मालवा का गढ़ बचाने भाजपा ने मोदी-शाह को उतारा मैदान में तो राहुल साध रहे ग्रमीणों को

इस बार विधानसभा चुनाव में अपने मजबूत गढ़ में मालवा में मतदाताओं की नाराजगी दूर करने के लिए भाजपा ने अपने दोनों सबसे बड़े दिग्गजों को मैदान में उतारा है। तो वहीं कांग्रेस ने इस बार अपनी रणनीति के तहत ग्रामीण मतदाताओं को साधने के लिए राहुल गांधी का सहारा लिया है। प्रदेश में बीते एक दशक बाद ऐसी स्थिति बनी है कि दोनों ही दलों के प्रत्याशियों को कड़े मुकाबले का

सामना करना पड़ रहा है। इस सिथति को देखते हुए इन दोनों ही दलों के रणनीतिकारों ने खास रणनीति के तहत अपने स्टार प्रचारकों को अलग-अलग इलाके में उतारा है। दरअसल इन स्टार प्रचाराकों के जरिए जातिगत संतुलन के साथ ही क्षेत्रीय समीकरण साधने के प्रयास किए जा रहे हैं। खास बात यह है कि भाजपा के स्टार प्रचारकों की भीड़ सर्वाधिक मालवा में ही नजर आ रही है। मालवा अंचल में सरकार व भाजपा से नाराज लोगों को साधने के लिए अब भाजपा ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमित शाह को मैदान में उतारा है। उधर, कांग्रेस अध्यक्ष की पूरी नजर कमजोर सीटों के साथ ग्रामीण मतदाताओं पर टिक गई है। इसी रणनीति के तहत कांग्रेस छोटे कस्बों में राहुल की सभाएं आयोजित कर फिर से अपने परंपरागत ग्रामीण मतदाताओं को लुभाने का प्रयास कर रही है।
कस्बों व छोटे शहरों में राहुल का दौरा
इस बार विस चुनाव में कांग्रेस ने फिर अपने ग्रामीण वोटबैंक को जोडऩे की रणनीति बनाई है। यही वजह है कि पार्टी अध्यक्ष राहुल गांधी की सभाएं कुछ इस तरह प्लान की गई है कि छोटे शहरों और कस्बों तक पार्टी की पुख्ता पहुंच हो जाए। राहुल के दौरे में झाबुआ, देवरी, बरघाट, महू, धार नसरुल्लागंज, मंडीदीप, गंजबासौदा, श्योपुर, दतिया, मुरैना, दमोह, टीकमगढ़ जैसे छोटे शहरों को जोड़ा गया। दरअसल शहरी इलाकों को भाजपा का गढ़ माना जाता है। यही नहीं राहुल के दौरों में धार्मिक स्थलों की यात्रा को पार्टी ने सॉफ्ट हिंदुत्व की रणनीति के तहत जोड़ा। इसमें पीतांबरा पीठ दतिया, महकाल मंदिर उज्जैन, कामतानाथ मंदिर चित्रकूट, गौरी घाट नर्मदा जबलपुर में मंदिरों की सीढिय़ां चढक़र राहुल ने हिंदू वोट बैंक से जुडऩे की कोशिश की है।
एक दूसरे के गढ़ में गरज रहे विरोधी नेता
23 नवंबर को राहुल गांधी ने सीएम की सीट बुदनी में भाजपा को चुनौती दी। इस दौरान उनके द्वारा नसरुल्लागंज में सभा की गई। वहीं प्रधानमंत्री नरेंद मोदी 18 नवंबर को कमलनाथ के गढ़ छिंदवाड़ा पहुंचे थे तो अमित शाह ने भी बीते रोज छिंदवाड़ा में सभा कर पार्टी के पक्ष में माहौल बनाने का प्रयास किया है।
मोदी की दस में से तीन सभाएं मालवा में
नरेंद्र मोदी ने प्रदेश में पांच दिन दिए, जिसमें उनकी दस सभाएं प्लान की गई। इसमें तीन सभाएं मालवा में तो तीन आदिवासी अंचल में रखी गई। मोदी 16 नवंबर को ग्वालियर व शहडोल में रहे, जबकि 18 को उन्होंने छिंदवाड़ा व इंदौर में सभाएं की। ज्योतिरादित्य सिंधिया के ग्वालियर और कमलनाथ के गढ़ छिंदवाड़ा को भेदने के लिए मोदी ने मोर्चा संभाला। शहडोल संभाग आदिवासी के लिहाज से अहम हिस्सा माना जाता है। उनकी नाराजगी दूर करने मोदी शहडोल के साथ 20 नवंबर को झाबुआ भी गए। झाबुआ वह इलाका है, जहां भाजपा लोकसभा चुनाव में जीतने के बाद उपचुनाव में हार गई थी। इसी तरह से बीते रोज मोदी मंदसौर और छतरपुर में रहे। गोलीकांड के बाद मंदसौर देश के परिदृश्य में प्रमुख केंद्र के रूप में उभरा। भाजपा के नुकसान को कम करने के लिए ही मोदी की सभा मंदसौर कराई गई है।