प्रदेश में हो रहे विधानसभा चुनाव के लिए टिकट वितरण में जिस तरह से भाजपा ने संघ की सलाह को गंभीरता से लिया है उससे यह तय हो गया है कि इस बार संघ बड़ी भूमिका निभाने जा रहा है। इसी तरह के संकेत प्रदेश में संघ दृष्टि से बनाए गए मालवा, मध्यभारत व महाकौशल प्रांत के क्षेत्रीय प्रचारकों को दिए गए है। उरअसल पूर्व में टिकट वितरण के पहले कराए गए भाजपा के अंदरूनी सर्वे पर संघ ने आपत्ति की थी। जिसके बाद भाजपा केंद्रीय नेतृत्व ने उस पर सहमति जाताई थी। यही नहीं इसके बाद ही भाजपा केंद्रीय नेतृत्व ने अपनी प्रदेश की टीम की जगह संघ कार्यकर्ताओं को प्रमुखता देने का
निर्णय लिया है। केंद्रीय नेतृत्व का माना है कि संघ व भाजपा का जमीनी कार्यकर्ता हमेशा से कांग्रेस व अन्य विपक्षी दलों के निशाने पर रहता है। कांग्रेस ने भाजपा से ज्यादा हमले संघ पर किए हैं। राष्ट्रवादियों को छोडक़र बाकी लोग हमेशा से संघ को निशाने पर लिए रहते हैं। सरकार व संगठन की उपेक्षा की वजह से इस बार चुनावी में भाजपा के जमीनी कार्यकर्ता इस बार दूरी बनाए हुए हैं। सरकार के प्रति एंटी इनकंबेंसी भी खूब है। यही वजह है कि भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व का मानना है कि तमाम विरोधाभासों के बीच संघ ही डैमेज कंट्रोल कर चुनावी वैतरणी पार करा सकता है।
भाजपा ने प्रत्याशियों के चयन व टिकट के बंटवारे को लेकर सर्वे कराया था। सूत्र बताते हैं कि स्थानीय व बड़े नेताओं ने इस सर्वे की आड़ में अपने चहेते लोगों का नाम सूची में शामिल करवा कर उसे भिजवा दिया। जब संघ से इस बारे में फीडबैक ली गई तो संघ ने सर्वे में भारी गड़बड़ी जताते हुए आपत्ति ली। बताते हैं कि नेताओं ने जो चुनाव जीतने में योग्य नहीं है, उन चहेतों का नाम भी सूची में डलवा दिया। बाद में सर्वे करने वाली एजेंसियों ने उन्हीं नामों को प्रदेश नेतृत्व के पास भेज दिया। सूत्रों ने बताया कि 5 स्तरों के कराए गए सर्वे के आधार पर प्रत्याशियों का औसत फीडबैक निकाला गया। इन्हीं नामों को टिकट के दावेदारों में शामिल किया गया है। इसको लेकर ही संघ ने आपत्ती जताई थी।
संघ की जमीनी नेटवर्क मजबूत
राष्ट्रीय स्वयं सवेक संघ का जमीनी नेटवर्क भाजपा से अधिक मजबूत है। संघ के पास सरस्वती शिशु मंदिर, किसान संघ, मजदूर संघ, विश्व हिन्दू परिषद, बजरंग दल, विद्या भारती जैसे संगठनों का व्यापक आधार है। संघ सूत्रों ने बताया कि संघ के जितने भी अनुषांगिक संगठन है, उन सभी में भाजपा कार्यकर्ताओं के प्रति अंदरूनी तौर पर नाराजगी है। ऐसे में केंद्रीय नेतृत्व ने आशंका भापकर चुनाव का काफी कुछ दारोमदार संघ को सौंपा है।
केंद्रीय नेतृत्व ने मांगा है सहयोग
सूत्रों ने बताया कि पड़ोसी राज्यों खासकर राजस्थान में जिस तरह से चुनाव को लेकर उथल-पुथल की स्थिति मची हुई है, ऐसे में मप्र को बचाने की बड़ी चुनौती सामने है। इसे देखते हुए भाजपा केंद्रीय नेतृत्व ने संघ नेतृत्व से सहयोग मांगा है। पिछले दिनों भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह जब मप्र दौरे पर आए तो उन्होंने संघ कार्यालय जाकर संघ पदाधिकारियों से लंबी बातचीत की थी। एक-एक मुद्दे पर फीडबैक लेने के बाद संघ से सहयोग मांगा था। इसके बाद ही संघ ने अपना पूरा नेटवर्क चुनाव में झोंंक दिया।