प्रदेश सरकार की बदहाल आर्थिक स्थिति के बीच केन्द्र सरकार द्वारा मध्यप्रदेश में 3360 करोड़ रुपए कीमत की दाल पीडीएस की दुकानों पर बेचने के निर्देश को लेकर केन्द्र व राज्य सरकार आमने-सामने आ गए हैं। राज्य सरकार ने इस पर आने वाले खर्च को उठाने से साफ इंकार कर दिया है। राज्य सरकार अगर केन्द्र के इस निर्देश का पालन करती है तो उसे करीब सवा दो हजार करोड़ से अधिक का नुकसान उठाना पड़ेगा। प्रदेश की वर्तमान आर्थिक स्थिति के चलते यह संभव नहीं है। गौरतलब है कि प्रदेश के पास पहले से हजार करोड़ से ज्यादा कीमत की दाल और चना रखा हुआ है। इसी तरह से केंद्र के पास पिछले सालों की 50 लाख टन दाल गोदामों में रखी हुई है। इसे खपाने के लिए केन्द्र द्वारा देशभर के 135 जिलों का चयन किया गया है जिसमें मध्यप्रदेश के 27 जिले शामिल हैं। प्रदेश को छह लाख टन दाल बांटने का जिम्मा दिया गया है। केंद्र इसमें 15 रुपए प्रति किलो के हिसाब से करीब 900 करोड़ रुपए देने को तैयार है। इतनी ही राशि प्रदेश को सब्सिडी के तौर पर मिलाना होगी। परिवहन और वितरण का करीब 300 करोड़ खर्च अलग रहेगा।
फॉर्मूले पर ऐतराज
केंद्र ने तय किया है कि प्रति परिवार एक किलो अरहर दाल और दो किलो चना दिया जाए। इस पर प्रदेश ने लिखा है कि दाल खपाना ही है तो प्रति परिवार कम से कम दो किलो दी जाए। रेट भी फिक्स रखा जाए। केंद्र ने पीडीएस स्तर पर रेट में उतार-चढ़ाव की छूट देना भी तय किया है।
पहले से भरे गोदाम
प्रदेश के पास पिछले सालों की 1.46 लाख टन मूंग दाल और 30 लाख टन गेहूं बेकार पड़ा है। इस साल 1.52 लाख टन मूंग, 5000 टन उड़द, 16 लाख टन चना और 250 लाख टन मसूर भी खरीदी है।
केंद्र खुद मुश्किल में
केंद्र में खर्चों में कटौती के बावजूद खजाने की स्थिति ठीक नहीं है। यह 15 हजार करोड़ की दालें बाजार में नहीं बेच पाई है। वहीं, प्रदेश को 13 लाख टन खरीदी की मंजूरी मिली थी, जिस बढ़ाकर 15.77 लाख टन कराया गया था।
इनका कहना है
दाल 27 जिलों में पीडीएस के तहत रियायती दरों पर बेचना तय हुआ है। हमने केंद्र को पूरी सब्सिडी के लिए प्रस्ताव भेजा है।
डॉ. राजेश राजौरा, प्रमुख सचिव, कृषि विभाg