खाद के लिए रतजगा कर रहे अन्नदाता

में किसानों को रूला रही खाद, डिमांड और सप्लाई में जमीन आसमान का अंतर.

मनीष द्विवेदी/भोपाल/मंगल भारत। मप्र में खरीफ सीजन के बाद अब रबी सीजन में भी खाद की कमी किसानों को रूला रही है। यह पहला साल नहीं हैं जब प्रदेश में खाद की किल्लत हो रही है। रबी सीजन हो या खरीफ सीजन हर बार, हर साल किसान खाद के लिए मारामारी करता है, लंबी लाइन लगाता है, डंडे खाता है, कई दिन इंतजार करता है और नतीजा ये रहता है कि किसान को यदि खाद मिल भी जाती है तो उसे जितनी चाहिए उतनी नहीं। मजबूरन किसान दोगुने दामों में बाजार से खाद खरीदता है। इधर खाद व्यापारी भी कालाबाजारी करने से नहीं चूकते। इससे बड़ी विडंबना क्या होगी कि देश के लिए अन्न उगाने वाले अन्नदाता को समय पर पर्याप्त खाद नहीं मिल पाती। आलम यह है कि कुछ बोरी खाद के लिए अन्नदाता कडक़ड़ाती ठंड में खुले आसमान के नीचे सोने के लिए मजबूर हो रहे हैं।
प्रदेश में खाद की मारामारी वाले जिलों की लंबी फेहरिस्त है। अधिकांश जिले ऐसे हैं जहां खाद के लिए किसान रात से ही कतारों में लग जाते हैं। बड़वानी, खंडवा, शिवपुरी सहित अन्य जिलों के किसान खरीफ फसलों की बुवाई के बाद सारे काम छोड़ कर खाद के लिए भटक रहे हैं। बुरहानपुर, खरगोन, विदिशा, नर्मदापुरम जैसे कई जिले हैं जहां खाद के लिए किसानों को एड़ी-चोटी का जोर लगाना पड़ रहा है। समय पर खाद नहीं मिलने से सबसे ज्यादा असर बुवाई पर पड़ रहा है। किसानों का कहना है कि समय से खाद उपलब्ध नहीं हो पा रही है।
लोग भूखे-प्यासे कतार में
प्रदेश में खाद के लिए किसान लगातार परेशान हो रहे हैं। हालात यह हैं कि किसान खाद वितरण केंद्रों पर खुले आसमान के नीचे रात गुजारने को मजबूर हैं। सबसे ज्यादा खराब स्थिति गुना के बमोरी इलाके के बागेरी और गुना शहर की नानाखेड़ी मंडी स्थित डबल लॉक केंद्र की है। यहां किसान रात में ही आकर डेरा डाले हुए हैं और लाइनों में बिस्तर बिछाकर सो रहे हैं। उधर, कृषि विभाग के अधिकारी दावा कर रहे हैं कि जिले में खाद की कोई कमी नहीं है और आपूर्ति लगातार हो रही है। नानाखेड़ी मंडी स्थित डबल लॉक गोदाम पर लगभग 100 से ज्यादा किसान खुले आसमान के नीचे सोते हुए मिले। कुछ किसान ठंड से बचने के लिए अलाव ताप रहे थे और खाद न मिलने की अपनी परेशानियों पर बात कर रहे थे। कुछ किसानों के पास ओढऩे के लिए नहीं था, तो उन्होंने तिरपाल से ही खुद को ढंक रखा था। प्रशासन के भरपूर खाद के दावे पर एक महिला किसान ने कहा कि खाद होता तो यहां तीन-चार दिन से पड़े रहना नहीं पड़ता। यहां लाइन में लग रहे हैं, तो भी उद्यम हो रहा है। गांव-गांव में खाद मिलता, तो जनता यहां क्यों पड़ी होती। 20-25 लोगों को खाद मिल पाता है और फिर बंद हो जाता है। जनता की कौन सुनवाई कर रहा है। कोई सुनवाई नहीं कर रहा।
भुरिया बाई को खाद तो नहीं, मौत मिल गई
गुना जिले के बमोरी विधानसभा क्षेत्र में खाद वितरण में अव्यवस्था की अफरा-तफरी बुधवार रात एक दर्दनाक मोड़ ले गई। कुशेपुर गांव की आदिवासी महिला किसान भुरिया बाई की मौत ने पूरे जिले को झकझोर दिया है। दो दिनों से बागेरी खाद केंद्र पर लाइन में लगी भुरिया बाई ठंड, भूख-प्यास और थकान से कमजोर हो गई थीं। अचानक तबीयत बिगडऩे पर उन्हें अस्पताल ले जाया गया, जहां डॉक्टरों ने मृत घोषित कर दिया। मृतका बागेरी डबल लॉक गोदाम पर खाद लेने के लिए लाइन में लग रही थी। परिजनों के अनुसार, वह दो दिनों से खाद के इंतजार में लाइन में खड़ी थी। दिनभर लाइन में रहने के बाद वह रात में वहीं आराम कर रही थी। इसी दौरान उसकी तबीयत बिगड़ी। उसे लगातार उल्टियां हुईं। परिजन उसे गुना जिला अस्पताल लेकर पहुंचे, लेकिन डॉक्टरों ने वहां उसे मृत घोषित कर दिया। परिवार अब अंतिम संस्कार की तैयारी कर रहा है। सूचना मिलते ही प्रशासनिक अधिकारी गांव पहुंचे। कलेक्टर किशोर कुमार कन्याल ने बताया कि सूचना मिली कि महिला खाद की लाइन में लगी थी। उसे वॉमिटिंग हुई, जिसके बाद उसे गुना के एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया था, जहां उसकी मौत हो गई। इस मामले पर बमोरी से कांग्रेस विधायक ऋषि अग्रवाल ने कहा कि कल रात में मैं खुद बागेरी वितरण केंद्र पर गया था। बड़ी संख्या में किसान वहां लाइन में लगे हुए हैं। भीड़ बहुत हो रही थी। ठंड में खुले आसमान के नीचे किसान रुके हुए हैं। प्रशासन दावा कर रहा है कि पर्याप्त खाद है, तो फिर किसानों को खाद क्यों नहीं मिल रहा है। एक सहरिया महिला की मौत हो गई है। इसकी जिम्मेवारी कौन लेगा, प्रशासन लेगा या सरकार लेगी? एक तरफ सरकार जन मन की बात कर रही है। एक तरफ सरकार बात करती है कि घर-घर खाद पहुंचाएंगे। और आज इसकी मौत हुई है तो इसकी जिम्मेदारी कौन लेगा। इधर केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया भी गुना दौरे पर हैं और बुधवार को बमोरी इलाके में मौजूद थे। उन्हें मामले की जानकारी मिली तो कलेक्टर और पूर्व मंत्री महेंद्र सिंह सिसोदिया को तुरंत कुशेपुर भेजा गया।