राज्य सरकार द्वारा लगातार घाटे में चलने की वजह से करीब 12 साल पहले बंद किए गए मध्यप्रदेश सडक़ परिवहन निगम (सपनि) को दोबारा चालू करने की मांग एक फिर से जोर पकडऩे लगी है। चुनावी मौसम में इसके लिए कर्मचारी लामबंद हो गए है। अपनी इस मांग को लेकर हाल ही में कर्मचारियों ने मुख्यमंत्री, परिवहन मंत्री
और परिवहन सचिव को इस मांग को लेकर कई पोस्ट कार्ड एक साथ भेजकर इसे फिर से शुरु करने की मांग की है। कर्मचारियों द्वारा इस सबंध में अब तक करीब पांच सैकड़ा कर्मचारी पोस्ट कार्ड भेज चुके हैं। गौरतलब है कि सपनि को पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती ने दोबारा शुरू करने की तैयारी शुरू कर दी थी, लेकिन तिरंगा यात्रा के मामले में उन्हें मुख्यमंत्री के पद से इस्तीफा देना पड़ा था, जिसके बाद यह मामला ठंडे बस्ते में चला गया था।
28 डिपो की बेशकीमती जमीन पर कब्जा
सडक़ परिवहन निगम की प्रदेश के साथ ही महाराष्ट्र और उत्तर प्रदेश में भी प्राइम लोकेशन पर बेशकीमती जमीन है। प्रदेश में सपनि के 53 डिपो मे से 28 डिपो पर परिवहन विभाग ने कब्जा कर कार्यालय खोल दिए। खास बात यह है कि इन कार्यालयों का सपनि को कोई किराया तक नहीं दिया जा रहा है। उधर नागपुर, झांसी और महोबा के बस स्टैंड और डिपो की भी करोड़ों रुपए की जमीन पर अतिक्रमण हो रहा है।
3 माह से नहीं मिला वेतन, सपनि की संपत्ती की कीमत पांच हजार करोड़
सडक़ परिवहन निगम की वर्तमान में संपत्ति की कीमत करीब 5 हजार करोड़ रुपए है। परिवहन विभाग ने सपनि से टैक्स के रूप में बकाया राशि न मिलने के कारण उसकी अचल संपत्ति कुर्क कर अपने कब्जे में ली है। नियमानुसार कुर्क की गई संपत्ति के स्वरूप, उपयोग व उपभोग को बदला नहीं जा सकता। लेकिन परिवहन विभाग ने इसकी अनदेखी करते हुए इनके स्वरूप में बदलाव कर अपने कार्यालय स्थापित कर लिए हैं। डिपो के भवन में जहां आरटीओ कार्यालय संचालित है तो अरेरा कालोनी स्थित रेस्ट हाउस को उप परिवहन आयुक्त का कार्यालय बना दिया गया है। मौजूदा आरटीओ कार्यालय के पीछे करोड़ों रुपए खर्च कर कार्यालय का विस्तार किया गया है। वहीं रेस्ट हाउस के नवीनीकरण पर भी लाखों रुपए खर्च किए गए। परिवहन विभाग का नया आरटीओ भवन कोकता में बनाया गया है जबकि नियमानुसार परिवहन विभाग को सपनि की संपत्ति का निराकरण करते हुए टैक्स की राशि वसूल कर शेष राशि का समायोजन करना चाहिए था।