नई दिल्ली, देश के पांच प्रमुख आईआईटी और इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस बेंगलूर देश में छह ऐसे संस्थानों में शुभार हो गए हैं जो शोधकार्य से सालाना सौ करोड़ रुपये से ज्यादा कमा रहे हैं। लेकिन सौ करोड़ की कमाई करने वाले इस क्लब में देश का कोई विश्वविद्यालय अभी तक शामिल नहीं हो पाया है। इंडियन एकेडमी ऑफ सांइस के जर्नल करंट साइंस के ताजा अंक में प्रकाशित रिपोर्ट के
अनुसार सर्वाधिक कमाई करने वाला संस्थान इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस बेंगलुरु है। संस्थान ने 2014-17 के तीन सालों में 1119 करोड़ रुपये कमाए।
यानी सालाना आय करीब 373 करोड़ रुपये रही। दूसरे नंबर पर आईआईटी बाम्बे है जिसने 885 करोड़ यानी प्रतिवर्ष 295 करोड़ कमाए। तीसरे नंबर पर आईआईटी मद्रास है जिसने 761 करोड़ कमाए और सालाना औसत 253 करोड़ रहा। रिपोर्ट के अनुसार आईआईटी दिल्ली ने तीन सालों में 402 करोड़, खड़गपुर ने 401 तथा आईआईटी कानपुर ने 318 करोड़ रुपये शोध से कमाए।
शोध में रॉयल्टी, कंसल्टेंसी की आय और उद्योग जगत के लिए किया जाने वाला प्रायोजित शोधकार्य शामिल है। जर्नल में प्रकाशित लेख में आंकड़ों का स्रोत मानव संसाधन विकास मंत्रालय के नेशनल इंस्टीट्यूशनल रेंकिग फ्रेमवर्क को बनाया गया है जिसके आधार पर 2018 में देश के टॉप 20 शीर्ष संस्थानों की घोषणा की गई थी।
आत्मनिर्भरता से कोसों दूर
रिपोर्ट के अनुसार भले ही आईआईटी सालाना सौ करोड़ रुपये कमाने लगे हों लेकिन उनके लिए खर्च में खुद पर निर्भरता हासिल करना अभी दूर की कौड़ी है। मसलन, आईआईटी बांबे ने तीन सालों में 885 करोड़ कमाए हों लेकिन उसका खर्चा उस दौरान 1344 करोड़ था। आईआईटी मद्रास ने 761 करोड़ अर्जित किए लेकिन उसी अवधि में उसका व्यय 1829 करोड़ रहा। इसी प्रकार इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस की आय 1119 करोड़ रही हो लेकिन उसका खर्च 1604 करोड़ दर्ज किया गया।
विश्वविद्यालय पीछे
देश में किसी भी विश्वविद्यालय ने तीन साल में तीन सौ करोड़ अर्जित किए हों। चार विश्वविद्यालयों की आय तीन साल में दो सौ करोड़ से अधिक रही। इनमें अन्ना यूनिवर्सिटी की 230, बीएचयू और सावित्री बाई फुले यूनिवर्सिटी की 204-204 तथा कलकत्ता विवि की 205 करोड़ दर्ज की गई।
एएमयू की स्थिति खराब
रिपोर्ट में टॉप 20 संस्थानों के शोध से होने वाली आय की तुलना की गई है। इसमें सर्वाधिक खराब स्थिति अलीगढ़ मुस्लिम विवि की है। जिसने तीन सालों के दौरान महज 30 करोड़ रुपये ही अर्जित किए। टॉप 20 संस्थानों में यह आय सबसे कम है।