तेजी से चल रहा है। इसका परिणाम यह हुआ है कि प्रदेश के 72

प्रतिशत से अधिक घरों मे नल से जल कनेक्शन हो गया है। इसको लेकर मुख्य सचिव अनुराग जैन कार्यों की समीक्षा की। बैठक में बताया गया कि मप्र में जल जीवन मिशन के कामों में भारी अनियमितताएं और देरी सामने आने के बाद विभाग ने बड़ी कार्रवाई की है। मिशन शुरू होने के बाद से अब तक कुल 280 एजेंसियों को ब्लैकलिस्ट किया गया है। साथ ही 22 ठेकेदारों को भी ब्लैकलिस्ट कर उनके अनुबंध रद्द कर दिए गए हैं। इन सभी पर आरोप है कि मिशन के काम में देरी हुई, घटिया सामग्री का उपयोग किया गया और निविदा प्रक्रिया के नियमों का उल्लंघन किया गया। विभाग को यह भी पता चला कि कुछ ठेकेदारों ने फर्जी बैंक गारंटी जमा की। ऐसे मामलों में विभाग ने सबसे पहले अनुबंध खत्म किए और बाद में प्रकरण को सीबीआई के हवाले कर दिया।
पानी सप्लाई से जुड़े कामों की डीपीआर गलत तरीके से तैयार करने के मामले भी बड़ी संख्या में सामने आए। इसी वजह से विभाग ने सब इंजीनियर से लेकर ईई (एक्जीक्यूटिव इंजीनियर) तक 141 अधिकारियों को शो-कॉज नोटिस जारी किए हैं। इसके अलावा डीपीआर तैयार करने वाली 187 एजेंसियों को भी नोटिस भेजा गया है। अब तक लापरवाही और देरी के कारण एजेंसियों पर लगभग 30 करोड़ रुपए की पेनल्टी लगाई जा चुकी है। बैठक में लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग के प्रमुख सचिव पी नरहरि ने अब तक की कार्रवाई की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि विभाग यह सुनिश्चित कर रहा है कि काम तय समय पर पूरे हों और वित्तीय अनियमितता न हो। सीएस ने अधिकारियों को निर्देश दिए कि सभी लंबित योजनाओं की गति तेज की जाए और हर गांव के हर घर तक स्वच्छ पानी समय पर पहुंचे। उन्होंने यह भी कहा कि मिशन में क्वालिटी कंट्रोल और नियमित मॉनिटरिंग की व्यवस्था मजबूत की जाए।
लापरवाही बर्दास्त नहीं की जाएगी
सीएस ने साफ निर्देश दिए कि किसी भी स्तर पर लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी और जीरो टॉलरेंस की नीति अपनाई जाएगी। बैठक में अब तक हुई प्रगति पर भी चर्चा हुई। अधिकारियों के अनुसार, राज्य में 80 लाख 52 हजार 82 घरों तक नल कनेक्शन दिए जा चुके हैं, जो कुल लक्ष्य का 72 प्रतिशत से अधिक है। इस पर सीएस ने संतोष जताया। जल जीवन मिशन के तहत 2020 से ग्रामीण परिवारों को नल से स्वच्छ पेयजल उपलब्ध कराने का कार्य चल रहा है, लेकिन कई गांवों के छोटे मजरे, पारे और टोले मूल डीपीआर में शामिल नहीं किए गए थे, जिससे वहां कनेक्शन नहीं मिल सका। मुख्य सचिव ने लापरवाही का संज्ञान लेकर कार्रवाई के निर्देश दिए। इंजीनियर-इन-चीफ की अध्यक्षता में जिला स्तरीय पुनरीक्षण समिति गठित हुई। समिति ने 8358 एकल ग्राम नल-जल योजनाओं की पुनरीक्षित डीपीआर जांचकर रिपोर्ट दी, जिसके आधार पर ब्लैकलिस्टिंग, नोटिस और पेनाल्टी की कार्रवाई हुई।
समय पर पूरा करें लक्ष्य
मुख्य सचिव ने कहा कि जल जीवन मिशन की शेष योजनाओं में कार्य की गति तेज करते हुए हर ग्राम के हर घर तक स्वच्छ जल पहुंचाने के लक्ष्य को समयबद्ध रूप से पूरा किया जाए। गुणवत्ता नियंत्रण एवं नियमित पुनरीक्षण की सभी प्रक्रियाओं को मजबूती से लागू किया जाए। शासन की मंशा है कि जल जीवन मिशन के क्रियान्वयन में पारदर्शिता, उत्तरदायित्व और गुणवत्ता सर्वोच्च प्राथमिकता रहे और किसी भी स्तर पर लापरवाही के लिए जीरो टॉलरेंस की नीति अख्तियार की जाए। प्रमुख सचिव पी. नरहरि ने बताया कि विभाग द्वारा हर संभव प्रयास किए जा रहे है कि जल जीवन मिशन का कार्य पूर्ण गुणवत्ता के साथ समय सीमा में पूर्ण हों एवं किसी भी प्रकार की वित्तीय अनियमितता न हो। उन्होंने बताया कि फर्जी बैंक गारंटी जमा करने का मामला जब विभाग के संज्ञान में आया, तो उस ठेकेदार के विरुद्ध विभाग ने न केवल टर्मिनेशन की कार्रवाई की, बल्कि ठेकेदार के विरुद्ध सीबीआई में केस भी दर्ज कराया है।
प्रदेश में 735 पशु चिकित्सालय खुलेंगे
लोकसेवा आयोग द्वारा शीघ्र ही 200 पशु चिकित्सकों के चयन की कार्यवाही पूर्ण की जा रही है। इसी तरह कर्मचारी चयन मंडल ने 500 सहायक पशु चिकित्सा क्षेत्र अधिकारियों के पदों की पूर्ति के लिए परिणाम घोषित किए हैं। इनकी पदस्थापना भी शीघ्र हो जाएगी। आगामी वर्ष 735 पशु चिकित्सालय स्थापित करने की प्रक्रिया भी संचालित है। प्रदेश में एक साल में करीब 1000 नई दुग्ध सहकारी समितियां गठित की गई हैं। साथ ही 585 निष्क्रिय समितियों को गतिशील बनाया गया है। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव को यह जानकारी मंगलवार को मंत्रालय में आयोजित पशुपालन एवं डेयरी विभाग की समीक्षा बैठक में दी गई। बैठक में मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश में गोपालन को बढ़ावा देने के कार्य निरंतर संचालित किए जाएं। दुग्ध सहकारी समितियों की संख्या में निरंतर वृद्धि होना चाहिए। प्रदेश में दुग्ध उत्पादन दोगुना करने के लक्ष्य को ध्यान में रखते हुए पशुपालन और डेयरी विभाग सभी कार्य सुनिश्चित करें। गत दो वर्ष में डेयरी विकास के क्षेत्र में महत्वपूर्ण उपलब्धियां भी अर्जित हुई हैं। इन्हें निरंतर कायम रखा जाए। पशु चिकित्सा सेवाओं का विस्तार आवश्यक है। बैठक में बताया गया कि 13 अप्रैल 2025 को मप्र शासन, एमपी स्टेट को-आपरेटिव डेयरी फेडरेशन, संबंद्ध दुग्ध संघों और राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड के बीच सहकार्यता अनुबंध हुआ है।