विधानसभा चुनाव में बागियों को रोकने का फार्मूला तैयार कर रही भाजपा

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मंगल भारत भोपाल। नगरीय निकाय चुनाव में भाजपा को हुए नुकसान ने पार्टी नेताओं की चिंता बढ़ा दी है। पार्टी के सर्वे, खुफिया रिपोर्ट और संघ की अंदरुनी रिपोर्ट ने मौजूदा विधायकों की जो स्थिति बताई है, उसके मुताबिक पार्टी को 70-75 चेहरे बदलना पड़ सकते हैं। लेकिन नगरीय निकाय चुनाव में टिकट नहीं पाने वाले नेताओं ने जिस तरह बागी होकर चुनाव लड़ा और नुकसान पहुचाया, उससे पार्टी के नेता हैरत में हैं। इस परिस्थिति को देख पार्टी ऐसे बागी नेताओं को रोकने का फार्मूला तैयार कर रही है। ताकि ऐन चुनाव के वक्त बागी बनकर ये नेता पार्टी के लिए मुसीबत न खड़ी करें।

एंटी इनकमबेंसी को रोकने की तैयारी

भारतीय जनता पार्टी के मिशन 2018 से पहले जिस तरह से नगरीय निकाय चुनाव ने झटका दिया है, उससे पार्टी नेता सकते में हैं। अगले महीने फिर कोलारस और मुंगावली में पार्टी को उपचुनाव का सामना करना है। एक तरह से ये उपचुनाव सेमीफाइनल की तरह होंगे। इसलिए पार्टी हर हाल में जीतने की कोशिश कर रही है। फिर भी यदि वहां असंतुष्टों ने दिक्कत दी तो विधानसभा चुनाव में टिकट के लिए आम सहमति बनाने में पार्टी को भारी चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा। अब पार्टी के नेता इस तैयारी में हैं कि जहां ज्यादा विवाद है या रिपोर्ट में हारने वालों की सूची में किसी का नाम है तो वहां नए चेहरे जनता के सामने पेश किए जाएं, ताकि लोकल एंटी इनकमबेंसी को रोका जा सके।

विधायक को देंगे विकल्प

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पार्टी को ये भय भी सता रहा है कि विधायकों के टिकट काटे तो वे बागी न बन जाएं। वरना वे भी चुनाव में नुकसान पहुचा सकते हैं। पार्टी पदाधिकारियों की मानें तो इससे निपटने के लिए बी प्लान तैयार करने पर विचार किया जा रहा है। इसमें पार्टी टिकट से वंचित विधायक को ही विकल्प देगी कि वह बेहतर और जीतने वाला प्रत्याशी बताए। यदि उसके परिवार में कोई बेहतर प्रत्याशी हुआ तो पार्टी उस पर भी विचार करेगी। ऐसी स्थिति न होने पर ही पार्टी किसी नए चेहरे को टिकट देगी। इस कवायद के पीछे पार्टी का मकसद ये है कि विधानसभा चुनाव में पार्टी हर हाल में बागियों का सामना नहीं करना चाहती है।

गाइडलाइन होगी तैयार

भाजपा नेता मिशन 2018 के लिए टिकट वितरण से पहले एक गाइडलाइन तैयार करने की बात कर रहे हैं। यह गाइडलाइन पार्टी द्वारा कराए गए सर्वे को ध्यान में रखकर बनाई जाएगी। इसमें उन बिंदुओं को भी शामिल किया जाएगा, जो सर्वे रिपोर्ट में सामने आए हैं। मसलन विवादित विधायक जिनकी अनाप-शनाप तरीके से संपत्ति बढ़ी है, जिन लोगों का क्षेत्र में संपर्क ही नहीं रहा है, ऐसे तमाम बिंदु गाइडलाइन में शामिल किए जाएंगे। पार्टी सूत्रों पर भरोसा करें तो भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह के भोपाल दौरे के वक्त इस पर अंतिम मुहर लगा दी जाएगी।