तीन से चार मंत्री हो सकते हैं कैबिनेट से बाहर-दो सीनियर नेताओं को मिलेगा मौका

मप्र में एक बार फिर से मंत्रिमंडल विस्तार की सुगबुगाहट शुरू हो गई है। वैसे तो बिहार विधानसभा चुनाव के नतीजे आने के साथ प्रदेश में मोहन यादव कैबिनेट में बदलाव की अटकलें जोर पकडऩे लगी थीं। लेकिन अब मोहन यादव सरकार के दो साल पूरे होने से पहले एक-एक विभाग की समीक्षा की गई है। समीक्षा के बाद मंत्रियों का रिपोर्ट कार्ड तैयार किया गया है, जो ये तय करेगी कि कौन मंत्रिमंडल में रहेगा और किसकी विदाई होगी। हालांकि भाजपा सूत्रों का कहना है कि 3 से चार मंत्री कैबिनेट से बाहर हो सकते हैं। वहीं दो सीनियर नेताओं को मंत्रिमंडल में मौका मिल सकता है।
बता दें, छत्तीसगढ़ में विष्णुदेव साय मंत्रिमंडल का एक विस्तार हो चुका है, इसके बाद से ही अनुमान लगाए जा रहे हैं कि मप्र में भी मोहन यादव अपनी टीम में फेरबदल करेंगे। कार्यकाल के दो वर्ष पूर्ण होने से पहले डा. मोहन यादव ने मंत्रियों के कामकाज को परखने के लिए विभागवार समीक्षा बैठकें भी कर ली हैं। इससे तैयार होने वाला रिपोर्ट कार्ड भी मंत्रिमंडल विस्तार में अहम भूमिका अदा करेगा। मंत्रिमंडल विस्तार के लिए मोहन यादव को केंद्रीय नेतृत्व से हरी झंडी लेनी होगी। पार्टी सूत्रों का कहना है कि केंद्रीय नेतृत्व ने मध्य प्रदेश के मंत्रियों के कार्य प्रदर्शन पर अलग- अलग एजेंसियों से रिपोर्ट कार्ड तैयार करवाया है। इसे भी आधार बनाया जाएगा। हालांकि केंद्रीय नेतृत्व मध्य प्रदेश के मंत्रियों के कामकाज को लेकर भारी नाराज है। तीन- चार मंत्रियों को छोड़ दिया जाए तो बाकी किसी भी मंत्री के विभाग में कोई कामकाज नहीं हो रहा है। उनकी विभाग पर पकड़ भी नहीं है।
नए साल में होगा विस्तार
गौरतलब है कि मप्र मंत्रिमंडल विस्तार की चर्चाएं कई महीनों से हैं लेकिन अब यह माना जा रहा है कि भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष के चुनाव के बाद ही विस्तार होगा। पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा का कार्यकाल 20 जनवरी, 2026 को समाप्त हो रहा है। संभावना है कि इस तिथि के आसपास पार्टी को नया राष्ट्रीय अध्यक्ष मिल जाएगा। पार्टी नेताओं का मानना है कि राष्ट्रीय अध्यक्ष के चुनाव के बाद ही मप्र में मंत्रिमंडल का विस्तार होगा। इसको लेकर मंथन का दौर भी शुरू हो गया है। सरकार बनने के दो साल बाद होने वाले कैबिनेट विस्तार में तीन से चार मंत्रियों को विदा किया जा सकता है, तो सात से आठ नए चेहरों को मंत्रिमंडल में शामिल किया जाएगा। इसमें पार्टी के सीनियर विधायक भी शामिल हैं।
क्षेत्रीय और जातीय समीकरणों पर फोकस
जानकारों का कहना है कि सरकार बनने के दो साल बाद होने वाले मंत्रिमंडल विस्तार में क्षेत्रीय और जातीय समीकरणों को भी बैलेंस किया जाएगा। पूरे मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के दो साल 13 दिसंबर को हो रहे हैं। दो साल पूरे होने से पहले मुख्यमंत्री अपने सभी विभागों की समीक्षा कर चुके हैं। भोपाल और खजुराहो में उन्होंने हर मंत्री के साथ बैठकर उसके विभाग के दो साल के कामों के लेखा-जोखा पर चर्चा की है। सीएम की समीक्षा बैठकों में यह भी सामने आया है कि किस विभाग ने जनता से जुड़ी योजनाओं में किस स्तर पर सफलता पाई है। दो साल की समीक्षा बैठक भी मंत्रिमंडल में फेरबदल और विस्तार का एक आधार होगी। इन बैठकों को लेकर रिपोर्ट तैयार करवाई जा रही है। इसके अलावा पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व ने भी मंत्रियों के कामकाज को लेकर अलग-अलग एजेंसियों से सर्वे कराए हैं। सूत्रों की मानें तो कुछ मंत्रियों के कामकाज और उनकी कार्यशैली से केंद्रीय नेतृत्व नाखुश है। ऐसे मंत्रियों पर नए फेरबदल में गाज गिर सकती है, वहीं कुछ मंत्रियों के विभागों में भी फेरबदल तय माना जा रहा है।
एक दर्जन नेताओं के नामों पर चर्चा
सूत्र बताते हैं कि मुख्यमंत्री इस संबंध में प्रदेश संगठन के वरिष्ठ नेताओं से एक दौर की चर्चा कर चुके हैं और उसके निष्कयों के बारे में केंद्रीय नेताओं को भी बता चुके हैं। मंत्रिमंडल विस्तार को लेकर एक दर्जन नेताओं के नामों पर चर्चा हो चुकी है। डॉ. मोहन यादव मंत्रिमंडल में अभी मुख्यमंत्री को मिलाकर 31 मंत्री हैं। इनमें सीएम के अलावा 20 कैबिनेट, छह राज्यमंत्री स्वतंत्र प्रभार और चार राज्य मंत्री शामिल है। इनमें चारों राज्यमंत्री वे है, जो पहली बार विधायक का चुनाव जीतकर आए हैं। विधायकों की संख्या के मान से चार और विधायकों को मंत्री बनाया जा सकता है। माना जा रहा है कि तीन से चार लोगों की ड्रॉप किया जाएगा। ऐसे में सात विधायकों को मौका मिल सकता है। पहली बार विधायक बने मंत्रियों को लेकर भी संगठन कोई बड़ा निर्णय ले सकता है। बताया जा रहा है कि पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा का कार्यकाल 20 जनवरी तक बढ़ाया गया था। इस अवधि के समाप्त होने से पहले भाजपा को नया राष्ट्रीय अध्यक्ष मिलना तय माना जा रहा है। राष्ट्रीय अध्यक्ष का नाम सामने आने के बाद प्रदेश मंत्रिमंडल का विस्तार करने की योजना का दावा संगठन से जुड़े सूत्र कर रहे है। सीएम डॉ. मोहन यादव भी अनौपचारिक चर्चा में विस्तार को लेकर संकेत दे चुके हैं। माना जा रहा है कि मंत्रियों की समीक्षा रिपोर्ट केंद्रीय नेतृत्व को सौंपी जाएगी और उसके बाद विस्तार को अंजाम दिया जाएगा।
कई सीनियर विधायक मंत्री बनने की कतार में
मंत्रिमंडल विस्तार की अटकलों के बीच कई सीनियर विधायक भी मंत्री बनने की कतार में हैं। भाजपा के एक नेता कहते हैं वैसे तो मंत्रिमंडल एक रूटीन प्रोसेस है, लेकिन मप्र के संदर्भ में ये इसलिए महत्वपूर्ण हो जाता है क्योंकि यहां जितने दिग्गज कैबिनेट का हिस्सा हैं, उतने और उससे ज्यादा मंत्रीपद की प्रतीक्षा में भी हैं। गोपाल भार्गव जैसे जीत का रिकॉर्ड बना चुके नेता पहले फेज में छूट गए तो अब जिस तरह से दो साल पूरे होने के पहले रिपोर्ट कार्ड प्रस्तुत हो रहा है मंत्रियों का तो ये माना जा रहा है कि चुनाव के 3 साल पहले भाजपा मप्र में अपने मंत्रिमंडल के कुनबे में जरूरी बदलाव कर सकती है। ताकि अगले 3 साल सुगमता से सरकार चले। असंतोष पर विराम लगाया जा सके। माना यही जा रहा है कि ये एकदम ठीक समय है कि जब सरकार अपने कुनबे को बढ़ा भी सकती है और जो जरूरी है, फेरबदल भी कर सकती है।