दिल्ली के लाल क़िला मेट्रो स्टेशन के पास हुए एक कार धमाके के कुछ ही घंटों बाद मुंबई पुलिस 2006 मुंबई ट्रेन ब्लास्ट मामले में बरी किए गए लोगों के घर पहुंची थी. हालांकि, पुलिस के पास इसके लिए कोई वैध अदालती दस्तावेज़ या कागज़ नहीं थे.
लाल किला मेट्रो स्टेशन के पास 10 नवंबर को हुए एक कार धमाके के कुछ ही घंटों बाद मुंबई पुलिस की एक टीम मीरा रोड स्थित मुज़म्मिल अताउर रहमान शेख के घर पहुंची.

शेख 19 साल की कैद और बॉम्बे हाई कोर्ट से बरी होने के बाद दो महीने पहले ही अपने घर लौटे हैं, और अचानक घर में पुलिस की मौजूदगी को देखकर हैरानी में पड़ गए .
मुंबई के 2006 के सीरियल ट्रेन ब्लास्ट केस में दो दशक जेल में बिताने वाले शेख कहते हैं, ‘पास के थाने से एक कॉन्स्टेबल आए और उन्होंंने मुझसे उनके साथ एक सेल्फी लेने को कहा. यह अजीब था.’
मालूम हो कि शेख को इस साल 21 जुलाई को 11 अन्य लोगों के साथ बरी कर दिया गया था.
पुलिस के घर आने तक शेख को दिल्ली में हुए धमाके की कोई जानकारी नहीं थी. वह कहते हैं, ‘मैंने मामले में अपने सह-आरोपियों को फ़ोन किया तो उन्होंने मुझे बताया कि पुलिस उनके घरों पर भी पहुंची है. तभी मुझे दिल्ली विस्फोट के बारे में पता चला.’
पेशे से इंजीनियर मुज़म्मिल 2006 में महाराष्ट्र आतंकवाद निरोधी दस्ते (एटीएस) द्वारा गिरफ्तार किए जाने से पहले बेंगलुरु में काम करते थे. पुलिस से उनकी हालिया मुलाकात थोड़े समय के लिए ही हुई थी, लेकिन इसने शेख के दिल-ओ-दिमाग़ में पिछले छापे और पुलिस की अचानक उपस्थिति की यादें ताज़ा कर दी.
उन्होंने कहा, ‘हम पर एक झूठे मामले में मुक़दमा दर्ज किया गया, लगभग दो दशक तक हमने मुश्किलें सहीं और पुलिस अब भी हमें परेशान करने के तरीके ढूंढ रही है.’
मुलाक़ात के तुरंत बाद शेख ने मुंबई पुलिस आयुक्त को शिकायत पत्र भेजे.
पुलिस कई लोगों के घर पहुंची
शेख के घर के अलावा पुलिस की एक टीम उस समय पास ही रह रहे साजिद अंसारी के घर भी पहुंची थी.
वह कहते हैं, ‘मैंने शुरू में विरोध किया, लेकिन बाद में सोचा कि पुलिस के साथ एक तस्वीर, जिसमें टाइम स्टैंप लगा हो, शायद कुछ मदद कर दे… कम से कम वे बाद में मुझ पर झूठा मुक़दमा दर्ज न कर सकें और यह दावा न कर सकें कि मैं बम रखने में शामिल था.’
मुंबई के बाहरी इलाके में मोबाइल रिपेयर की दुकान चलाने वाले अंसारी पर 11 जुलाई, 2006 को मुंबई की पश्चिमी लाइन पर विभिन्न ट्रेनों में हुए कई बम विस्फोटों के लिए ‘सर्किट तैयार करने’ का आरोप लगाया गया था.
इस घटना में 189 लोग मारे गए थे. 19 साल बाद बॉम्बे हाईकोर्ट को उनके और अन्य लंबी कैद की सज़ा भुगतने वाले 11 अन्य लोगों के खिलाफ कोई सबूत नहीं मिला.
दिल्ली विस्फोट के बाद महाराष्ट्र पुलिस ट्रेन ब्लास्ट केस से जुड़े सभी लोगों से मिलने उनके घरों पर पहुंची. ज़ाहिर तौर पर पुलिस का ये कदम उनके ठिकानों की पुष्टि करने के लिए था. हालांकि, किसी भी टीम के पास ऐसे अचानक घरों में जाने को सही ठहराने