भोपाल इस साल मध्य प्रदेश विधानसभा की 230 सीटों पर किस्मत आजमा रहे 2907 उम्मीदवारों में से 174 प्रत्याशी ऐसे हैं, जिन्हें दूसरी बार टिकट दिया गया है। पांच सालों के दौरान दोबारा चुनाव लड़ रहे उम्मीदवारों की औसत संपत्ति में 71 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है। 2013 के विधानसभा चुनावों में 2,583 उम्मीदवारों में से 350 करोड़पति थे।
मध्य प्रदेश इलेक्शन वॉच और एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) ने इस बार विधानसभा के विधानसभा चुनावों में दोबारा किस्मत आजमा रहे 174 उम्मीवारों में से 167 के शपथपत्रों का विश्लेषण किया गया। एडीआर की रिपोर्ट के मुताबिक साल 2013 में दोबारा चुनाव लड़ने वाले विधायकों की औसत संपत्ति 5.15 करोड़ रुपए थी, वहीं 2018 में यह 8.79 करोड़ रुपए है। एडीआर की रिपोर्ट कहती है कि 2013 से 2018 तक दोबारा चुनाव लड़ रहे विधायकों की औसत संपत्ति में 61 प्रतिशत यानी 3.64 करोड़ रुपए की बढ़ोतरी हुई है।
रिपोर्ट बताती है कि बसपा के चार विधायक दोबारा चुनाव लड़ रहे हैं, जिनकी औसत संपत्ति में 4,51 करोड़ की बढ़ोतरी हुई है। वहीं भारतीय जनता पार्टी के 107 विधायकों की संपत्ति में 3.89 करोड़ रुपए और कांग्रेस के 53 विधायकों की औसत संपत्ति में 3.23 करोड़ की बढ़ोतरी हुई है। संपत्ति में सबसे ज्यादा इजाफा बसपा की 140 प्रतिशत, भाजपा 85 प्रतिशत और कांग्रेसी विधायकों की संपत्ति 49 प्रतिशत बढ़ी। भाजपा के 107 विधायकों ने 2013 में 4 करोड़ से ज्यादा संपत्ति दर्शाई थी, जो 2018 में औसत साढ़े 8 करोड़ हो गई।
कांग्रेसी विधायकों ने 2013 में 6 करोड़ और 2018 में 9 करोड़ की सपंत्ति दिखाई। वहीं बसपा उम्मीदवारों ने 2013 में 3 करोड़ की संपत्ति दर्शायी, जो 2018 में बढ़ कर 7 करोड़ पहुंच गई। भाजपा के टिकट पर विजयराघवगढ़ से चुनाव लड़ रहे और प्रदेश सरकार में मंत्री रह चुके संजय सत्येन्द्र पाठक सबसे अमीर उम्मीदवार हैं। उन्होंने 226 करोड़ रुपए की संपत्ति दिखाई है। उनकी मध्य प्रदेश में सायना नाम से हेरिटेज होटल की चेन है। वहीं राज्य के निर्वतमान मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने अपनी 7 करोड़ संपत्ति घोषित की है।