AADHAAR के खिलाफ योजनाबद्ध तरीके से चलाया जा रहा है अभियान- नीलेकणि

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ट्रिब्यून’ के खिलाफ दर्ज की गई एफआईआर का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि आधार पर नकारात्मक विचारों के नकारात्मक परिणाम ही होंगे, लोगों के लिए बेहतर होगा कि इसे लेकर रचनात्मक विचार रखें। यूआईडीएआई के पूर्व अध्यक्ष ने कहा, ‘अगर आप सिर्फ निगेटिव सोचते हैं और रचनात्मक विचार नहीं हैं, तो उसके अन्य परिणाम (निगेटिव) ही होंगे। मैं लगता है कि सभी को यह मान लेना चाहिए कि आधार की वैधता यहां बनी रहेगी।’

नीलेकणि ने कहा कि आधार यहां बना रहेगा है क्योंकि कम से कम 119 करोड़ लोगों में से 55 करोड़ लोगों ने अपने बैंक खातों को आधार से जोड़ लिया हैं और प्रत्यक्ष लाभ अंतरण (डीबीटी) के तहत 95,000 करोड़ रुपए सीधे उनके खातों में डाले गए हैं। नीलेकणि ने कहा कि इस महीने आधार कार्ड को संवैधानिक वैधता दी जाए या नहीं, इसपर सुप्रीम कोर्ट फैसला करने वाला है।

‘ट्रिब्यून’ अखबार ने किया था 500 रुपये में करोड़ो आधार की जानकारी हासिल करने का दावा
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दरअसल इससे पहले एक अंग्रेजी अखबार ‘ट्रिब्यून’ की रिपोर्ट में 500 रुपये के बदले 10 मिनट में करोड़ों लोगों के आधार डेटा की जानकारी हासिल करने का दावा किया गया था। न्यूज रिपोर्ट के मुताबिक 500 रुपये के बदले एक अज्ञात शख्स को व्हाट्सएप के जरिए एक ऐसा सॉफ्टवेयर दिया गया जिसके जरिए लगभग एक अरब लोगों के आधार डाटा की जानकारी ली जा सकती है।

रिपोर्ट के मुताबिक एक एजेंट को पेटीएम के जरिए 500 रुपये दिए गए थे। 10 मिनट बाद एक शख्स ने एक लॉग इन आईडी और पासवर्ड दिया। इसके जरिए पोर्टल पर किसी भी आधार नंबर की पूरी जानकारी ली जा सकती थी। इसके अलावा रिपोर्ट में ये भी बताया गया है कि 300 रुपये और देने पर एजेंट ने ऐसा सॉफ्टवेयर दिया जिसके जरिए किसी भी व्यक्ति के आधार को प्रिंट किया जा सकता था।

 

आधार डाटा लीक का पर्दाफाश करने वाली महिला पत्रकार पर केस दर्ज

दिल्ली पुलिस ने आधार से जुड़ा डाटा लीक करने का पर्दाफाश करने वाली एक अंग्रेजी दैनिक की महिला रिपोर्टर और अखबार के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया है। महिला रिपोर्टर ने खबर में मात्र 500 रुपये में आधार से जुड़ी जानकारी मुहैया कराने का दावा किया था। इस संबंध में यूआइडीएआइ के एक वरिष्ठ अधिकारी ने पुलिस में शिकायत की थी।

आधार की सुरक्षा की कवायद, 16 अंकों की ‘वर्चुअल आईडी’ करेगा आधार की हिफाजत
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यूआईडीएआई ने यह कवायद आधार डेटा लीक होने व व्यक्ति की निजता के हनन के आरोपों को देखते हुए यह सुरक्षात्मक कदम उठाया है। इससे आधार धारक को सत्यापन के वक्त आधार नंबर देने की जरूरत नहीं पडेगी और वर्चुअल आईडी से उसका काम चल जाएगा। यूआईडीएआई के अनुसार यह सुविधा एक मार्च से आ जाएगी और 1 जून से सभी एजेंसियों को इसे लागू करने की व्यवस्था करना अनिवार्य होगा। इसके बाद कोई भी एजेंसी वर्चुअल आईडी स्वीकार करने से इनकार नहीं कर सकेगी।