बेटे को टिकट न देना पार्टी का अन्याय मानते हैं सत्यव्रत

कभी बुंदेलखंड में कद्दावर नेता रहे सत्यव्रत चतुर्वेदी इस बार अपने बेटे को विधानसभा तक पहुंचाने के लिए पार्टी से बगावत कर चुके हैं। उनका बेटा कांग्रेस द्वारा टिकट नहीं दिए जाने से बागी होकर सपा के टिकट पर चुनावी मैदान में है। ऐसे में सत्यव्रत ने खुद उसकी चुनावी कमान संभाल रखी है। हाल ही तक कांग्रेस के वरिष्ठ नेता रहे सत्यव्रत चतुर्वेदी कहना है कि सपा से चुनाव लड़ रहे

उनके बेटे का प्रचार करने को लेकर वे शर्मिंदा नहीं है और गर्व के साथ अपने कर्तव्य का निर्वहन कर रहे हैं। पार्टी से बागी होने की वजह से निष्कासन के बाद भी उनका दावा है कि अंतिम सांस तक कांग्रेसी रहेंगे। उन्होंने पार्टी से निष्कासन के लिए कांग्रेस नेतृत्व के प्रति आभार जताया। यह दावा उन्होंने निष्कासन से जुड़े सवालों का जवाब दते हुए किया। उन्होंने कहा कि अभी बेटे के चुनाव प्रचार में व्यस्त है। लगातार अन्याय के कारण उन्हें और उनके बेटे को यह निर्णय लेना पड़ा। बता दें, सत्यव्रत का बेटा निनित चतुर्वेदी छतरपुर जिले की राजगनर पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ रहा है।
दिग्विजय को राय देने का पूरा अधिकार
सत्यव्रत ने कहा कि दिग्विजय सिंह ने अंतिम समय तक इस बात को बार-बार कांग्रेस नेताओं के सामने कहा कि बुंदेलखंड के साथ अन्याय मत कीजिए पर किसी ने नहीं सुना। मैं अपने बूते पर अपने बेटे का चुनाव लडूंगा। दिग्विजय सिंह द्वारा इस कदम को गलत बताने के सवाल पर उन्होंने कहा कि उन्हें अपनी राय देने का पूरा अधिकार है।
कांग्रेस प्रत्याशी की मदद को तैयार
सत्यव्रत ने फिर कहा कि वे हृदय से कांग्रेसी हैं। इसलिए यदि कांग्रेस का कोई प्रत्याशी जिसके सामने सपा का उम्मीदवार नहीं है यदि मुझे बुलाया है तो मैं उसके लिए प्रचार करने जाऊंगा। इससे मुझे कोई परहेज नहीं। मैं कांग्रेसी हूं, पर घर के भीतर अन्याय हो तो उसके विरुद्ध बोलने की हि मत दिखाना चाहिए