भोपाल गैस त्रासदी: पीड़ितों ने भाजपा पर धोखा देने का आरोप लगाया, पार्टी के ख़िलाफ़ ‘आरोपपत्र’ जारी किया

वर्ष 1984 के भोपाल गैस हादसे के 41 साल बाद, पीड़ितों के संगठनों ने आरोप लगाया कि भाजपा सरकारों ने सालों से आपराधिक आरोप कम करने, पुनर्वास उपायों को रोकने, मुआवज़े की कोशिशों को कमज़ोर करने और भारत में डॉव केमिकल को फैलने में मदद की है.

नई दिल्ली: वर्ष 1984 के भोपाल गैस हादसे के 41 साल बाद पीड़ितों के संगठनों ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) पर यूनियन कार्बाइड और डॉव केमिकल को जवाबदेही से बचाने और न्याय में रुकावट डालने का आरोप लगाया है.

सोमवार (1 दिसंबर) को हुई एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में गैस पीड़ितो के चार के संगठन – भोपाल गैस पीड़ित महिला स्टेशनरी कर्मचारी संघ, भोपाल गैस पीड़ित महिला पुरुष संघर्ष मोर्चा, भोपाल गैस पीड़ित निराश्रित पेंशनभोगी संघर्ष मोर्चा और भोपाल ग्रुप फॉर इन्फॉर्मेशन एंड एक्शन – ने ‘भाजपा के खिलाफ भोपाल गैस पीड़ितों का आरोपपत्र‘ नाम से एक दस्तावेज जारी किया.

दस्तावेज में 1982 और 2024 के बीच 13 ऐसे मामले सूचीबद्ध किए गए हैं, जहां संगठनों ने आरोप लगाया है कि भाजपा सरकारों ने सालों से आपराधिक आरोप कम करने, पुनर्वास उपायों को रोकने, मुआवज़े की कोशिशों को कमज़ोर करने और भारत में डॉव केमिकल को फैलने में मदद करने के लिए दखल दिया है.

उल्लेखनीय है कि भोपाल गैस कांड दुनिया की सबसे बड़ी औद्योगिक आपदाओं में से एक है. 2 और 3 दिसंबर 1984 की मध्यरात्रि को यूनियन कार्बाइड कारखाने से जहरीली ‘मिथाइल आइसोसाइनेट’ गैस रिसने के बाद 5,000 से अधिक लोग मारे गए थे और लगभग 5.68 लाख लोग प्रभावित हुए थे. इसके अलावा पशुधन की हानि हुई और लगभग 5,478 व्यक्तियों की संपत्ति का नुकसान हुआ था.

इस त्रासदी में जिन लोगों की जान बची वे जहरीली गैस के रिसाव के कारण बीमारियों का शिकार हो गए. वे पर्याप्त मुआवजे और उचित चिकित्सा उपचार के लिए लंबे समय से संघर्ष कर रहे हैं.

यूनियन कार्बाइड कंपनी, जिसने भोपाल में कीटनाशक दवाई बनाने का कारखाना चलाया था, जहां गैस लीक हुई थी, अभी भी फरार है, जबकि डॉव केमिकल, जिसने 2001 में यूनियन कार्बाइड को खरीदा था, भारतीय कोर्ट के समन को मना कर रही है. वॉरेन एंडरसन, जो हादसे के समय यूनियन कार्बाइड के सीईओ थे, 2014 में उनकी मृत्यु हो गई थी.

हादसे के पीड़ितों की बार-बार मांग के बावजूद कंपनी को मुकदमे के लिए भारत कभी नहीं लाया गया. हादसे में बचे हुए लोगों का कहना है कि इंसाफ को व्यवस्थित तरीके से रोक दिया गया है.

‘अपराधी कॉरपोरेशन्स को दशकों से राजनीतिक संरक्षण’

सोमवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस में बोलते हुए पीड़ितों ने कहा कि भाजपा के खिलाफ लाया गया आरोपपत्र से साफ पता चलता है कि राजनीतिक फैसले पीड़ितों के अधिकारों के बजाय कॉरपोरेट हितों के पक्ष में हैं और यह लंबे समय से चले आ रहे पैटर्न को दिखाता है.

भोपाल गैस पीड़ित महिला स्टेशनरी कर्मचारी संघ की अध्यक्ष और गैस जनित पुरानी बीमारियों से जूझ रही रशीदा बी ने कहा, ‘राज्य और केंद्र की सरकारों में भाजपा ने भोपाल गैस पीड़ितों के साथ ऐसा धोखा किया है जैसा किसी और राजनीतिक पार्टी ने नहीं किया. भाजपा के एक जाने-माने सदस्य के बारे में कहा जाता है कि उन्होंने यूनियन कार्बाइड के स्थानीय मैनेजमेंट को कारखाने के आसपास ज़हरीला पानी छोड़ने के आरोप से बचाया था और एक दूसरे बड़े सदस्य ने भोपाल में डॉव केमिकल को उसकी पर्यावरणीय ज़िम्मेदारियों से मुक्त करने के पक्ष में कानूनी राय दी थी जो भारत सरकार की कानूनी राय के विपरीत था.’

उन्होंने आगे आरोप लगाया कि भाजपा के वरिष्ठ नेताओं ने ज़रूरी कानूनी और नीतियों के मौकों पर दखल दिया, जिससे आपराधिक जवाबदेही और पुनर्वास व्यवस्था में रुकावट आई. उन्होंने कहा, ‘वे कॉरपोरेशन्स के साथ खड़े थे, कारखाने के जहरीली गैस के संपर्क में आए नागरिकों के साथ नहीं.’

पुनर्वास व्यवस्था का खत्म होना

भोपाल ग्रुप फॉर इन्फॉर्मेशन एंड एक्शन की रचना ढींगरा ने कहा कि भाजपा राज में भोपाल गैस पीड़ितों का इलाज और आर्थिक पुनर्वास सबसे खराब रहा है.

ढींगरा ने कहा, ‘2008 में केंद्र में कांग्रेस शासन के दौरान भोपाल पीड़ितों के दीर्घकालीन पुनर्वास के लिए एक अधिकृत आयोग बनाने की हमारी मांग मान ली गई थी, लेकिन भाजपा के मुख्यमंत्री चौहान ने इसे रोक दिया. इस आयोग के न बनने की वजह से आज बहुसंख्यक पीड़ित और उनकी अगली पीढ़ी परेशान हैं.’

उन्होंने कहा, ‘भाजपा राज में स्वास्थ्य और आर्थिक पुनर्वास सबसे कमजोर रहा है. कोई काम का फ्रेमवर्क नहीं रहा, कोई स्वतंत्र निगरानी नहीं हुई और मेडिकल हकीकत के हिसाब से कोई योजना नहीं बनाई गई.’

संगठनों ने कहा कि गैस राहत अस्पतालों में स्टाफ की कमी है और उनमें सामान भी ठीक से नहीं है, लंबे समय तक सेहत पर पड़ने वाले असर को बताने वाला अध्ययन रुक गया है, नौकरी और रोजी-रोटी के प्रोग्राम बहुत कम क्षमता पर चल रहे हैं, और हजारों पीड़ित काम नहीं कर पा रहे हैं, जिससे कई परिवार अनियमित पेंशन सपोर्ट पर निर्भर हैं.

भारत में डॉव केमिकल का विस्तार
पीड़ित संगठनों के अनुसार, कोर्ट की कार्रवाई या सुधार की ज़िम्मेदारियों का पालन करने के लिए दबाव डालने के बजाय राज्य और केंद्र सरकारों ने कंपनी को भारत में अपना वाणिज्य बढ़ाने की इजाज़त दी है.

भोपाल गैस पीड़ित महिला-पुरुष संघर्ष मोर्चा के अध्यक्ष नवाब खान ने कहा, ‘भगोड़े कातिल कार्बाइड को पनाह देने वाली अमेरिकी कंपनी डॉव केमिकल, भाजपा राज में अपना सबसे अच्छा समय बिता रही है. कानूनी तौर पर मनाही होने के बावजूद पब्लिक सेक्टर की कंपनियां डॉव केमिकल से यूनियन कार्बाइड के उत्पाद खुलेआम खरीद रही हैं और डॉव केमिकल ने भारत में अपना व्यापार पहले से कहीं ज़्यादा बढ़ा लिया है.’

मुख्य मांगें

संगठनों ने उन मांगों को दोहराया जो दो दशकों से ज़्यादा समय से नहीं बदली हैं, जिनमें यूनियन कार्बाइड कॉरपोरेशन और डॉव केमिकल पर आपराधिक केस चलाना, मुआवज़ा तय करने के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले मौत और घायलों के आधिकारिक आंकड़ों में बदलाव, विधवाओं और पुरानी बीमारियों से पीड़ित पीड़ितों के लिए लगातार पेंशन, दूषित मिट्टी और भूजल का स्वतंत्र वैज्ञानिक मूल्यांकन और सफाई और दीर्घकालिक पुनर्वास के समन्वय के लिए अधिकार प्राप्त आयोग की बहाली को फिर से बनाना शामिल है.