8 नवंबर 2025 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वाराणसी में चार वंदे भारत ट्रेनों के उद्घाटन किया था. एक आरटीआई के जवाब से पता चला है कि उस कार्यक्रम पर पूर्वोत्तर रेलवे ने 3.38 करोड़ रुपये ख़र्च किए हैं. पहली वंदे भारत ट्रेन के उद्घाटन से इसकी तुलना करें, तो यह ख़र्च 6.5 गुना बढ़ गया है.

वाराणसी: वंदे भारत के उद्घाटन पर रेलवे ने ख़र्च कर दिए 3.38 करोड़ रुपये
8 नवंबर 2025 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वाराणसी में चार वंदे भारत ट्रेनों के उद्घाटन किया था. एक आरटीआई के जवाब से पता चला है कि उस कार्यक्रम पर पूर्वोत्तर रेलवे ने 3.38 करोड़ रुपये ख़र्च किए हैं. पहली वंदे भारत ट्रेन के उद्घाटन से इसकी तुलना करें, तो यह ख़र्च 6.5 गुना बढ़ गया है.
द वायर स्टाफ
06/12/2025 राजनीति
(फोटो: pmindia.gov.in)
नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अपने लोकसभा क्षेत्र वाराणसी में 8 नवंबर 2025 को चार वंदे भारत ट्रेनों का उद्घाटन किया था. पूर्वोत्तर रेलवे रेलवे के वाराणसी डिवीजन ने इस उद्घाटन कार्यक्रम पर 3 करोड़ 37 लाख 93 हजार 351 रुपये खर्च किए थे.
आरटीआई एक्टिविस्ट अजय बसुदेव बोस द्वारा दायर आरटीआई आवेदन के जवाब में पूर्वोत्तर रेलवे, वाराणसी मंडल ने यह आंकड़ा प्रदान किया है. विभाग ने बताया है कि यह राशि पूरी तरह ‘उद्घाटन कार्यक्रम’ पर खर्च की गई है.
छह साल बाद 6.5 गुना बढ़ खर्च
15 फरवरी 2019 को पीएम मोदी ने पहली वंदे भारत (दिल्ली से वाराणसी) को हरी झंडी दिखाई थी. उस उद्घाटन कार्यक्रम पर सरकार ने 52 लाख रुपये खर्च किया था. छह साल बाद यह खर्च 6.5 गुना बढ़ गया है.
2025 में वाराणसी में चार ट्रेनों के उद्घाटन पर 3.38 करोड़ रुपये खर्च किए गए. यानी प्रति ट्रेन 84.5 लाख रुपये. यह 2019 के मुकाबले 1.6 गुना महंगा है.
क्या नहीं बताया गया?
आरटीआई के जवाब में खर्च का कोई विस्तृत विवरण नहीं दिया गया है. केवल कुल खर्च की राशि दी गई है. यह नहीं बताया गया कि कौन सी कंपनी को साज-सज्जा का काम दिया गया? सुरक्षा व्यवस्था पर कितना खर्च हुआ? मीडिया, लॉजिस्टिक्स और अन्य व्यवस्थाओं पर कितना खर्च हुआ?
लेकिन 8 अप्रैल 2023 को सदर्न रेलवे के चेन्नई डिविजन ने जो आंकड़े दिए थे, उससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि इस तरह के कार्यक्रमों में किस चीज़ पर कितना खर्च होता है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 8 अप्रैल 2023 को चेन्नई–कोयंबटूर वंदे भारत एक्सप्रेस का उद्घाटन किया था, जिस पर 1.14 करोड़ रुपये खर्च किए गए थे. इस कुल खर्च में से 1.05 करोड़ रुपये अकेले इवोक मीडिया नामक एक निजी इवेंट मैनेजमेंट कंपनी को दिया गया था. यानी कुल खर्च का 92% सिर्फ इवेंट मैनेजमेंट पर में चला गया था.
अगर वाराणसी में भी यही अनुपात है, तो तीन करोड़ से अधिक सिर्फ इवेंट मैनेजमेंट पर खर्च हुआ होगा.
यह महत्वपूर्ण है कि 3.38 करोड़ रुपये केवल ‘उद्धाटन’ पर खर्च किया गया था. इसका मतलब है कि यह राशि सिर्फ समारोह के आयोजन के लिए थी, जिसमें साज-सज्जा, मंच, अतिथि सत्कार, लॉजिस्टिक्स आदि शामिल है.
प्रधानमंत्री की यात्रा का खर्च इसमें शामिल नहीं है. दिलचस्प बात यह भी है कि प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की घरेलू यात्राओं पर हुए खर्च का रिकॉर्ड ही नहीं रखता है.
साल 2019 में एक आरटीआई के जवाब में पीएमओ के तत्कालीन अवर सचिव और केंद्रीय जन सूचना अधिकारी प्रवीण कुमार ने कहा था कि प्रधानमंत्री की घरेलू यात्राओं पर होने वाले खर्च का दस्तावेजी रिकॉर्ड पीएमओ के पास उपलब्ध नहीं है और न ही यह उनकी जिम्मेदारी का हिस्सा है.
उनका कहना था कि प्रधानमंत्री की घरेलू यात्राओं पर होने वाला खर्च किसी एक प्राधिकरण के तहत नहीं आता, क्योंकि ऐसी यात्राओं का आयोजन विभिन्न सरकारी विभागों/एजेंसियों द्वारा किया जाता है.