अब दो से ज्यादा बच्चों पर नौकरी खोने का डर नहीं

मप्र में सरकारी कर्मचारियों के लिए 24 साल पुराना नियम खत्म!

मप्र सरकार बड़ा फैसला लेने जा रही है। इससे अब सरकारी कर्मचारियों के लिए दो से ज्यादा बच्चे होने पर नौकरी जाने का डर खत्म हो जाएगा। राज्य सरकार ने साल 2001 से चली आ रही दो बच्चे की सीमा को हटाने का निर्णय लिया है। सामान्य प्रशासन विभाग ने हाल ही में इस प्रतिबंध को पूरी तरह हटाने का प्रस्ताव मुख्यमंत्री सचिवालय को भेज दिया है। एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि जैसे ही कैबिनेट इसकी मंजूरी देगी, नया नियम तुरंत लागू हो जाएगा।
यह प्रतिबंध पिछले 24 साल से लगा हुआ था। इसे हटाने का समय कई लोगों को चौंकाने वाला लगा क्योंकि ठीक एक साल पहले राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत ने नागपुर में कहा था कि हर परिवार में कम से कम तीन बच्चे होने चाहिए। उन्होंने चेतावनी दी थी कि बहुत कम बच्चे वाली समाज धीरे-धीरे खत्म हो जाती है और जनसंख्या संतुलन बनाए रखना जरूरी है। मोहन भागवत के इस बयान के दस महीने बाद अक्टूबर 2025 में मध्यप्रदेश सरकार ने संकेत दिया था कि वह दो बच्चे का नियम हटाने का प्रस्ताव कैबिनेट में लाएगी। अब तीन महीने की लंबी चर्चा और वरिष्ठ अधिकारियों के सुझाव के बाद यह प्रस्ताव अंतिम रूप ले चुका है। पड़ोसी राज्य राजस्थान ने यह प्रतिबंध 2016 में और छत्तीसगढ़ ने 2017 में ही हटा दिया था। अब मध्यप्रदेश भी उन्हीं के रास्ते पर चल पड़ा है। जल्द ही मध्यप्रदेश के लाखों सरकारी कर्मचारियों को यह राहत मिलने वाली है कि वे कितने भी बच्चे चाहे, रख सकते हैं, उनकी नौकरी पर कोई खतरा नहीं होगा। यह फैसला राज्य में जनसंख्या नीति और परिवार कल्याण के नजरिए से भी महत्वपूर्ण माना जा रहा है।
भागवत ने कहा था कम से कम तीन बच्चे हों
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ प्रमुख मोहन भागवत ने एक माह पूर्व जनसंख्या नीति पर विचार रखते हुए कहा था कि भारत की जनसंख्या नीति 2.1 है, यानी औसतन तीन बच्चे होना चाहिए। उन्होंने कहा कि इससे अधिक बच्चे नहीं होने चाहिए क्योंकि इससे शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार जैसे संसाधनों पर दबाव बढ़ता है। मंत्रालय सूत्रों के अनुसार, उनके इस बयान के बाद ही दो बच्चों की सीमा हटाने की प्रक्रिया को गति मिली और नीति में बदलाव की तैयारी शुरू हुई। साफ है कि शर्त हटने के बाद यदि नौकरी कर रहे किसी अधिकारी या कर्मचारी का तीसरा बच्चा भी हुआ तो उन्हें नौकरी से बर्खास्त नहीं किया जा सकेगा। मंत्रालय सूत्रों का कहना है कि उच्च स्तर से मिले निर्देशों के बाद यह कवायद शुरू हुई है। तमाम परिस्थितियों का आंकलन करने के बाद अब जाकर उच्च स्तर पर यह सहमति बन गई है कि कैबिनेट में ले जाकर इस शर्त को हटा दिया जाए। बताया जा रहा है कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ अलग-अलग स्तरों पर कई बार राज्य को यह संकेत देता रहा है।
सीएम की मंजूरी के बाद आएगा कैबिनेट में
पिछले तीन महीने से विभिन्न स्तरों पर विचार-विमर्श के बाद दो बच्चों की सीमा हटाने के प्रस्ताव को अंतिम रूप दिया गया है। सीएम सचिवालय से हरी झंडी मिलने के बाद इसे कैबिनेट की मंजूरी के लिए भेजा जाएगा। कैबिनेट से स्वीकृति मिलते ही यह लागू हो जाएगा। प्रदेश में 7 लाख से ज्यादा सरकारी कर्मचारी हैं। सामान्य प्रशासन विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि सरकारी कर्मचारियों के लिए दो बच्चों की सीमा जल्द हटा ली जाएगी। फिलहाल सरकार इस सीमा को हटाने के लिए सही समय के आने का इंतजार कर रही है। यह मुद्दा पहली बार तब उठा, जब राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत ने पिछले साल एक दिसंबर को नागपुर में चेतावनी दी थी कि कम से कम तीन बच्चे होने चाहिए। दस महीने तक इस मुद्दे को दबाए रखने के बाद मप्र सरकार ने अक्टूबर में संकेत दिया कि वह सरकारी कर्मचारियों पर दो बच्चों की सीमा हटाने के लिए राज्य मंत्रिमंडल में एक प्रस्ताव लाएगी। इसके बाद सामान्य प्रशासन विभाग ने प्रस्ताव तैयार किया और उसे सरकारी अधिकारियों को भेज दिया गया। मप्र में सरकारी नौकरियों पर दो बच्चों की सीमा 2001 से लागू है। एक बार सीमा हटने के बाद तीसरा बच्चा पैदा करने वाले किसी भी सेवारत अधिकारी या कर्मचारी को नौकरी से बर्खास्त नहीं किया जाएगा। मंत्रालय के सूत्रों ने बताया कि उच्च स्तर से मिले निर्देशों के बाद इस संबंध में कवायद शुरू कर दी गई है। बता दें कि 24 साल पहले जनसंख्या नियंत्रण की चुनौतियां देख कांग्रेस की तात्कालीन दिग्विजय सिंह की सरकार ने 2001 में मप्र सेवा भर्ती सामान्य शर्ते नियम 1961 के नियम में बदलाव किया था। इसके तहत शासकीय सेवकों के लिए दो से ज्यादा बच्चों पर बंदिशें लगा दी गई थी।