संचार साथी: सरकार को क्यों वापस लेना पड़ा ऐप को अनिवार्य रूप से प्री-लोड करने का आदेश

नई दिल्ली: प्राइवेसी एक्सपर्ट, साइबर सुरक्षा जानकारों और विपक्ष की कड़ी आलोचना के बाद केंद्र सरकार ने ‘संचार साथी’ ऐप को अनिवार्य रूप से प्री-इंस्टॉल करने के आदेश को वापस लेने की घोषणा की है. बुधवार (3 दिसंबर) को जारी एक बयान में संचार मंत्रालय ने कहा कि ऐप की ‘बढ़ती स्वीकार्यता’ को देखते हुए यह फैसला लिया गया है.

संचार साथी पोर्टल मई 2023 में मोदी सरकार द्वारा लॉन्च किया गया था. इस पोर्टल के ज़रिए नागरिक अपने आईडी से लिंक मोबाइल कनेक्शनों की जांच कर सकते हैं, धोखाधड़ी या स्कैम की शिकायत दर्ज कर सकते हैं और खोए हुए फोन का पता लगा सकते हैं.

संचार साथी का मोबाइल ऐप इस साल की शुरुआत में लॉन्च किया गया था, जिसका उद्देश्य साइबर अपराध से निपटने में मदद करना है.

केंद्र ने यह अनिवार्यता क्यों वापस ली?

भारतीय सरकार ने स्मार्टफोन कंपनियों से कहा था कि वे सभी नए स्मार्टफोन्स में यह ऐप अनिवार्य रूप से पहले से इंस्टॉल करें. इसी वजह से विवाद शुरू हुआ.

इस आदेश के तहत, उपयोगकर्ता इस ऐप को न तो बंद कर सकते थे, न इसकी सीमाएं तय कर सकते थे और न ही इसे फोन से हटा सकते थे. इस कदम की कड़ी आलोचना होने लगी, क्योंकि कई लोगों ने इसे नागरिकों के निजता के मौलिक अधिकार का उल्लंघन बताया. इस अनिवार्यता का मूल आदेश 28 नवंबर को जारी किया गया था, जिसमें कहा गया था कि यह ऐप ऐसे तरीके से इंस्टॉल किया जाए कि उपयोगकर्ता इसे न हटाने सकें और न ही बंद कर सकें.

हालांकि सरकार का कहना है कि इस ऐप को प्री-इंस्टॉल करने का आदेश उसकी ‘बढ़ती लोकप्रियता’ के कारण वापस लिया गया, लेकिन मामले से जुड़े लोगों की राय अलग है.

हिंदुस्तान टाइम्स से बात करते हुए, इस मामले से जुड़े सूत्रों ने बताया कि दूरसंचार विभाग पर इंडस्ट्री की ओर से आदेश वापस लेने का ‘बहुत ज़्यादा दबाव’ था.

स्रोतों ने आगे कहा कि केंद्र सरकार ने इस आदेश पर काम करते समय अनौपचारिक रूप से कुछ कानूनी फ़र्मों से भी सलाह ली थी, जहां उन्हें बताया गया था कि यह निर्देश संविधान के टेस्ट पर खरा नहीं उतरेगा.

इसके अलावा, सूत्रों के हवाले से रॉयटर्स ने रिपोर्ट किया कि स्मार्टफोन कंपनियां एप्पल और सैमसंग ने भी संचार साथी को प्री-इंस्टॉल करने के सरकारी आदेश का पालन करने से इनकार कर दिया था.

केंद्र ने संचार साथी का बचाव किया

व्यापक विरोध के बाद, सरकार ने ऐप का बचाव किया और कहा कि यदि उपयोगकर्ता चाहे तो संचार साथी ऐप को अपने फोन से हटा सकते हैं.

हालांकि, नई चिंताएं भी सामने आईं, जैसे कि क्या यह ऐप सरकार के लिए ‘जासूसी करने वाले टूल’ में बदल सकता है.

इन आरोपों पर प्रतिक्रिया देते हुए, संचार मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने लोकसभा में कहा कि यह ऐप उपयोगकर्ता के निजी डेटा तक पहुंच नहीं रखता और इसे ‘जासूसी’ के लिए इस्तेमाल करना ‘संभव नहीं’ है.

सिंधिया ने प्रश्नकाल के दौरान कहा, ‘संचार साथी ऐप से जासूसी न तो संभव है और न ही होगी.’