महत्वपूर्ण पदों को भर दिया है। शाजापुर जिले के भाजपा जिला अध्यक्ष श्याम टेलर को प्रदेश युवा मोर्चा का अध्यक्ष बनाया गया है। टेलर ओबीसी समाज से आते हैं और संगठन में लंबे समय से सक्रिय हैं। पार्टी ने इस बार युवा मोर्चा का नेतृत्व जातीय संतुलन को ध्यान में रखते हुए ओबीसी वर्ग के युवा नेता को सौंपा है। वहीं महिला मोर्चा की कमान जबलपुर की पूर्व जिला अध्यक्ष और संघ पृष्ठभूमि से जुड़ीं अश्विनी परांजपे को दी गई है। परांजपे ब्राह्मण समाज से हैं और महिला मोर्चा में लंबे समय तक पदों पर रहते हुए सक्रिय भूमिका निभाती रही है। पार्टी ने महिला मोर्चा के लिए ब्राह्मण नेतृत्व को चुनकर संगठनात्मक समीकरणों को संतुलित करने की कोशिश की है।