वीडी सावरकर के भतीजे सत्यकी ने राहुल गांधी के जिस भाषण को लेकर मानहानि का केस दायर किया है, उससे संबंधी सीडी ख़ाली निकलने के बाद उन्होंने उक्त भाषण को गांधी के यूट्यूब चैनल से कोर्ट में चलाने की अर्ज़ी दी थी. पुणे की विशेष एमपी/एमएलए अदालत ने इसे ख़ारिज करते हुए कहा है कि यूआरएल भारतीय साक्ष्य अधिनियम की धारा 65बी के तहत स्वीकार्य नहीं है.

नई दिल्ली: कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने साल 2023 में लंदन में एक भाषण दिया था, जिसके बाद उनके खिलाफ दक्षिणपंथी नेता विनायक सावरकर की मानहानि का मामला दर्ज कराया गया था. इस मामले में अब एक दिलचस्प घटनाक्रम सामने आया है.
पुणे की एक विशेष एमपी/एमएलए अदालत ने उस वीडियो को चलाने की मांग खारिज कर दी, जो गांधी के यूट्यूब चैनल पर अपलोड है और जिसमें वही भाषण रिकॉर्ड है.
खास बात यह है कि सावरकर के भतीजे सत्यकी ने गांधी के खिलाफ आपराधिक मानहानि का मामला दायर कराया है. उनका आरोप है कि गांधी ने सावरकर के लिए आपत्तिजनक और अपमानजनक भाषा का इस्तेमाल किया.
विशेष न्यायाधीश अमोल शिंदे इस मामले की सुनवाई कर रहे हैं, जो इस समय शिकायतकर्ता की मुख्य गवाही (एग्ज़ामिनेशन-इन-चीफ़) के चरण में है.
लाइव लॉ के मुताबिक, 14 नवंबर के आदेश के अनुसार, जब अदालत में वह कॉम्पैक्ट डिस्क (सीडी) चलाई गई जिसमें कथित आपत्तिजनक भाषण होने का दावा किया गया था, तो वह ‘खाली’ निकली.
यह सीडी सत्यकी ने अपनी शिकायत दर्ज कराते समय अदालत में जमा कराई थी. जब सीडी खाली निकली, तो सत्यकी ने आवेदन देकर अदालत से सीधे गांधी के यूट्यूब चैनल से वह भाषण चलाने की अनुमति मांगी. उन्होंने उस वीडियो का लिंक भी सीडी के साथ अदालत को दिया था.
हालांकि, गांधी की ओर से पेश हुए अधिवक्ता मिलिंद पवार ने इस मांग पर आपत्ति जताई. उनका तर्क था कि सत्यकी उस यूट्यूब चैनल के मालिक नहीं हैं, इसलिए वीडियो सीधे वहां से चलाने की अनुमति नहीं दी जा सकती.
दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद, जज शिंदे ने अपने आदेश में कहा कि सत्यकी द्वारा जमा की गई सीडी को जब अदालत के लैपटॉप और कंप्यूटर पर चलाया गया, तो वह खाली पाई गई और उसमें कोई डेटा नहीं था.
जज ने यह भी नोट किया कि सत्यकी ने इस सीडी के साथ भारतीय साक्ष्य अधिनियम की धारा 65बी के तहत आवश्यक प्रमाणपत्र भी संलग्न किया था.
जज ने कहा, ‘प्रमाणपत्र का इस्तेमाल उस यूआरएल के लिए नहीं किया जा सकता है जिसे शिकायतकर्ता चलाना चाहता है. भारतीय साक्ष्य अधिनियम की धारा 65B के अनुसार यह यूआरएल प्रमाणपत्र द्वारा समर्थित नहीं है. इसलिए, यह यूआरएल साक्ष्य के रूप में स्वीकार्य नहीं है.’
विशेष अदालत ने कहा कि शिकायतकर्ता ने यह मामला 2023 में दर्ज किया था, जब आरोपित ने कथित आपत्तिजनक भाषण दिया, प्रसारित किया और साझा किया.
अदालत ने जोड़ा, ‘मामला उस कारण से दर्ज किया गया जो 2023 में हुआ. इसलिए यह अदालत यूआरएल को कोर्ट में नहीं चला सकती. शिकायतकर्ता को अपना मामला संदेह से परे साबित करना होगा. अदालत इस आवेदन में कोई योग्यता नहीं पाती. शिकायतकर्ता का आवेदन खारिज किया जाना चाहिए.’
इन टिप्पणियों के साथ अदालत ने शिकायतकर्ता सत्यकी का यूट्यूब वीडियो कोर्ट में चलाने का आवेदन खारिज कर दिया.
इससे पहले भी सत्यकी को लगा था झटका
जुलाई में सुनवाई के दौरान सत्यकी सावरकर ने यह मांग की थी कि कांग्रेस नेता राहुल गांधी को वह पुस्तक उपलब्ध कराने का निर्देश दिया जाए, जिसका हवाला उन्होंने सावरकर पर कथित अपमानजनक टिप्पणी करते समय दी थी.
तब जस्टिस अमोल शिंदे ने कहा था कि राहुल गांधी को उस किताब को प्रस्तुत करने के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता.
कोर्ट ने कहा था, ‘अनुच्छेद 20(3) के अनुसार… किसी भी अपराध का आरोपी व्यक्ति स्वयं के विरुद्ध गवाही देने के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता. इसलिए, अदालत का मानना है कि आरोपी को ऐसा दस्तावेज़ प्रस्तुत करने का निर्देश देना उचित नहीं होगा.’
सत्यकी सावरकर द्वारा दर्ज कराई गई मानहानि की शिकायत के अनुसार, मार्च 2023 में लंदन में दिए गए एक भाषण के दौरान राहुल गांधी ने कथित रूप से कहा था कि विनायक दामोदर सावरकर ने एक ‘किताब‘ में लिखा था कि ‘उन्होंने और उनके पांच-छह दोस्तों ने एक मुसलमान व्यक्ति की पिटाई की थी, और उन्हें (सावरकर को) इस पर खुशी हुई थी.’
शिकायतकर्ता का दावा है कि ऐसा कोई वाकया कभी नहीं हुआ और न ही सावरकर ने इस बारे में कहीं लिखा है.