SC में आधार पर सुनवाई आज भी; कोर्ट ने पिटीशनर्स से पूछा- डाटा सभी के पास, फिर इसका विरोध क्यों

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मंगल भारत नई दिल्ली. आधार कार्ड की संवैधानिक वैधता (constitutional validity) पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई आज भी जारी रहेगी। मंगलवार को पांच जजों की बेंच ने आधार के खिलाफ दायर पिटीशंस पर सुनवाई के दौरान पिटीशनर्स के वकील से सवाल किया- आज नेटवर्क की दुनिया है। प्राईवेट कंपनियों के पास भी नागरिकों का डाटा मौजूद है। ऐसे में आधार से जुड़ा डाटा अगर सरकार के पास जाता है तो इसमें क्या दिक्कत है? और ऐसा ना होने से क्या फर्क पड़ जाएगा। बेंच के हेड सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा हैं।

आधार कार्ड की संवैधानिक वैधता (constitutional validity) पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई आज भी जारी रहेगी।- सिम्बॉलिक
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प्राईवेट कंपनियों के पास है नागरिकों का डाटा

– मंगलवार को सुनवाई के दौरान पिटीशनर्स के वकील श्याम दीवान ने केंद्र सरकार के आधार कार्ड को मेंडेटरी करने पर सवाल उठाए। दीवान पहले भी दलील दे चुके हैं कि आधार को मेंडेटरी करना आम नागरिकों के निजी अधिकारों में दखल है।
– इस पर चीफ जस्टिस ने दीवान से पूछा- आज तो नेटवर्क की दुनिया है। प्राईवेट कंपनियों के पास क्या आम नागरिकों से जुड़ा डाटा नहीं है। ऐसे में अगर आधार को मेंडेटरी नहीं भी किया जाता तो इससे क्या फर्क पड़ेगा?
– चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा के अलावा जस्टिस एके. सीकरी, जस्टिस एएम. खानविलकर, जस्टिस डीवाय. चंद्रचूढ़ और जस्टिस अशोक भूषण इस बेंच में शामिल हैं। बेंच ने एक सुर में कहा- क्या इसमें कोई शक है कि आज हम नेटवर्क वर्ल्ड में रह रहे हैं?

सेंट्रल डाटाबेस ही तो है

– सुनवाई के दौरान बेंच ने कहा कि आधार कार्ड के लिए जो बॉयोमैट्रिक इन्फॉर्मेशन कलेक्ट की जाती है वो तो सेंट्रल डाटाबेस के तौर पर डिपॉजिट होती है और इसके बाद नागरिक को सिर्फ 12 डिजिट का एक यूनीक आईडेंटीफिकेशन नंबर जारी किया जाता है। तो फिर दिक्कत कहां है?
– बता दें कि केंद्र सरकार ने आधार प्रोग्राम के लिए 2016 में एक कानून बनाया था। इसकी संवैधानिक वैधता को कई लोगों ने चैलेंज किया। सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक बेंच इन्हीं पिटीशंस पर सुनवाई कर रही है।

पिटीशनर्स की क्या दलील?

– पिटीशनर्स के वकील श्याम दीवान ने कहा- एनरॉलमेंट प्रॉसेस से प्राईवेट कंपनियां जुड़ी हैं। लिहाजा, जो डाटा कलेक्ट किया जाता है उसका इस्तेमाल वो भी कर सकती हैं। ऐसी 49 हजार कंपनियां इस प्रॉसेस में शामिल हैं। पिछले साल सरकार ने इन्हें ब्लैकलिस्ट भी कर दिया था। ऐसे में सवाल उठना लाजिमी है।
– दीवान ने साफ कहा- आधार कार्ड जैसी सिंगुलर (एकमात्र) आईडेंटिटी की कोई जरूरत नहीं है। सरकारी मदद, सब्सिडी, स्कॉलरशिप या पेंशन के लिए आधार को मेंडटरी बिल्कुल नहीं किया जाना चाहिए।
– इस दौरान उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट खुद राइट टू प्राईवेसी (निजता का अधिकार) की वकालत कर चुका है। लिहाजा, आधार कार्ड को मेंडेटरी नहीं किया जाना चाहिए क्योंकि इससे प्राईवेसी में दखल होता है।
– बेंच ने कहा कि लोग मोबाइल कंपनियों को पहले ही PAN कार्ड और दूसरे डॉक्यूमेंट दे चुके हैं।