✍???स्टैच्यू ऑफ यूनिटी पर ब्रिटेन का तंज, कहा- हमसे 100 करोड़ का कर्ज लेकर 3300 करोड़ की मूर्ति बना रहा है भारत, ✍??कहां गया ब्रिटेन का पैसा

लंदन। स्टैच्यू ऑफ यूनिटी पर ब्रिटेन ने भारत पर तंज करते हुए कहा है कि हमसे 100 करोड़ का कर्ज लेकर भारत 3300 करोड़ की मूर्ति बना रहा है। ब्रिटेन का कहना है कि भारत एक अमीर देश है। ब्रिटेन ने भारत को बीते तीन सालों के दौरान 100 करोड़ से अधिक का अनुदान दिया है। स्टैच्यू ऑफ यूनिटी उद्घाटन के बाद पूरी दुनिया में इसके चर्चे हैं। बता दें कि यह दुनिया की सबसे ऊंची मूर्ति है। इसकी ऊंचाई में स्टैच्यू ऑफ लिबर्टी की ऊंचाई से लगभग दोगुनी है।

ब्रिटेन में उड़ रहा है मजाक

ब्रिटेन ने पिछले वर्षों में भारत को 1 बिलियन पौंड से अधिक अनुदान दिया है। अब स्टैच्यू ऑफ यूनिटी के उद्घाटन के बाद इसका यह कहकर मजाक उड़ाया जा रहा है कि भारत एक अमीर देश है क्यों कि इसे दुनिया की सबसे ऊंची मूर्ति बनाने का सौभाग्य मिला है। बता दें कि सरदार बल्लभ भाई पटेल को समर्पित विशाल कांस्य स्मारक का बुधवार को अनावरण किए जाने के बाद से ही अत्यधिक खर्चे के लिए इस प्रोजेक्ट की निंदा की जा रही है। यह इंजीनियरिंग परियोजना 2012 में शुरू हुई, जब ब्रिटेन ने भारत को 300 मिलियन पाउंड का कर्ज दिया था। 2013 में एक 268 मिलियन पौंड का अनुदान दिया गया। 2014 में यह आंकड़ा 278 मिलियन पौंड और 2015 में यह आंकड़ा 185 मिलियन पौंड का था। अब ब्रिटेन का आरोप है कि उसके पैसे से मदद लेकर भारत ने यह मूर्ति बना दी। ब्रिटेन के एक सांसद पीटर बोन ने कहा, “हमारे द्वारा दी गई सहायता से 330 मिलियन खर्च करने का मामला बहुत अजीब है। यह साबित करता है कि हमें भारत को पैसा नहीं देना चाहिए।” उन्होंने आगे कहा कि यह पूरी तरह भारत के ऊपर है कि वे अपने पैसे कैसे खर्च करते हैं, लेकिन अगर वे इतनी महंगी मूर्ति का खर्च बर्दाश्त कर सकते हैं, तो यह स्पष्ट है कि वह एक अमीर देश है जिसे हमें सहायता देने की आवश्यकता नहीं है।”

कहां गया ब्रिटेन का पैसा

बताया जा रहा है कि ब्रिटिश सहायता से मिले धन को सौर पैनलों और कम कार्बन परिवहन योजनाओं और महिलाओं के अधिकारों में सुधार की परियोजनाओं पर खर्च किया गया था। ब्रिटेन के अखबारों में कहा गया है कि भारत दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था है। यहां ब्रिटेन की तुलना में अधिक अरबपति हैं। यह वर्तमान में बीमारी और स्वास्थ्य की देशव्यापी समस्याओं के बावजूद अधिक विदेशी सहायता प्रदान करता है।