पात्र को देंगे रियायती राशन, PDS पात्रता सूची में अभी भी 4 लाख से ज्यादा परिवार नहीं

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मंगल भारत भोपाल । चुनावी साल में सरकार बड़े वर्ग को साधने के लिए बड़ा राजनीतिक दांव खेलने की तैयारी को अंतिम रूप दे रही है। एक-दो माह बाद प्रदेश में एक भी ऐसा पात्र परिवार नहीं बचेगा, जिसे रियायती दर यानी एक रुपए किलो में गेहूं और चावल न मिल रहा हो। इसके लिए राज्य सरकार अपने खजाने से उन 4.1लाख परिवारों के 17 लाख लोगों को राशन देने की पात्रता सूची में शामिल करेगी, जो अभी नियम-कायदे के चक्कर में सस्ते राशन से वंचित हैं।

इसके लिए राज्य के खजाने से रकम लगाकर रियायती दर का राशन देने का प्रस्ताव तैयार हो गया है। प्रभारी प्रमुख

सचिव खाद्य, नागरिक आपूर्ति केसी गुप्ता ने इसकी पुष्टि करते हुए कहा कि अंतिम निर्णय सरकार के स्तर पर होगा।

उधर, सरकार का दावा कि अब प्रदेश में गरीबी रेखा से नीचे गुजर-बसर करने वाले और अनुसूचित जाति-जनजाति का एक भी परिवार नहीं बचा है, जिन्हें रियायती दर पर राशन न मिल रहा है।

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कोटा बढ़ा फिर भी कतार लंबी

प्रदेश के राशन का कोटा बढ़ने के बावजूद करीब 17 लाख लोग ऐसे हैं, जिनके नाम पात्रता सूची में जुड़ने हैं। कानून के मुताबिक आबादी के 75 फीसदी से ज्यादा लोगों को राशन नहीं दे सकते हैं, इसलिए इन्हें अपात्रों के नाम कटने का इंतजार करना पड़ रहा है।

बड़ा सियासी मुद्दा है राशन

प्रदेश में सस्ता राशन बड़ा सियासी मुद्दा है। सत्ता पक्ष हो चाहे विपक्ष, दोनों लगातार इस मुद्दे को विधानसभा में उठाते रहे हैं। भाजपा के वरिष्ठ विधायक केदारनाथ शुक्ला ने तो शीतकालीन सत्र में 10 हजार लोगों के नाम पात्रता सूची से काटने और मुख्यमंत्री की घोषणा के बाद भी नहीं जोड़े जाने पर कलेक्टर के खिलाफ कार्रवाई करने की मांग उठाई थी। कांग्रेस के कमलेश्वर पटेल ने मुद्दा उठाया था।

75 फीसदी से ज्यादा आबादी को नहीं दे सकते राशन

राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा कानून के तहत कोई भी राज्य सार्वजनिक वितरण प्रणाली के तहत प्रदेश की कुल आबादी के 75 फीसदी से ज्यादा लोगों को राशन नहीं दे सकता है। केंद्र सरकार 2 और 3 रुपए किग्रा की दर से गेहूं और चावल देती है। प्रदेश सरकार इसमें अपनी ओर से सबसिडी मिलाकर एक रुपए किग्रा में गेहूं और चावल दे रही है। खाद्य, नागरिक आपूर्ति अधिकारियों का कहना है कि पिछले दो साल से पात्र परिवारों के आकार को लेकर केंद्र सरकार के साथ विवाद चल रहा था, इसलिए राशन का आवंटन कम हो रहा था। आखिरकार नवंबर से 7 हजार मीट्रिक टन अनाज अतिरिक्त तौर पर प्रदेश को मिलने लगा है।