इस दुनिया का यह कटु सत्य है, कि जो भी व्यक्ति या जानवर या जीव जंतु इस संसार में आया है। उसकी मृत्यु निश्चित है, लेकिन कभी-कभी व्यक्ति वस्तु या फिर किसी ताकत के बल पर इतना अहंकार हो जाता है, कि वह इस सच को भी झूठ बोलने लगता है, जबकि वास्तव में यह एकदम सत्य है, कि हर व्यक्ति की मृत्यु निश्चित होनी है।
लेकिन इस संसार में ऐसा कौन सा इंसान कब जन्म लेगा और कब मरेगा? इसका फैसला तो हमारे हाथ में नहीं है। यह सिर्फ भगवान के पास में ही है। हिंदू धर्म में मान्यता हैं, कि किसी भी इंसान की मौत के बाद उसकी आत्मा नहीं मरती तथा बल्कि वह हमेशा अमर रहती है, जबकि यह बात गीता में कही गई है।
आज तक आपने भी देखा होगा, कि यदि किसी मनुष्य की मौत होती है, तो उसे जल्द से जल्द जलाने के लिए ले जाया जाता है, लेकिन बहुत कम लोग होते हैं, जो इसके पीछे का असली कारण कभी जान नहीं पाए। आज हम आपको बताने जा रहे हैं, कि आखिर में क्यों हिंदू धर्म में किसी व्यक्ति के मरने के बाद उसे जलाया जाता है, तो चले आइए जानते हैं, क्या है इसके पीछे का कारण?
हिंदू धर्म ग्रंथ गरुड़ पुराण में लिखा है, कि जब किसी घर में किसी मनुष्य की लाश होती है, तब तक उसके घर पर पूजा भी नहीं होती और न हीं चुल्ले में कुछ बनता है।
यदि मरने के बाद लाश को किसी जानवर या पक्षी ने नोच लिया होता है, तो उसकी आत्मा को कभी भी शांति नहीं मिलती। इसी कारण व्यक्ति की लाश को जल्दी से जल्दी जलाने के बारे में विचार करते हैं।
हिंदू धर्म में किसी परिवार में मौत हो जाने के बाद लगभग 1 वर्ष तक कोई भी शुभ कार्य नहीं किया जाता, न हीं शादी विवाह जैसे शुभ कार्य किए जाते हैं।
जब व्यक्ति की लाश को जला दिया जाता है, तो उसकी हस्तियों को गंगा में बहाना भी हिंदू धर्म का एक अलग ही प्रकार का नियम है।
इसी प्रकार ऐसा करने से उस व्यक्ति की आत्मा को शांति मिलती है। और किसी को शरीर में प्रवेश करती है।