नई दिल्ली: भारतीय महिला क्रिकेट टीम की टी-20 फॉर्मेट की कैप्टन हरमनप्रीत कौर की मार्कशीट के फर्जी होने की पुष्टि के बाद अब हरमनप्रीत कौर की पंजाब में पुलिस उपाधीक्षक (डीएसपी) की नौकरी पर तलवार लटक गई है. क्रिकेट की दुनिया में शानदार प्रदर्शन करके देश का मान बढ़ाने पर उन्हें रेलवे ने नौकरी दी गई थी और उसके बाद उन्हें पंजाब पुलिस में डीएसपी की नौकरी दी गई थी, लेकिन अब उनका डिमोशन तय माना जा रहा है. उन्हें डीएसपी से सिपाही के पद पर डिमोट करने पर विचार किया जा रहा है. बता दें कि हाल ही में हरमनप्रीत कौर को 2016-17 के सत्र के लिए सर्वश्रेष्ठ महिला क्रिकेटर चुना गया है.
टाइम्स ऑफ इंडिया की एक खबर के मुताबिक, पंजाब सरकार अर्जुन अवॉर्डी खिलाड़ी हरमनप्रीत कौर से डीएसपी का पद छीनकर सिपाही लगाने की पेशकश की है. पंजाब सरकार के सूत्रों का कहना है कि हरमनप्रीत कौर ने सिर्फ 12वीं क्लास ही पास की है. ऐसे में उन्हें सिर्फ सिपाही का पद ही दिया जा सकता है. उन्होंने कहा कि हमने हरमनप्रीत कौर से कह दिया है कि अगर वह सिपाही पद पर रहना चाहती हैं तो हमें बता दें, लेकिन बीए पास नहीं होने की वजह से उन्हें डीएसपी का पद नहीं दिया जा सकता है.
हरमनप्रीत कौर के मैनेजर का इस बारे में कहना है, ”हमें पंजाब पुलिस की तरफ से नौकरी को लेकर कोई आधिकारिक पत्र नहीं मिला है. हरमनप्रीत की यह वही डिग्री है, जो रेलवे में नौकरी के दौरान जमा की गई थी तो यह झूठी और फर्जी कैसे हो सकती है?”
सूत्रों के मुताबिक, गृह विभाग के अतिरिक्त प्रधान सचिव एन.एस. कलसी ने पुलिस विभाग को लिख दिया है कि हरमनप्रीत कौर को सिपाही लगा दिया जाए. बता दें कि हाल ही में सीसीएस विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार जीपी श्रीवास्तव ने बताया कि मार्च महीने में पंजाब पुलिस ने सत्यापन के लिए उनकी मार्कशीट मेरठ स्थित चौधरी चरण सिंह (सीसीएस) विश्वविद्यालय भेजी थी. जांच के बाद उनकी बीए फाइनल की मार्कशीट फर्जी पाई गई है. उनकी मार्कशीट का वहां कोई रिकॉर्ड नहीं मिला.
उन्होंने बताया था, “जांच में पाया गया कि मार्कशीट में छपा रोल नंबर और नोमिनेशन नंबर हमारे रिकॉर्ड में उपलब्ध नहीं हैं.’’ बकौल श्रीवास्तव विश्वविद्यालय ने इस आशय की रिपोर्ट अप्रैल महीने में भेज दी थी.
महिला विश्व कप-2017 में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ धमाकेदार 171 रनों की पारी खेलते हुए भारत को फाइनल में पहुंचाने वाली हरमनप्रीत कौर पहले भी विवादों में फंस चुकी हैं. गौरतलब है कि पंजाब के मोगा की रहने वाली हरमनप्रीत को 1 मार्च, 2018 को पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह और पुलिस महानिदेशक सुरेश अरोड़ा ने प्रदेश पुलिस में डीएसपी के रूप में ज्वाइन कराया था. पंजाब पुलिस ज्वाइन करने से पहले वह पश्चिम रेलवे में कार्यरत थीं. वहां उनका 5 साल का बॉन्ड था. इसके बावजूद उन्होंने पिछले साल नौकरी से त्यागपत्र दे दिया था.
हरमनप्रीत को रेलवे में नौकरी करते हुए 3 साल ही हुए थे. ऐसे में बॉन्ड की शर्तों के अनुसार, उन्हें पांच साल का वेतन रेलवे को वापस देना था, इसके चलते उन्हें रिलीव नहीं किया गया था. हालांकि कैप्टन अमरिंदर सिंह ने रेल मंत्री पीयूष गोयल के समक्ष उठाया, इसके बाद ही हरमनप्रीत पंजाब पुलिस में नौकरी ज्वाइन कर सकी थीं.
उधर, हरमनप्रीत कौर के पिता हरमिंदर सिंह ने इस जांच को गलत ठहराया था. उनका कहना था कि उनकी बेटी की डिग्री सही है. हरमनप्रीत ने इसी डिग्री के आधार पर रेलवे में नौकरी की तो अब यह डिग्री फर्जी कैसे हो सकती है. हरमिंदर सिंह ने कहा कि वे खुद मेरठ जाकर सच पता लगाएंगे. हरमनप्रीत की डिग्री रेगुलर थी या फिर पत्राचार से की गई, पिता ने इसका कोई स्पष्ट जवाब नहीं दिया.
हरमिंदर सिंह ने कहा था कि बेटी ने 12वीं की पढ़ाई मोगा से की. उसके बाद हरमनप्रीत का चयन भारतीय महिला क्रिकेट में हो गया तो इस बीच उसने बीए की डिग्री मेरठ की चौधरी चरण सिंह यूनिवर्सिटी से ली. उन्होंने बेटी से फोन पर बात की तो उसने भी डिग्री जाली होने से इनकार किया. वहीं, हरमनप्रीत कौर की मां सतविंदर कौर खुलकर नहीं बोलीं. हरमनप्रीत कौर की एक बहन कॉलेज में शिक्षिका हैं.