सत्ता के लिए दलित-आदिवासी बाहुल्य सीटों पर लगी भाजपा व कांग्रेस की नजर

प्रदेश में भले ही बीते रोज मतदान हो गया है, लेकिन अब भी दोनों प्रमुख राजनैतिक दलों की नजर दलित व आदिवासी इलाकों की सीटों लगी हुई हैं। दोनों ही दलों के विश्लेषक आरक्षित सीटों पर हुए मतदान का विश्लेषण करने में जुट गए हैं। कांग्रेस को बीते चुनाव में भाजपा की तुलना में करीब आठ फिसदी मत इन सीटों पर मिले थे, जिसकी वजह से वह सत्ता से दूर रहने को मजबूर हो गई थी। अगर कांग्रेस इस बार इस अंतर को पाटने में सफल रही तो उसके लिए सत्ता का द्वारा खुल सकता है। गौरतलब है कि बीते चुनाव वर्ष 2013 के विस चुनाव में भाजपा को 44.37 प्रतिशत जबकि कांगे्रस को 36.38 फीसदी मत मिले थे। इाठ फिसदी मतों के अंतर की वजह से ही भाजपा 165 सीट पाने में सफल रही थी। कांगे्रस को सिर्फ 58 सीटें मिल पाईं। इसबार चुनाव में कांग्रेस की नजर दलित और आदिवासियों के लिए आरक्षित 82 सीटों पर टिकी रहीं। इसमें अनुसूचित जाति के लिए 35 और

आदिवासियों के लिए 47 सीटें आरक्षित हैं। वर्ष 1998 तक दोनों वर्ग कांगे्रस के परंपरागत वोट बैंक रहे। 2003 में भाजपा के सत्ता में आने के बाद यह फायदा उसे सीटों के रुप में हुआ। यही वजह है कि इस बार कांगे्रस ने जयस से हाथ मिलाकर मालवा निमाड़ में आदिवासी समीकरण को साधने की कोशिश की है। कांग्रेस ने जयस प्रमुख डॉ. हीरा अलावा को मनावर से टिकट देकर जयस का समर्थन जुटाने का प्रयास किया लेकिन इस मशक्कत में यह आदिवासी संगठन दो फाड़ हो गया। कांगे्रस ने नर्मदा विस्थापन और दूसरे आदिवासियों के मुद्दों केा भी भुनाने की कोशिश की है। महाकौशल और विंध्य क्षेत्र की आदिवासी बेल्ट में संविधान की पांचवी अनुसूची को लागू करने को लेकर छिड़े पत्थलगढ़ी आंदोलन ने सरकार के प्रति नाराजगी दिखाई है। कांग्रेस ने इसे समर्थन देकर यहां आदिवासी वोट में सेंध लगाने की कोशिश की है।
उधर एट्रोसिटी एक्ट में संशोधन के विरोध में भारत बंद के दौरान हुई हिंसा के कारण भी ग्वालियर-चंबल अंचल में दलित वोटरों की सरकार के प्रति नाराजगी बढ़ी है। इस संभाग में चुनाव के दौरान दलित फैक्टर काफी प्रभाव रहा। भाजपा ने अपने घोषणा पत्र में एट्रोसिटी और पैसा एक्ट का उल्लेख करके डैमेज कंट्रोल की कोशिश की है लेकिन सपाक्स के आ जाने से ग्वालियर-सवर्ण फैक्टर ने चुनाव को काफी प्रभावित किया है।
दलवार मत प्रतिशत
2013 2008
कुल मतदान 72.07 प्रतिशत 69.78 प्रतिशत
भाजपा 44.37 प्रतिशत मत मिले 36.81 प्रतिशत मत मिले
कांगे्रस 36.38 प्रतिशत मत मिले 36.04 प्रतिशत मत मिले

-एसटी के लिए आरक्षित सीटें 47
भाजपा:32 सीटें 43.61 प्रतिशत मत मिले
कांगे्रस:14 सीटें 40.04 प्रतिशत मत मिले
निर्दलीय ने 1 सीट जीती

2008
भाजपा:27 सीटें 38.78 प्रतिशत मत मिले
कांगे्रस 18 सीटें 36.01 प्रतिशत मत मिले
दो सीटें अन्य दल जीते

एससी के लिए आरक्षित सीटें 35
2013
भाजपा 28 सीटें 47.31 प्रतिशत मत मिले
कांग्रेस 4 सीटें 37.73 प्रतिशत मत मिले
बसपा ने तीन सीटें जीतीं

2008
भाजपा 26 सीटें 40.32 प्रतिशत मत मिले
कांगे्रस 9 सीटें 31.71 प्रतिशत मत मिले
एक सीट भाजश ने जीती