उमा ने किया राजनीति से संन्यास लेने से इंकार

भाजपा की फायर ब्रांड नेता व केन्द्रीय मंत्री उमा भारती एक बार फिर चर्चा में हैं। इस बार चर्चा की वजह है उनके द्वारा अगला लोकसभा चुनाव न लडऩे की घोषणा। हालांकि इस दौरान उन्होंने राजनीति से संन्यास लेने से इंकार कर दिया। सुश्री भारती ने यहां पत्रकारों से चर्चा में कहा कि दुनिया की टाप 10 गंदी नदियों में शुमार गंगा को शुद्ध और अविरल बहते रहने के लिए केंद्र ने काम शुरू किया है। मैं 2014 में मंत्री बनी थी। दो साल में 20 हजार करोड़ की योजना बनाकर काम शुरू कर दिया। उन्होंने

कहा कि मैं जनभागीदारी के लिए डेढ़ साल तक गंगा किनारे पदयात्रा करूंगी। एक इसके लिए इस्तीफा देने की कोई जरूरत नहीं है। पार्टी अध्यक्ष अमित शाह ने मुझे आश्वासन दिया था कि वे इसके लिए अनुुमति देंगे। उन्होंने एक सवाल के जवाब में कहा कि चुनाव लडऩा ही राजनीति नहीं है। मैं राजनीति से संन्यास नहीं ले रही हूं। मैं राजनीति मरते दम तक करूंगी। 15 जनवरी 2019 से 20 जून 2020 तक पदयात्रा करने के बाद फिर से चुनाव लडूंगी। मेरे लिए कोई सीट खाली कर देगा तो बीच में नहीं तो पांच साल बाद चुनाव में उतरुंगी।
बुलंदशहर घटना की विस्तृत जांच हो
उमा ने कहा कि यूपी सीएम आदित्यनाथ को गाय को लेकर हुए हमले की घटना पर विचार करना होगा। इस्तिमा के नाम 6-7 किमी के दायरे में टेंट लगाकर 10-15 लाख लोगों का जमावड़ा हुआ। उन्होंने रहस्य लोक बना लिया था, वहां किसी बाहरी लोगों को जाने की इजाजत नहीं थी। वहां ये घटना हुई। मैं चाहती हूं कि यूपी सरकार डिटेल में जांच करे। इंटेलीजेंस के असफल होने पर कहा कि मैं मीडिया में कुछ नहीं बोलूंगी, पार्टी फोरम पर जरूर बात उठाउंगी।
राहुल खुद हंसी के पात्र बन रहे
उमा ने कहा कि कांगे्रस अध्यक्ष राहुल गांधी ने हमारे अखाड़े में आकर हमें चुनौती देने की भूल की है। इससे वे हंसी का पात्र बने हैं। यदि वे वैसे ही रहते जैसे उनके परदादा जवाहरलाल नेहरू ने कहा था कि मैं दुर्घटनावश हिंदू हूं। उनकी दादी इंदिरा गांधी और उनके पिता राजीव ने भी कहा था कि वे सेक्यूलर हैं। उमा ने कहा कि राम मंदिर से हमारा वोट न बढ़ेगा न ही घटेगा। जनता जानती है कि मंदिर हमारे साथ जुड़ा हुआ है। 1993 में चुनाव हारने के बाद 1998 के मेनिफेस्टो में राम मंदिर हमारा मुद्दा था।