प्रदेश में सिर्फ 28 फीसदी प्रत्याशी ही बचा पाते हैं जमानत

प्रदेश में नयी विधानसभा के गठन के लिये दो दिन पहले मतदान हो चुका है। अब सभी की निगाहें मतगणना पर आकर टिक गई हैं। इस बार प्रदेश में 2907 प्रत्याशी मैदान में उतरे हैं। ऐसे में अलग-अलग विस इलाकों में सर्वाधिक मत पाने वाले 230 प्रत्याशी ही विधानसभा पहुंचते हैंं, फिर भी हर बार चुनाव के दौरान अपनी किस्मत आजमाने वालों की कमी नहीं रहती। यह बात अलग है कि इनमें से अधिकांश प्रत्याशी अपनी जमानत तक नहीं बचा पाते हैं। जमानत न बचा पाने वालों में सर्वाधिक निर्दलीय रूप से मैदान में उतरने वाले उ मीदवार होते हैं। अगर मध्यप्रदेश के चुनावी इतिहास पर नजर डालें तो प्रदेश में 1952 से 2013 तक के चुनाव में 22,674

प्रत्याशी अपनी जमानत जब्त करा चुके हैं। अगर इसका औसत निकाला जाए तो जमानत जब्त कराने वाले उम्मीदवारों की संख्या 72 फीसदी होती है, यानि की महज 28 फीसदी उम्मीदवार ही अपनी जमानत बचाने में कामयाब होते हैं। इस बार के चुनाव में भी बीजेपी-कांग्रेस के अलावा कई सियासी दलों ने अपने उम्मीदवार चुनाव मैदान में उतारे हैं। बहुत से निर्दलीय प्रत्याशी भी अपनी किस्मत आजमा रहे हैं। आपको यह जानकर आश्चर्य होगा प्रदेश के हर विधानसभा चुनाव में इसी तरह प्रत्याशियों की भीड़ लग जाती है, लेकिन इनमें से ज्यादातर की जमानत जब्त हो जाती है।
प्रदेश के अब तक के विधानसभा चुनाव के आंकड़े
– 1952 में 232 विधानसभा सीटों पर चुनाव लड़े 1122 प्रत्याशियों में से 657 की जमानत जब्त हो गई।
– 1957 में 288 सीटों पर चुनाव लड़े 1029 प्रत्याशियों में से 480 प्रत्याशियों की जमानत जब्त हो गई।
– 1962 के चुनाव में 1336 प्रत्याशी मैदान में थे, इस बार 686 प्रत्याशियों की जमानत जब्त हुई।
– 1967 में 296 सीटों पर1553 उ मीदवार थे, जिनमें से 942 की जमानत जब्त हो गई।
– 1972 के चुनाव में 1417 प्रत्याशियों ने किस्मत आजमाई थी, इस बार भी 786 उम्मीदवारों की जमानत जब्त हो गई।
– 1977 में 320 सीटों पर 1994 प्रत्याशी मैदान में थे, जिनमें से 1324 प्रत्याशियों की जमानत जब्त हो गई।
– 1980 के विधानसभा चुनाव में 2000 उम्मीदवारों ने चुनाव लड़ा, इस बार भी 1325 प्रत्याशियों की जमानत जब्त हुई।
-1985 में 2450 उम्मीदवार चुनावी मैदान में थे, जिनमें से 1791 की जमानत जब्त हो गई।
-1990 के विधानसभा चुनाव में 4216 प्रत्याशियों में से रिकॉर्ड 3521 प्रत्याशियों की जमानत जब्त हुई थी।
-1993 के चुनाव में 3729 प्रत्याशियों में से 2995 प्रत्याशियों की जमानत जब्त हो गई।
-1998 में 2510 प्रत्याशियों ने चुनाव लड़ा, जिसमें से 1778 उम्मीदवारों की जमानत जब्त हुई।
-2003 में छत्तीसगढ़ अलग होने के बाद 230 सीटों पर 2171 में से 1655 प्रत्याशियों की जमानत जब्त हो गई।
-2008 में 3179 प्रत्याशियों ने चुनाव लड़ा, जिनमें 2654 प्रत्याशियों की जमानत जब्त हुई।
-2013 के विधानसभा चुनाव में 2583 प्रत्याशी मैदान में थे। इस बार 2080 उम्मीदवारों की जमानत जब्त हुई।
यह होती है जमानत राशि
विधानसभा का चुनाव लडऩे वाले उ मीदवार को निवार्चन आयोग के पास नामांकन दाखिल करते समय जमानत के रुप में एक निश्चित राशि जमा करनी पड़ती है। लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 की धारा 34(1) ख के अनुसार विधानसभा चुनाव लडऩे वाले सामान्य उम्मीदवार को जमानत के तौर पर 10 हजार रुपये तो अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के उम्मीदवार को 5 हजार रुपये जमा करने पड़ते हैं।
कब होती है जमानत जब्त?
विधानसभा चुनाव लडऩे वाला कोई उम्मीदवार अगर विधानसभा क्षेत्र के कुल वोटरों की संख्या के 16 प्रतिशत मत भी प्राप्त नहीं कर पाता है तो निर्वाचन आयोग में जमा की गई उसकी राशि को निर्वाचन आयोग जब्त कर लेता है। इसे सामान्य भाषा में प्रत्याशी की जमानत जब्त होना कहा जाता है। उदाहरण के तौर पर अगर किसी विधानसभा सीट पर 1 लाख मतदाता हैं तो उस विधानसभा सीट से चुनाव लड़ रहे प्रत्याशी को 16 हजार से भी ज्यादा मत हासिल करने होंगे। अगर वह इतने मत हासिल नहीं कर पाता है तो उसकी जमानत जब्त हो जायेगी।